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कमाल की तकनीक, बिना सर्विस प्रोवाइडर करें मोबाइल से बात, डाटा व प्राइवेसी रहेगी सुरक्षित

पंजाब विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों ने ऐसी त‍कनीक विकस‍ित की है, जिसने आपके मोबाइल का डाटा सु‍रक्षित रहेगा और साइबर क्राइम से भी बच सकेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 10:25 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 04:11 PM (IST)
कमाल की तकनीक, बिना सर्विस प्रोवाइडर करें मोबाइल से बात, डाटा व प्राइवेसी रहेगी सुरक्षित
कमाल की तकनीक, बिना सर्विस प्रोवाइडर करें मोबाइल से बात, डाटा व प्राइवेसी रहेगी सुरक्षित

चंडीगढ़, [डॉ. रविंद्र मलिक]। अब आपके माेबाइल का डाटा पूरी तरह सुरक्षित होगा और आप साइबर क्राइम का शिकार हाेने से बच सकेंगे। किसी से बात करते हुए अब आपकी प्राइवेसी को भी कोई खतरा नहीं है। आपकी बातचीत सहित हर तरह का डाटा पूरी तरह से सुरक्षित होगा। इसके लिए पंजाब विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों ने नायब तकनीक विकसित की है। सबसे कमाल की बात है कि बिना किसी सर्विस प्रोवाइडर के मोबाइल पर बातचीत कर सकेंगे।

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पंजाब यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (यूआइईटी) के टीचर्स और स्टूडेंट्स ने ऐसा उपकरण व तकनीक ईजाद की है, जिससे आपको बातचीत के लिए सर्विस प्रोवाइडर की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आपके पास बस इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए। इसके बाद इस यंत्र को इंटरनेट पर जोड़ा जाएगा और आपकी बात सामने वाले व्यक्ति से मोबाइल पर संभव होगी।

पीयू की फैकल्टी और रिसर्च स्कॉलर्स ने ईजाद की नई तकनीक, इंटरनेट कनेक्शन से होगी बातचीत

इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत है कि न तो आपको सर्विस प्रोवाइडर की जरूरत होगी और न ही किसी तरह की प्राइवेसी व डाटा लीक होने का खतरा रहेगा। छोटे एरिया में यह तकनीक बेहद कारगर है। किसी भी छोटी कॉलोनी या एरिया में इसको आसानी से लागू किया जा सकता है। रिमोट एरिया में भी काफी कारगर साबित हो सकती है। विभाग की प्रो. साक्षी, प्रो. सरबजीत और प्रो. हरीश के सुपरविजन में रिसर्च स्कॉलर नीतिश महाजन और चीनू सिंगला सहित एमटेक की टीम ने यह तकनीक खोजी है।    

इस तकनीक को अपनाकर बेफिक्र होकर चेटिंग आदि कर सकते हैं।

खुद का सर्वर होगा, प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स और छोटे एरिया में  कम्युनिकेशन में बेहद प्रभावी तकनीक

प्रो. साक्षी के अनुसार इस तकनीक को बनाने में करीब 2 साल लगे। इसमें पीयू के यूआइईटी के टीचर्स और पीएचडी स्कॉलर्स ने अपना योगदान दिया है। दो स्टूडेंट्स को करीब साढ़े 14 लाख की स्कॉलरशिप मिली है। वहीं, अन्य उपकरण खरीदने, इन्फ्रास्ट्रक्चर जोडऩे और लैब बनाने में भी करीब इतना ही खर्च आया है। इस तरह के प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार से सर्टिफिकेशन चाहिए, जिसका काम शुरू हो चुका है।

चार आर्मी एरिया में सबसे पहले किया गया इस्तेमाल

प्रो. साक्षी का कहना है कि संस्थान द्वारा बनाई गई तकनीक व उपकरण का इस्तेमाल चार आर्मी कैंटोनमेंट में सबसे पहले किया गया। करीब 10 हजार लोग बिना सर्विस प्रोवाइडर के इंटरेनट के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं।

छोटे एरिया में बेहद कारगर

प्रो. साक्षी बताती हैं यह तकनीक छोटे एरिया में बेहद कारगर है। खुद फैकल्टी की मानें तो पीयू कैंपस, जहां पहले ही वाईफाई है, वहां इसके माध्यम से बातचीत बेहद आसान है। किसी भी प्राइवेट इंस्टीट्यूट, फैक्टरी, कॉलोनी या सोसायटी एरिया में इसका इस्तेमाल संवाद स्थापित बेहद आसानी से किया जा सकता है।

 

सर्विस प्रोवाइडर की जरूरत होगी बस इंटरनेट एक्‍सेस होना चाहिए।

तीन लाख लाइनों पर हो सकती है बातचीत

प्रो. साक्षी के मुताबिक इस तकनीक के माध्यम से तीन लाख लाइनों पर बात हो सकती है। इसकी टेस्टिंग का काम बाकायदा लैब में किया जा चुका है। इतना ही नहीं, विभाग में भी टीचर्स आपसी बातचीत के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तकनीक में सर्वर पर खुद का नियंत्रण होगा।

 

5जी में भी बातचीत के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल होगा

प्रो. हरीश के अनुसार आने वाली 5जी तकनीक भी इसी तरह की होगी, जिसमें बातचीत के लिए मुख्य रूप से इंटरनेट पर ही निर्भर रहा जाएगा। इसमें भी सर्विस प्रोवाइडर की अहमियत कम होगी। 2021 तक इसका स्टेंडर्ड फाइनल होना है और 2023 तक इंस्टॉलेशन पूरा कर इसको शुरू कर दिया जाएगा। 

 

 कॉलेज, छोटे एरिया और सोसायटी क्षेत्र में यह तकनीक बेहद कारगर।

तीन कंपनियां खरीदना चाहती हैं तकनीक

प्रो. हरीश के मुताबिक पीयू द्वारा बनाई गई तकनीक को खरीदने के लिए तीन कंपनियां आगे आई हैं। वहीं, यूआइईटी चाहती है कि तकनीक को बेचने के बाद इसका कुछ हिस्सा बतौर रॉयल्टी मिले। इसको लेकर बातचीत चल रही है। कंपनियों के साथ बैठक भी हो चुकी है।    

10 हजार लोगों पर करीब 25 लाख है खर्च

प्रो. हरीश ने बताया कि करीब 10 हजार लोगों को इस तकनीक से बातचीत करने में करीब 25 लाख का खर्च आएगा। 25 लाख में उपकरणों की लागत और इनको लगाने में आना वाला खर्च होगा शामिल होगा। इसके अलावा इसका रखरखाव का खर्च होगा। वहीं, इसमें मोबाइल का खर्च शामिल नहीं। इसके अलावा इंटरनेट के लिए तार बिछाने या एंटीना से यह खर्च बढ़ जाएगा।


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