सुपर पावर की तरह बिहेव कर रहा प्रशासन, लेक, रोज गार्डन और पार्को में भीड़
वास्तव में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का उल्लंघन है।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ : कोरोना के चलते चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शहर में दुकानें खोलने व अन्य तरह की छूट क्या वास्तव में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का उल्लंघन है। इसका फैसला मंत्रालय के अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी बैठकर लें। सुखना लेक पर उन्होंने देखा कि कितने लोग घूम रहे हैं जो बहुत गलत है। सभी पक्ष 24 घंटे में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मीटिग कर विचार करें कि चंडीगढ़ प्रशासन ने जो छूट दी है, क्या वह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन अकॉर्डिग है। हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर चंडीगढ़ प्रशासन के वकील ने आग्रह किया कि लोकडाउन के केवल दो दिन शेष रह गए हैं व नई गाइडलाइंस जारी होने वाली है। अगर इसी बीच कुछ बदलाव किया जाता है तो लोगों के बीच कंफ्यूजन होगी। इस पर बेंच ने कहा कि आगे से जो भी गाइडलाइंस जारी होने वाली है, यूटी प्रशासन उसके तहत ही छूट व निर्णय ले। छूट देने से पहले प्रशासन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करे। कोर्ट और मंदिरों को ही क्यों न खोल दिया जाए
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एक बाद फिर चीफ जस्टिस रवि शंकर झा एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन को शहर में कर्फ्यू में कुछ ज्यादा ही ढील दिए जाने पर काफी फटकार लगाई और कहा कि प्रशासन सुपर पावर की तरह व्यवहार कर रहा है। लेक, रोज गार्डन और अन्य पार्को में लोगों की भीड़ लगी हुई है। मार्केट्स खोली गई हैं। ट्रैफिक पर कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब सबकुछ खोलना है तो क्यों न कोर्ट व मंदिरों को भी खोल दिया जाए। सभी गाइडलाइंस को सख्ती से लागू करो
इस पर चंडीगढ़ प्रशासन ने कहा कि उनकी ओर से केंद्र की सभी गाइडलाइंस को पूरी सख्ती से लागू किया गया है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि अगर इसे सख्ती से लागू किया जाता तो यह मामला हाई कोर्ट तक नहीं पहुंचना था। तय है कि कई विषयों पर सही तरीके से गौर नहीं किया गया है। शहर में कुछ छोटे से इलाके तक सीमित था कोरोना
चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिग काउंसिल पंकज जैन ने कहा कि शहर के सीमित इलाके में कोरोना के ज्यादा मामले आए थे जिनमें बापूधाम, सेक्टर-38, सेक्टर-52 और शास्त्री नगर में ज्यादा मामले आए थे जिन्हें कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। बाकी शहर में पाबंदियों को कम रखा गया है। जहां तक मार्केट्स की बात है तो सभी दुकानें नहीं खोली गई हैं। सिर्फ नेबरहुड शॉप्स ही खोली गई हैं जहां जरूरी सामान मिलता है। पंचकूला और मोहाली से आने वाले ट्रैफिक को कैसे रोका जा सकता है। चंडीगढ़ दोनों राज्यों की राजधानी भी है और दोनों राज्यों के ऑफिस चंडीगढ़ में हैं और 30 प्रतिशत कर्मियों को ऑफिस आने की इजाजत है। केंद्र ने कहा : कोरोना को हराना ही सबका लक्ष्य
केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन ने कहा कि गाइडलाइंस पर विवाद है कि उसे सही तरीके से लागू किया है या नहीं। यह तो तय है कि सब सरकारें मिलकर कोरोना को हराने में लगी हैं। यह केंद्र की गाइडलाइंस है तो इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से प्रशासन बैठक कर सकता है और मंत्रालय ही स्थिति स्पष्ट कर सकता है कि गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ है या नहीं। हाई कोर्ट ने जैन की इसी दलील के बाद प्रशासन को केंद्र के साथ बैठक करने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है। शहर में कर्फ्यू में ढील के खिलाफ दायर की गई थी जनहित याचिका
एडवोकेट पंकज चांदगोठिया ने जनहित याचिका दायर कर बताया था कि जब केंद्र सरकार ने शहर को रेड जोन में रखा है तो क्यों यहां इतनी ढील दी जा रही है। प्रशासन ने शहर में सुबह सात से शाम सात बजे तक बाजारों को खोलने का फैसला कर लिया और बाजार खोल दिए,। वाहनों की आवाजाही पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है। इंटर स्टेट ट्रैफिक पर भी कोई नियंत्रण नहीं किया जा रहा। मोहाली और पंचकूला से आने वाले वाहनों को बिना पास के ही शहर में प्रवेश की इजाजत दे दी गई है। नतीजा यह हुआ है कि सड़कों पर वाहनों की भरमार हो गई है। यह सब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दो मई को जारी गाइडलाइंस का उल्लंघन है। कंटेनमेंट जोन भी गाइडलाइंस के अनुसार तय नहीं किए गए हैं।