राकेश बेदी ने चंडीगढ़ के कलाकारों को सिखाई एक्टिंग
टैगोर थिएटर-18 में पहली बार एक्टर राकेश बेदी और शहर के लोगों के बीच रूबरू सेशन आयोजित हुआ।
चंडीगढ़ [शंकर सिंह]। एक्टिंग कोई सीख नहीं सकता। अगर ऐसा कोई तुम्हें आकर बोले तो उन्हें सबसे पहले मेरा उदाहरण देना। मैं 19 वर्ष का था तो फिल्म टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे में महज ये देखने के लिए एडमीशन ली थी कि वहां क्या सिखाया जाता है? पहले दिन मेरा सामना गुरु रोशन तनेजा से हुआ। पहली ही क्लास में मुझे पता चल गया कि मैं एक्टिंग का ए भी नहीं जानता। वहीं से पता लगा कि आपको एक्टिंग की बारीकियां केवल सही ट्रेनिंग से ही आ सकती है।
एक्टर राकेश बेदी के एक-एक गुरुमंत्र को शहर के कलाकार मगन होकर सुन रहे थे। वीरवार को टैगोर थिएटर-18 में पहली बार एक्टर राकेश बेदी और शहर के लोगों के बीच रूबरू सेशन आयोजित हुआ। इसमें राकेश बेदी ने टीचर बनकर कलाकारों को एक्टिंग के गुर सिखाए। सेशन में लेखक आत्मजीत सिंह मॉडरेटर के रूप में शामिल हुए।
जब आतंकवादी समझ कर पकड़ लिया..
राकेश ने कहा कि दिल्ली में एक्टिंग सीखते हुए, उन्होंने एक ग्रुप बनाया। नाटक तैयार था, उसके पोस्टर रात को दीवारों पर चिपका रहा था, इतने में पुलिस के मुलाजिम आए और मुझे पकड़ लिया, मेरी शक्ल भी ऐसी थी कि उन्होंने मुझे आतंकवादी समझ लिया। नाटक का नाम जहर था, वो कह रहे थे कैसा जहर फैला रहे हो, क्यों लोगों को जहर खाने को प्रेरित कर रहे हो। जैसे तैसे मैंने उन्हें समझाया और जान छुड़ाई।
वो एक्टर ही क्या जो आसपास का माहौल न देख सके
राकेश ने कहा कि एक्टर के एक-एक शब्द को मैंने ब्रेक किया है। जैसे.. ए- एक्शन सी- कॉन्सन्ट्रेशन टी- टाइमिंग ओ- ऑबजर्वेशन। आर- रिएक्शन। इसमें एक्शन आपके निर्देशक से संबंधित है, जो एक्शन कहता है तो आपको किसी डायलॉग में जान डालनी होती है। कॉन्सन्ट्रेशन एक्टिंग के लिए जरूरी है। आप थोड़ा सा भटके तो अपने डायलॉग और किरदार से दूर चले जाएंगे। टाइमिंग सही हो तभी एक्टिंग सफल होती है और ओबजर्वेशन एक्टर का हथियार होता है। आपको हर स्थिति में कुछ न कुछ न रिएक्ट करना ही होता है।
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