छात्र संघ चुनाव : ABVP को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के उतरने का नहीं मिला लाभ Chandigarh News
एबीवीपी को छात्र संघ चुनाव जीताने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने पीयू में शिरकत की थी। तिरंगा यात्रा की आड़ में चलकर स्टूडेंट्स से वोट मांगे गए थे।
By Edited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 12:52 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 11:19 AM (IST)
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को जीत हासिल हो, इसके लिए जीतोड़ मेहनत की गई थी लेकिन वह सब बेकार हो गई। एबीवीपी को छात्र संघ चुनाव जीताने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने पीयू में शिरकत की थी। तिरंगा यात्रा की आड़ में चलकर स्टूडेंट्स से वोट मांगे गए थे। इसके अलावा एबीवीपी के रीजनल संचालक विक्रांत खंडेलवाल, एबीवीपी की नेशनल सेक्रेटरी हेमा शर्मा सहित विभिन्न नेताओं ने पीयू में जमावड़ा लगाकर रखा।
विभिन्न हॉस्टलों के वार्डन ने एबीवीपी के नेताओं संग बैठकें की जिसके चक्कर में उन्हें चेतावनी तक मिली। एक वार्डन को एबीवीपी के कार्यक्रम में शामिल होने के कारण चुनाव कमेटियों से हाथ धोना पड़ा लेकिन किसी की एक नहीं चली और एबीवीपी अलायंस में भी कोई सीट हासिल नहीं कर पाई। यहां तक कि शहर के स्थानीय भाजपा नेताओं ने भी सोशल मीडिया और डोर-टू-डोर जाकर एबीवीपी के पक्ष में वोट मांगे। एबीवीपी ने प्रेसिडेंट के पद पर पारस रतन के अलावा वाइस प्रेसिडेंट की पोस्ट पर दिव्या चोपड़ा को खड़ा किया था। वहीं, इनसो से अलायंस करके सेक्रेटरी की पोस्ट पर गौरव दूहन और ज्वाइंट सेक्रेटरी की पोस्ट पर एचपीएसयू छात्र संगठन के रोहित शर्मा को उतारा था। कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हो सका।
वीसी पर भी एबीवीपी को जीताने के लगे थे आरोप
विभिन्न राष्ट्रीय नेताओं के अलावा पीयू के वाइस चांसलर पर भी एबीवीपी को जीताने के आरोप लगे थे। वीसी पर यह भी आरोप लगा था कि छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को जीताने के लिए डीएसडब्ल्यू प्रो. इमैनुअल नाहर को सीनेट में धक्के से हटाया गया। हालांकि प्रो. नाहर ने दोबारा कोर्ट के जरिये डीएसडब्ल्यू की कुर्सी को हासिल कर लिया। इतना होने के बाद भी एबीवीपी छह सितंबर को खाली हाथ रही। इनसो के साथ मिलकर जमकर दी स्टूडेंट्स को पार्टी छात्र संघ चुनाव जीतने के लिए एबीवीपी ने इनसो छात्र संगठन के साथ मिलकर पार्टियों का भी आयोजन किया। यह पार्टियों विभिन्न क्लबों के हुई। इसके अलावा लंच और डिनर का भी आयोजन किया गया था। सूत्रों की मानें तो वीरवार को वोट के बदले मोबाइल फोन देने तक भी बात हुई थी लेकिन एबीवीपी का कोई भी हथकंडा काम नहीं आया और सोई छात्र संगठन ने प्रेसिडेंट और अन्य तीन पदों पर एनएसयूआइ ने कब्जा कर लिया।
विभिन्न हॉस्टलों के वार्डन ने एबीवीपी के नेताओं संग बैठकें की जिसके चक्कर में उन्हें चेतावनी तक मिली। एक वार्डन को एबीवीपी के कार्यक्रम में शामिल होने के कारण चुनाव कमेटियों से हाथ धोना पड़ा लेकिन किसी की एक नहीं चली और एबीवीपी अलायंस में भी कोई सीट हासिल नहीं कर पाई। यहां तक कि शहर के स्थानीय भाजपा नेताओं ने भी सोशल मीडिया और डोर-टू-डोर जाकर एबीवीपी के पक्ष में वोट मांगे। एबीवीपी ने प्रेसिडेंट के पद पर पारस रतन के अलावा वाइस प्रेसिडेंट की पोस्ट पर दिव्या चोपड़ा को खड़ा किया था। वहीं, इनसो से अलायंस करके सेक्रेटरी की पोस्ट पर गौरव दूहन और ज्वाइंट सेक्रेटरी की पोस्ट पर एचपीएसयू छात्र संगठन के रोहित शर्मा को उतारा था। कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हो सका।
वीसी पर भी एबीवीपी को जीताने के लगे थे आरोप
विभिन्न राष्ट्रीय नेताओं के अलावा पीयू के वाइस चांसलर पर भी एबीवीपी को जीताने के आरोप लगे थे। वीसी पर यह भी आरोप लगा था कि छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को जीताने के लिए डीएसडब्ल्यू प्रो. इमैनुअल नाहर को सीनेट में धक्के से हटाया गया। हालांकि प्रो. नाहर ने दोबारा कोर्ट के जरिये डीएसडब्ल्यू की कुर्सी को हासिल कर लिया। इतना होने के बाद भी एबीवीपी छह सितंबर को खाली हाथ रही। इनसो के साथ मिलकर जमकर दी स्टूडेंट्स को पार्टी छात्र संघ चुनाव जीतने के लिए एबीवीपी ने इनसो छात्र संगठन के साथ मिलकर पार्टियों का भी आयोजन किया। यह पार्टियों विभिन्न क्लबों के हुई। इसके अलावा लंच और डिनर का भी आयोजन किया गया था। सूत्रों की मानें तो वीरवार को वोट के बदले मोबाइल फोन देने तक भी बात हुई थी लेकिन एबीवीपी का कोई भी हथकंडा काम नहीं आया और सोई छात्र संगठन ने प्रेसिडेंट और अन्य तीन पदों पर एनएसयूआइ ने कब्जा कर लिया।
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