शहीदों की नजर में आजादी दा सुपणा
एक आग जो 21 वर्ष तक सीने में दबाए शहीद ऊधम सिंह घूम रहे थे।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : एक आग जो 21 वर्ष तक सीने में दबाए शहीद ऊधम सिंह घूम रहे थे। उनका सपना था जलियांवाला बाग के नरसंहार का बदला। ये बदला चुकाने के लिए उन्होंने कई देशों की यात्रा की। आखिरकार 21 वर्ष बाद उन्होंने जनरल डायर को मारकर इस सपने को पूरा किया। पंजाब कला भवन-16 में मंचित नाटक आजादी दा सुपणा में शहीद ऊधम सिंह के इसी सपने को पूरा होते हुए दिखाया गया। पंजाबी संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित नौजवान निर्देशकां दा रंगमंच के आखिरी दिन इसका मंचन किया गया। नाटक को कपूर सिंह घुमण ने लिखा और राजेश शर्मा ने इसका निर्देशन किया। नाटक जलियांवाला बाग के नरसंहार के बाद पर आधारित है। जहां ऊधम सिंह बदला लेने की ठानते हैं। आखिरकार 21 साल के बाद उन्होंने जनरल डायर को मार कर बदला पूरा करते हैं। निर्देशक राजेश ने कहा कि इस नाटक के अब तक 10 के करीब शो कर चुके है। उन्होंने कहा कि 20-25 साल मैंने पहले इस कहानी को पढ़ा। जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार को इस वर्ष 100 साल पूरे हुए तो यह कहानी दोबारा जेहन में आई। सोचा इस मौके पर इस कहानी को मंच पर उतारना चाहिए। नाटक के लिए हमने पुराने टेलीफोन टेबल के अलावा भी कई चीजें डिजाइन करवाई। जो उस दौर के डिजाइन की तरह मेल खाती हो। इन्होंने किया अभिनय
नाटक में अभिनय पक्ष खूबसूरत रहा। जहां जलियांवाला बाग के कांड और उसके बाद शहीद ऊधम सिंह के किरदार को खूबसूरती से जीवंत किया गया। नाटक में राजेश, कविता, विक्की चौहान, अनमोल, राजबीर, रविदर सिंह आदि कलाकारों ने अभिनय किया।