Move to Jagran APP

हादसों में शरीर के अंग खोने वालों के लिए Good News, इस तकनीक से लौटेगी पहले जैसी खूबसूरती

कैंसर पीड़ित या एसिड अटैक पीड़ितों के लिए भी यह तकनीक रामबाण साबित होगी। अब जरूरतमंदों को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन्हें काफी कम खर्च में यह सुविधा देश में ही मिल सकेगी।

By Edited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 08:56 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 11:43 AM (IST)
हादसों में शरीर के अंग खोने वालों के लिए Good News, इस तकनीक से लौटेगी पहले जैसी खूबसूरती
हादसों में शरीर के अंग खोने वालों के लिए Good News, इस तकनीक से लौटेगी पहले जैसी खूबसूरती

चंडीगढ़, [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। एसिड अटैक की शिकार युवती पर आधारित फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म आजकल काफी चर्चा में है। एक घटना ने एसिड पीड़िता लड़की की जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया, यह कोई अकेली घटना नहीं है, देश में हर साल ऐसे हजारों मामले होते हैं। लेकिन अब ऐसे मामलों की पीड़िता और किसी भी बड़े हादसे के कारण शरीर के अंग खोने वालों के लिए अच्छी खबर है। अब ऐसे लोगों को उपचार के बाद पहले जैसा व्यक्तित्व (पर्सनेलिटी) मिल सकेगा। इलाज के लिए विदेश जाने या महंगी सर्जरी कराने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

loksabha election banner

चंडीगढ़ के सेक्टर-31 स्थित केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स आर्गेनाइजेशन, सीएसआइओ) और सीएसआइआर की लैब में खास एक्सीडेंटल पेशेंट्स के लिए खास 3डी प्रींडेट पेशेंट स्पेसिफिक मेडिकल इंप्लांट्स (पीएसआइ) तकनीक विकसित की है। जिससे हादसों में घायल लोगों के खराब अंगों को फिर से विशेष तकनीक से पहले जैसा बनाकर उन्हें इंप्लांट किया जा सकेगा। शुक्रवार को सीएसआइओ मुंबई की निजी कंपनी फोब्स एंड कंपनी को यह तकनीक हस्तांतरित की जाएगी।

विदेश से एक तिहाई सस्ता होगा इलाज

सीएसआइओ द्वारा तैयार नई तकनीक में एक्सीडेंट पीड़ितों के लिए की ऊपरी स्किन ही नहीं, उसके बेस (हड्डियों के स्ट्रक्चर) को भी बदला जा सकेगा। अगर चेहरे का एक हिस्सा टूट गया है तो दूसरे हिस्से को भी पहले जैसा बना दिया जाएगा। सीएसआइओ के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. विजय कुमार मीना द्वारा विकसित इस तकनीक से इलाज में विदेश से एक तिहाई कम खर्च लगेगा। हर साल देश में चार लाख लोग हिप ट्रांसप्लांट कराते हैं जोकि 2020 तक इसकी संख्या छह लाख पहुंच जाएगी। पीजीआइ सहित अन्य मेडिकल इंस्टीट्यूट में इस तकनीक का सफल प्रयोग रहा है। डॉ. सैनी ने बताया कि हर रोज देश में हजारों लोग एक्सीडेंट के कारण अपने शरीर के कई अंगों को खो देते हैं। नई तकनीक से वह पहले जैसे आत्मविश्वास की जिंदगी जी सकेंगे। एसिड अटैक, कैंपस आदि के कारण हड्डियां कमजोर या टूट जाती हैं। नई तकनीक से हड्डियों के ढांचे को बदला जा सकेगा। सीएसआइओ साइंटिस्ट ने एक्सीडेंट पीड़ित के लिए स्टैंडर्ड इंप्लांट की खास तकनीक तैयार की है।

करीब एक साल की कड़ी मेहनत के बाद यह संभव हुआ है। कैंसर पीड़ित या एसिड अटैक पीड़ितों के लिए भी यह रामबाण साबित होगा। अब जरूरतमंदों को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन्हें काफी कम खर्च में यह सुविधा देश में ही मिल सकेगी।

-डॉ. सुरेंद्र सिंह सैनी, प्रमुख बिजनेस इनोवेटिव एंड प्रोजेक्ट प्लानिंग, सीएसआईओ, चंडीगढ़।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.