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बुक लांच : आदि शंकराचार्य ¨हदुइज्म ग्रेटेस्ट थिंकर में ¨हदुत्व की व्याख्यान

पंजाब राज भवन में किताब का विमोचन पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 May 2018 05:19 PM (IST)Updated: Thu, 31 May 2018 05:19 PM (IST)
बुक लांच : आदि शंकराचार्य ¨हदुइज्म ग्रेटेस्ट थिंकर में ¨हदुत्व की व्याख्यान
बुक लांच : आदि शंकराचार्य ¨हदुइज्म ग्रेटेस्ट थिंकर में ¨हदुत्व की व्याख्यान

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : धर्म बिना विचार-विमर्श को समझा नहीं जा सकता। इसमें वाद विवाद होता है, मगर ¨हसा नहीं। आज देखता हूं तो लगता है कि ¨हदुत्व केवल रस्मों-रिवाज तक सीमित रह गया है। इसका असल अर्थ कहीं खो गया है। ऐसे में आदि शंकराचार्य के जीवन को पढ़ना इस समय की जरूरत है। ऐसे में मैंने आदि शंकराचार्य पर लिखने का विचार किया जो तीन वर्ष की मेहनत के बाद पूरा हुआ। लेखक और राजनीतिज्ञ पवन के वर्मा बुधवार को अपनी नवप्रकाशित किताब 'आदि शंकराचार्य ¨हदुइज्म ग्रेटेस्ट थिंकर' पर कुछ इन शब्दों में बोले। पंजाब राज भवन में उनकी किताब का विमोचन पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने किया। इससे पहले होटल अरोमा-22 में पवन ने बातचीत में धर्म और राजनीति से जुड़ी चर्चा की। केरल से केदारनाथ का सफर

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पवन ने कहा कि किताब में उन्होंने आदि शंकराचार्य के जीवन को लिखा है। उसमें केरल से केदारनाथ का सफर शामिल है। इसके लिए मैं खुद केरल से केदारनाथ के कई धर्मस्थलों और उन जगह पर गया जहां आदि शंकराचार्य कभी रहे थे। मैंने जाना कि ¨हदू धर्म की शिक्षा इतनी आधुनिक थी, जो इन दिनों वर्तमान विज्ञान में खोजी जा रही है। उदाहरण के लिए फिजिक्स की क्वान्टम थ्योरी जिसे हमारे धर्म से जुड़ी शिक्षा में पहले ही माना गया है। आदि शंकराचार्य के साथ कई विद्वानों ने विमर्श भी किया। उससे यह पता चलता है कि धर्म केवल एक सीमित सोच नहीं, बल्कि विमर्श का नाम है। खुद को इतने बड़ा मानकर नहीं, बल्कि धर्म को बड़ा मानते हुए आदि शंकराचार्य ने इस पर चर्चा की। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी से लेखक के रूप में मिला

पवन इससे पहले गालिब, कैफी आजमी, गुलजार पर आधारित कई प्रसिद्ध किताबें लिख चुके हैं। बोले कि लिखना मुझे पसंद है, इसके लिए समय निकल ही जाता है। कहते हैं न कि जिस चीज से आपको प्यार हो, उसके लिए समय निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में मुझे भी लिखने का वक्त मिल ही जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार मुझे मिलने को कहा। हालांकि मैं उनकी पार्टी का समर्थक नहीं था, फिर भी उन्होंने मुझे कहा कि मेरी कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद करो। मैंने साफ शब्दों में कहा कि मैं आपकी राष्ट्रवादी कविताओं का अनुवाद तो नहीं करूंगा, हां जो आपकी निजी कविताएं है, उसमें से जो मुझे पसंद आए वही अनुवाद करूंगा। उन्होंने कुछ सोचा और मुझे इसके लिए हामी भर दी। उनकी 51 कविताओं में से मैंने 21 का अनुवाद किया। अरुण जेटली सहपाठी थे और विपक्षी नेता भी

पुराने दिनों को याद करते हुए पवन ने कहा कि दिल्ली के सेट स्टीफन में पढ़ने से पहले स्कूल में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और वो एक साथ पढ़ते थे, अच्छे मित्र भी थे। फिर कॉलेज में वो एबीवीपी के साथ जुड़े और मैं दूसरी पार्टी के साथ। वो विपक्षी पार्टी में रहे मगर फिर दोबारा हम एक कॉलेज में आए तो फिर दोस्ती हो गई। उनसे यही रिश्ता रहा है। मगर अच्छा रहा है। संघ से ¨हदुत्तव पर बातचीत करने को तैयार

पवन ने कहा कि वो ¨हदू धर्म के सही प्रचार को आगे लाना चाहते हैं। पर यह प्रचार बिना किसी ¨हसा, द्वेष और क्रोध के होना चाहिए। इस किताब को मैंने हालांकि अभी तक राष्ट्र स्वयंसेवक संघ के साथ किसी तरह की वार्तालाप में नहीं हूं। मगर अगर मौका मिला तो यकीनन आरएसएस के साथ ¨हदुत्तव पर एक स्कारात्मक चर्चा करना चाहूंगा।


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