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नगर निगम ने बढ़े हुए जुर्माने के रेट पर व्यापारियों पर डेढ़ माह बाद शुरू की कार्रवाई

कमिश्नर केके यादव के दो सप्ताह के अवकाश पर जाने के बाद पीछे से नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने दुकानों के बरामदे में सामान रखने वाले व्यापारियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है।

By Edited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 12:05 AM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 12:22 PM (IST)
नगर निगम ने बढ़े हुए जुर्माने के रेट पर व्यापारियों पर डेढ़ माह बाद शुरू की कार्रवाई
नगर निगम ने बढ़े हुए जुर्माने के रेट पर व्यापारियों पर डेढ़ माह बाद शुरू की कार्रवाई

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कमिश्नर केके यादव के दो सप्ताह के अवकाश पर जाने के बाद पीछे से नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने दुकानों के बरामदे में सामान रखने वाले व्यापारियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। नगर निगम ने डेढ़ माह बाद यह कार्रवाई शुरू की है। जब्त किए हुए सामान को रिलीज करने का जुर्माना 1500 रुपये ही चार्ज किया जा रहा है। 30 जनवरी को होने वाली सदन की बैठक में बरामदे में सामान रखने का जुर्माना 500 से बढ़ाकर 1500 किया गया है, जबकि दूसरी बार चालान कटने पर दो हजार रुपये का जुर्माना लेकर सामान रिलीज करने का फैसला लिया गया था। इस नए जुर्माने के साथ ही दुकानदारों के चालान काटे जा रहे हैं। पिछले साल 20 दिसंबर से नगर निगम ने बरामदे में रखे सामान को उठाने की कार्रवाई बंद की हुई थी, लेकिन अब फिर से अभियान शुरू कर दिया है। सोमवार शाम से लेकर मंगलवार शाम तक नगर निगम ने ऐसे 70 से ज्यादा दुकानदारों का सामान जब्त करके चालान काटे हैं।

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बढ़ा हुआ जुर्माना चार्ज नहीं करें

पार्षदों का कहना है कि नगर निगम एक्ट के अनुसार जो जुर्माना का रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया था, उसके अभी मिनिट्स पास नहीं हुए हैं। ऐसे में अभी बढ़ा हुआ जुर्माना चार्ज नहीं किया जाना चाहिए। 10 हजार रुपये का जुर्माना वापस करने के फैसले पर हुआ था हंगामा वेंडर एक्ट के तहत बरामदे में सामान रखकर कारोबार करने वाले व्यापारियों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला लिया गया है। उस फैसले को वापस लेने पर 30 जनवरी को सदन की बैठक में हंगामा हुआ था। हालांकि अभी यह फैसला वापस नहीं हुआ है, क्योंकि वेंडर एक्ट के बायलॉज में इसका संशोधन होना है। व्यापारियों को वेंडर एक्ट से बाहर निकालने के मामले पर ही कमिश्नर की मेयर और पार्षदों के साथ सदन की बैठक में टकराव हो गया था। कमिश्नर ने पार्षदों द्वारा लिए गए फैसले के विरोध में भी अपना नोट लिखवाया था।


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