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पार्टनरशिप के जरिये किसानों की जमीन लेगा प्रशासन

यूटी प्रशासन अब शहर के किसानों की जमीन जबरदस्ती एक्वायर नहीं करेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 11:26 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 11:26 PM (IST)
पार्टनरशिप के जरिये किसानों की जमीन लेगा प्रशासन
पार्टनरशिप के जरिये किसानों की जमीन लेगा प्रशासन

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : यूटी प्रशासन अब शहर के किसानों की जमीन जबरदस्ती एक्वायर नहीं करेगा। किसानों की जमीन अब उनकी सहमति के साथ ही ली जाएगी। यही नहीं, प्रशासन उन्हें अब शहर की डेवलपमेंट में पार्टनर भी बनाएगा। किसानों से जमीन पार्टनरशिप के जरिये ली जाएगी। जमीन का कुछ हिस्सा किसानों को डेवलप करके दिया जाएगा। शहर में इस समय रेड लाइन से बाहर 2000 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। प्रशासन इस जमीन पर अनाधिकृत कंस्ट्रक्शन को रोकना चाहता है। मर्जी से किसान कर पाएगा डेवलप किए एरिया का प्रयोग

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ऐसे में डेवलप किए गए एरिया का प्रयोग किसान अपनी मर्जी से कर पाएगा। ऐसा प्रशासन ने सिर्फ जो भूमि अधिग्रहण करने के बाद विवाद होते हैं, उन्हें समाप्त करने के लिए ऐसा कदम उठाने का प्रस्ताव बनाया है। इस समय 500 से ज्यादा जमीन से जुड़े मामले हैं जोकि भूमि अधिग्रहण के बाद इस समय जिला अदालत, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहे हैं। क्योंकि अधिकतर किसानों को प्रशासन द्वारा तय किए गए भूमि अधिग्रहण के रेट नामंजूर हैं। मालूम हो कि इस समय पंजाब में कई निजी बिल्डर इसी पॉलिसी के तहत किसानों की जमीन डेवलप करने के लिए ले रहे हैं। प्रशासन के आला अधिकारी भी अब भविष्य में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों के साथ कोई विवाद नहीं चाहते हैं। सर्वे के लिए कंपनी हायर की

लाल डोरे के बाहर के निर्माण और जमीनों का सर्वे करने के लिए प्रशासन ने एक कंपनी भी हायर कर ली है जो कि अपनी रिपोर्ट प्रशासन को देगी। जिसमें बताया जाएगा कि लाल डोरे के बाहर जमीन में किस तरह का निर्माण किया जा सकता है। जन सुविधाओं के लिए पाइप लाइन डालने के अलावा अन्य इन्फ्रास्ट्रचर की पूरी जानकारी उस रिपोर्ट में शामिल की जाएगी। रिपोर्ट में बताया जाएगा कि अधिगृहीत की जाने वाली जमीन में किस तरह के निर्माण हो सकते हैं। यह कंपनी ही इस समय लाल डोरे के बाहर बनी जमीन का सर्वे कर रही है। लाल डोरे के बाहर बना निर्माण अवैध

इस समय 23 गांव हैं जोकि नगर निगम के अंतर्गत शामिल हैं। गांव में लाल डोरे के बाहर बना हर निर्माण प्रशासन अवैध मानता है। लाल डोरे के बाहर बने निर्माणों को रेगुलर करने की मांग यहां पर रहने वाले निवासी लंबे समय से कर रहे हैं। हर लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दल भी लाल डोरे के बाहर बने निर्माण को रेगुलर कराने का वायदा करते हैं। जबकि 13 गांव जनवरी माह में ही प्रशासन ने नगर निगम को ट्रांसफर किए हैं। अब हर इमारत का नक्शा पास करवाना है जरूरी

ऐसे में अब लाल डोरे के भीतर भी बनने वाले हर निर्माण का नगर निगम से नक्शा पास करवाने की जरूरत है जबकि लाल डोरे के बाहर कोई भी निर्माण करने की मंजूरी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद कई जगह चोरी चुपके से लाल डोरे के बाहर निर्माण हो रहा है जिसका नगर निगम के अधिकारियों को पता नहीं लग पा रहा है। इस समय नगर निगम के पास भी इन 13 गांवों का पूरा रिकॉर्ड नहीं है जिस कारण यह नहीं पता लग पाया की कौन सी जमीन सरकारी है, कौन सी नहीं। इसका फायदा भी कब्जा करने वाले उठा रहे हैं। इन 13 गांवों में पंचायती राज समाप्त हो चुका है। ऐसे में इन गांवों का कोई प्रतिनिधि न होने के कारण लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


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