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फिर छोटेपुर पर डोरे डालने लगी आम आदमी पार्टी, वापस लाने की तैयारी

आम आदमी पार्टी एक बार फिर सुच्‍चा सिंह छोटेपुर पर डाेरे डाल रही है। आप अभी कन्‍वीनर पद से हटा चुकी छोटेपुर को फिर पार्टी में वापस लाना चाहती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 12:02 PM (IST)
फिर छोटेपुर पर डोरे डालने लगी आम आदमी पार्टी, वापस लाने की तैयारी
फिर छोटेपुर पर डोरे डालने लगी आम आदमी पार्टी, वापस लाने की तैयारी

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब से सिमटने के बाद आम आदमी पार्टी ने पूर्व कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर पर पार्टी में वापसी के लिए डोरे डालना शुरू कर दिए हैं। दो हफ्ते से चल रही इस कवायद को लेकर रविवार रात आप के वरिष्ठ नेताओं ने छोटेपुर से मोहाली स्थित आवास पर मुलाकात की। मुलाकात का कोई हल नहीं निकल सका। छोटेपुर ने भी खुलासा किया है कि अभी उन्होंने पार्टी में वापसी को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। पार्टी पर उनके जो आरोप पहले थे, वही आज भी हैं।

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आप नेताओं से मुलाकात, दो घंटे चली मनाने की कवायद

विधानसभा चुनाव से एक साल पहले से ही छोटेपुर ने पंजाब में आम आदमी पार्टी के कन्वीनर के रूप में पार्टी को संगठित करने का काम किया था। जिला स्तर तक उन्होंने पराधिकारियोंं की नियुक्ति से लेकर चुनाव में उम्मीदवारों के चयन का तमाम कार्यकर्ताओं को भरोसा दिया था। विधानसभा चुनाव से तीन माह पहले जब उम्मीदवारों की लिस्ट का एेलान शुरू हुआ, तो पहली ही लिस्ट आने के बाद छोटेपुर व खैहरा ने उम्मीदवारों के नाम के चयन पर एतराज जताया था। छोटेपुर की ओर से दिए गए तीन उम्मीदवारों के नाम लिस्ट से काट दिए गए थे। खैहरा की ओर से दिए गए दो नामों को काट दिया गया था।

दूसरी लिस्ट आते ही टिकट न मिलने से नाराज कई दावेदारों ने टिकटों की खरीब फरोख्त का आरोप लगाना शुरू कर दिया था। पार्टी इन आरोपों को लेकर कठघरे में भी खड़ी हो गई थी। तत्कालीन पंजाब प्रभारी संजय सिंह पर भी एक करोड़ रुपये लेकर टिकट देने का सीधा आरोप एक दावेदार ने लगाया था। इसके बाद अनाचक से चुनाव से पहले भ्रष्टाचार मिटाने का दावा करके सत्ता में आने का सपना देखने वाली आप की पोल खुलनी शुरू हो गई। नतीजतन सियासी कूटनीति के तहत दिल्ली की टीम ने उस समय मान के इशारों पर भ्रष्टाचार का सारा ठीकरा छोटेपुर पर फोड़कर उन्हें कन्वीनर के पद से हटा दिया था।

पार्टी ने घोषणा की थी कि छोटेपुर का टिकट के पदले पैसे लेने का एक स्टिंग सामने आने के बाद यह कार्रवाई की गई है। हालांकि, स्टिंग आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका। छोटेपुर ने अपना पंजाब पार्टी बनाकर विस चुनाव में आप के वोट कटुआ पार्टी के रूप में अपनी भूमिका निभाई।

अब खैहरा गुट के आठ विधायकों के साथ बागी होने के बाद केजरीवाल ने नए सिरे से छोटेपुर को पार्टी में लाकर संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। विधायक एडवोकेट एचएस फूलका ने भी आरोप लगाए थे कि खुद मुख्तियारी के फैसले पर पार्टी की नीति से वह संतुष्ट नहीं हैं। रविवार रात को सह प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह, नेता प्रतिपक्ष एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा, प्रोफेसर बलजिंदर कौर सहित 9 विधायकों व नेताओं की टीम छोटेपुर के आवास पर देर रात दो बजे तक उन्हें मनाने के लिए डेरा डाले रही।

पार्टी ने नहीं दिया मेरे सवालों का जवाब: छोटेपुर

छोटेपुर ने कहा कि अभी पार्टी ने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया है। उन्होंने खैहरा गुट पर नाराजगी जताई कि जब उनके साथ धककेशाही हुई थी, तो कंवर संधू को छोड़कर कोई भी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ था। आप ने पंजाब व पंजाबियों के साथ धोखा किया है। इसलिए वह अभी अपने अगले स्टैंड के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहते हैं।

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छोटेपुर की नाराजगी जायज: बलबीर

पार्टी सह प्रभारी डॉ. बलबीर सिंह ने स्वीकार किया कि वह टीम के साथ रविवार रात छोटेपुर से शिष्टाचार के तहत मिलने गए थे। पार्टी से उनकी विभिन्न मुुद्दों पर नाराजगी जायज है। हमने पार्टी स्तर पर जो कमियां रह गई थीं उन्हें भी स्वीकार किया है।

मान नहीं संभालेंगे कमान

भगवंत को पार्टी की कमान सौंपने की की गई केजरीवाल की तैयारी को उस समय झटका लगा जब मान प्रदेश में पार्टी का कमान संभालने से पीछे हट गए। एक बार फिर मान ने कूटनीति करके खुद को आप की अंदरूनी सियासत से किनारे रखने की कोशिश की है। सुखपाल सिंह खैहरा गुट के बागी होने के बाद पार्टी की कोशिश थी कि मान को नए सिरे से पार्टी की मना सौंपी जाए।

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केजरीवाल की टीम के सबसे करीबी माने जाने वाले मान पहले भी प्रधान रह चुके हैं। केजरीवाल की ओर से नशे के मुद्दे पर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया से माफी मांगने के विरोध में मान ने प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से पार्टी ने किसी को उस पद पर नहीं बैठाया है। बीत में मनीष सिसोदिया ने भी काफी कोशिशें की थीं कि मान को ही दोबारा जिम्मेदारी सौंपी जाए, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी में चल रही बगावत को देखते हुए मान अपना चुनाव खराब नहीं करना चाहते हैं। उनकी कोशिश है कि दोनों गुटों की तरफ से सियासी मलाई खाई जाए।

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