पंजाब में किसानों की आड़ में आढ़ती कर रहे हैं 'खेल', सारा कुछ कमीशन और टैक्स का चक्कर
पंजाब में किसान कृषि विधेयकों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की शंकाओं के बीच सारा खेल आढ़ती भी कर रहे हैं। आढ़तियों को कमीशन की चिंता है तो राज्य सरकार को टैक्स की।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। कृषि विधेयक को लेकर पंजाब में विरोध के पीछे अलग ही खेल है। किसानों को सबसे बड़ी आशंका फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है। लेकिन आंदोलन के पीछे आढ़तियों का बडा़ हाथ माना जा रहा है। उनको अपने कमीशन की चिंता है। वहीं राज्य सरकारों को आशंका है कि अगर मंडियों के बाहर फसलें बिकनी शुरू हुईं तो उन्हें इससे मिलने वाले टैक्स से हाथ गंवाना पड़ेगा। वैसे प्रत्यक्ष तौर पर आढ़तियों खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं और चुप्पी साधे हुए हैं। उनको फिक्र है कि अगर मंडियों के बाहर फसलें बिकती हैं और प्राइवेट ट्रेडर्स फसलों की खरीद करेंगे तो उन्हें आढ़त (कमीशन) नहीं मिलेगी।
दो दशक से खटक रहा आढ़तियों का कमीशन- सरकार को टैक्स नहीं मिलने की सता रही चिंता
दरअसल, आढ़ती कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन किसानों को आगे रखकर पूरा 'गेम' खेल रहे हैं। आढ़तियों का कमीशन आज से ही नहीं बल्कि दो दशक से केंद्र सरकार की आंखों में खटक रहा है। इसे खत्म करने की कोशिशें की जाती रही हैं लेकिन आढ़ती पैसे के जोर पर इन पर पानी फेरते रहे हैं। 1998 में इन्हें डेढ़ फीसद मिलती आढ़त को केंद्र सरकार ने एक फीसद करने की बात चलाई। मगर बादल सरकार ने इसे एक फीसद करने की बजाए ढाई फीसद कर दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी आढ़त को खत्म करने की योजना शुरू की गई। केंद्र ने आश्वासन दिया कि ढाई फीसद में से एक फीसद किसानों को दिया जाएगा और डेढ़ फीसद केंद्र सरकार रखेगी। किसानों को फसलों की अदायगी सीधी की जाएगी लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी। अप्रैल 2013 में सिराज हुसैन एफसीआइ के चेयरमैन एवं एमडी बने तो उन्होंने आढ़त को फ्रीज करने का सुझाव दिया।
दरअसल, केंद्र सरकार जब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाती थी तो आढ़तियों का कमीशन अपने आप बढ़ जाता था। उन्होंने कहा कि एमएसपी जितना भी बढ़े लेकिन आढ़तियों का कमीशन 27 रुपये पर फिक्स रहेगा। अब पिछले पांच साल से केंद्र सरकार किसानों को सीधी अदायगी करने की मुहिम चला रही है। सीधी खरीद को लेकर पंजाब और केंद्र सरकार में टकराव की स्थिति रही है।
ऐसे में अब जो किसान आंदोलन पर उतारू हैं उनके बारे में यही माना जा रहा है कि उन्हें आढ़तियों ने आगे किया हुआ है। किसानों को कृषि बिलों का पता नहीं है और आढ़ती इसका फायदा उठा रहे हैं। जागरूक किसान आढ़ती सिस्टम के खिलाफ हैं। पंजाब में भाकियू (बहेड़ू ग्रुप) सीधी अदायगी को लेकर अदालती लड़ाई भी लड़ता रहा है। उसका कहना है कि जब किसानों ने अपनी फसल सरकारी एजेंसी को बेची है तो पेमेंट आढ़तियों से क्यों लें, खरीद एजेंसी सीधा उनके नाम पर चेक काटे।
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