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1962 युद्ध के बाद पेक में बना एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने विभाग को बनाने का लिया फैसला।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 07:07 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 07:08 AM (IST)
1962 युद्ध के बाद पेक में बना एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग
1962 युद्ध के बाद पेक में बना एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग

वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज (पेक) का एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग अपने आप में खास स्थान रखता है। इस विभाग का पेक को आगे बढ़ाने में काफी योगदान है। शहर में पेक एकमात्र ऐसा संस्थान है, जहां एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग है। जितना पुराना पेक है, उतना ही पुराना पेक के एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग का इतिहास भी है। विभाग को 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बनाया गया था। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो ने पेक में एयरोस्पेस विभाग बनाने का फैसला लिया था। उस समय से विभाग को बनाने के पीछे उद्देश्य था कि ज्यादा से ज्यादा युवा वर्ग एयर और स्पेस क्राफ्ट फील्ड से जुड़ें ताकि देश और एयर फोर्स को मजबूत बनाया जा सके। इस समय विभाग में 30 स्टूडेंट्स के एक बैच की स्ट्रेंथ हैं। दो महीने पहले एचएसटीवीडी हाईपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन वाहन का परीक्षण किया गया था। इस परियोजना के निदेशक डॉ. आरके शर्मा और पद्मश्री डॉ. सतीश कुमार है जो पेक एलुमनी एरोनॉटिकल है। ग्रेजुएट एयरोनॉटिकल इंजीनियर देने वाला देश का पहला कॉलेज

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पेक ग्रेजुएट एयरोनॉटिकल इंजीनियरों को प्रदान करने वाला देश का पहला कॉलेज है। उसके अलावा अन्य दो संस्थान आइआइएससी पोस्ट ग्रेजुएट और एमआईटी चेन्नई एयरोनॉटिकल इंजीनियरिग में डिप्लोमा दे रहे है। यह पेक के नाम अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। विमान मॉडल युवाओं के लिए प्रेरणा

पेक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का एक एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां तीन विमान और एक रेलवे इंजन का रखा है। एमआइ हेलीकॉप्टर को वर्ष 2002 में चंडीगढ़ 3ब्रीआरडी से यहां लाया गया था। उसके अलावा वर्ष 1964 में नॉर्दन रेलवे के अंबाला मंडल ने विभाग को इंजन का डेमो सौंपा था। वहीं वर्ष 2018 में मिग-21 फाइटर जेट को विभाग में रखा गया। इन सबके साथ ही कानपुर 1 एयर क्राफ्ट भी यहां पर है। एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग के इतिहास में सबसे बड़ा नाम कानपुर 1 एयर क्राफ्ट है। विभाग एचओडी जिदल ने बताया कि यह एयर क्राफ्ट पूर्व एयर वाइस मार्शल स्वर्गीय हरजिदर सिंह ने पेक को सौंपा था। हरजिदर ने यह एयर क्राफ्ट बनाया था लेकिन किसी कारण से इस एयर क्राफ्ट को मंजूरी नहीं मिली थी। उसके बाद उन्होंने एयर क्राफ्ट को पेक के हवाले कर दिया था। 2009 में बदला गया विभाग का नाम

पेक एयरोस्पेस इंजीनियरिग विभाग के अध्यक्ष डॉ. टीके जिदल ने बताया कि पहले इसका नाम एरोनॉटिकल इंजीनियरिग विभाग था। लेकिन बाद में वर्ष 2009 में इसका नाम बदल कर एयरोस्पेस इंजीनियरिग रखा गया। जिदल के अंतर्गत एक नए इंजन प्रौद्योगिकी पर विश्व स्तरीय अनुसंधान किया जा रहा है। इसके लिए कई नए उपकरण खरीदें गए है। एचएएल, डीआरडीओ, एयर इंडिया, डीजीजीए में सभी महत्वपूर्ण पदों पर पेक एयरों के पूर्व छात्रों का कब्जा रहा है।


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