एडिशनल एडवोकेट जरनल हरियाणा अंबिका सूद ने जीती कोरोना से जंग, बोलीं- परिवार की चाह ने नहीं हारने दिया
कोरोना महामारी को मात दे चुकी एडिशनल एडवोकेट जरनल हरियाणा अंबिका सूद ने बताया कि मैं काम के सिलसिले में आॅफिस जाती थी और पूरी एहतियात भी बरतती थी। यह वायरस मेरे अंदर कैसे आ गया मुझे भी समझ नहीं आया।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। जब मेरी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो मुझे सबसे पहले अपने बच्चों और सास-ससुर की चिंता हुई। उसी चिंता ने मुझे बेड पर ज्यादा दिन सोने नहीं दिया और मैं 18 दिनों में पूरी तरह से स्वस्थ होकर वापस परिवार के बीच आ गई। कोरोना महामारी को मात दे चुकी एडिशनल एडवोकेट जरनल हरियाणा अंबिका सूद ने बताया कि मैं काम के सिलसिले में आॅफिस जाती थी और पूरी एहतियात भी बरतती थी। यह वायरस मेरे अंदर कैसे आ गया मुझे भी समझ नहीं आया लेकिन अपनों की टेंशन और पति अरूण सूद के स्पोर्ट ने मुझे जल्द रिकवर होने के लिए मजबूर कर दिया।
अंबिका ने बताया कि सबसे पहले मेरा मीठे और नमक का स्वाद गया। जिसके बाद बुखार हुआ। जब बुखार हुआ तो मैंने, मेरे पति और मेरी देवरानी ने एक साथ जाकर टेस्ट कराया। जिसमें मेरी अकेली की रिपोर्ट पॉजिटिव थी और बाकी सब नेगेटिव थी। मुझे घर में ही आइसालेट कर दिया गया और मेरे सास-ससुर जो कि बजुर्ग है उन्हें मेरी ननद के घर भेज दिया गया। मेरे ससुर को भूलने की बीमारी है और यदि उनको कोई दिखता तो वह हायपर हो जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ मेरे दो बच्चे मेरे से दूर हो गए। देवर और देवरानी के साथ मेरा बेहतर रिश्ता है। उनसे भी मुझे दूर होना पड़ा।
बेटी के जन्मदिन पर टूट गई
अंबिका ने बताया कि उनकी बेटी 13 साल की हुई और उसके जन्मदिन के लिए मैंने प्लानिंग की हुई थी। मुझे लगा कि कोरोना के चलते हम बाहर तो जाएंगे नहीं घर में ही सेलीब्रेट करेंगे लेकिन उससे दस दिन पहले मैं पॉजिटिव हो चुकी थी। जब बेटी का जन्मदिन घर में मनाया गया तो मैं बड़ी दूर से उसे देख रही थी और मैं अंदर से टूट गई थी कि मेरी बेटी के जन्मदिन पर मैं उससे दूर हूं लेकिन उसी प्यार और जिम्मेदारी ने मुझे जल्द ठीक होने के लिए मोटिवेट किया।
बचाव के लिए सुरक्षा जरूरी
अंबिका ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए कोई दवाई नहीं बनी है लेकिन इससे बचाव के लिए सुरक्षा बहुत ज्यादा जरूरी है। इसलिए मास्क डालने के साथ हमें हाथों को धोना अौर प्रशासन की सभी गाइडलाइन को मानना जरूरी है।