पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी से छिन सकता है मुख्य विपक्षी दल का दर्जा
सुखपाल सिंह खैहरा के आम आदमी पार्टी को अलविदा कहने के बाद आप के विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के दर्जा पर खतरा पैदा हो गया है।
चंडीगढ़, [जय सिंह छिब्बर]। आम आदमी पार्टी छोड़ चुके सुखपाल खैहरा ने नई पार्टी का गठन तो कर लिया है, लेकिन उन्हें अभी अन्य बागी विधायकों का साथ नहीं मिला है। बताया जाता है कि आप से बागी छह विधायक दल-बदल कानून की कार्रवाई से बचने के लिए प्रत्यक्ष रूप से सुखपाल खैहरा की पंजाबी एकता पार्टी में शामिल नहीं होंगे। आप लीडरशिप पर दबाव बनाने के लिए वे अलग ग्रुप बनाकर ही चलेंगे। अप्रत्यक्ष तौर पर वे सुखपाल खैहरा को समर्थन देते रहेंगे। दूसरी ओर, आप भी इन विधायकों पर कार्रवाई करती है तो पंजाब विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का उसका दर्जा खतरे में पड़ जाएगा।
बागी एमएलए खैहरा की पार्टी में शामिल हुए, तो आप विधायकों की संख्या घट कर 12 रह जाएगी
इस तरह नए राजनीतिक समीकरण बनने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। यदि आप हाईकमान इन बागी विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है और उन की सदस्यता रद करवाने की पहल करती है तो आप का विपक्ष का पक्ष का ओहदा खतरे में पड़ सकता है। आम आदमी पार्टी के पास 20 विधायक थे।
सीनियर वकील एचएस फूलका और सुखपाल सिंह खैहरा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। इस तरह पार्टी हाईकमान यदि बागी छह विधायकों पर कार्रवाई करती है तो आप की संख्या घटकर 12 रह जाएगी। शिअद के विधायकों की संख्या 13 है, इस तरह विरोधी पक्ष का ओहदा अकाली दल के पास जा सकता है।
आम आदमी पार्टी ने 26 जुलाई, 2018 को सुखपाल खैहरा को नेता विपक्ष के पद से हटा दिया था। इसके बाद खैहरा समेत आठ विधायकों ने ख़ुद मुखत्यारी की मांग को लेकर पार्टी लीडरशिप खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पार्टी की कोर समिति ने सुखपाल खैहरा व खरड़ से विधायक कंवर संधू को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया था।
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सभी विधायक मेरे साथ: खैहरा
सुखपाल खैहरा का कहना है कि सभी विधायक उनके साथ हैं, लेकिन वह नहीं चाहते कि विरोधी पक्ष का ओहदा सुखबीर बादल के पास जाए। यदि आप हाईकमान सुखबीर बादल को विरोधी पक्ष का नेता बनाना चाहती है, तो बागी विधायक इस्तीफा दे कर आप नेताओं की यह इच्छा भी पूरी कर देंगे। खैहरा ने तर्क दिया कि वह उपचुनाव करवाकर सरकारी खजाने की बर्बादी करने के इच्छुक नहीं हैं। क्योंकि पंजाब की वित्तीय स्थिति पहले ही दयनीय है।
पंजाब की बर्बादी के लिए कैप्टन भी जिम्मेदार
पार्टी की घोषणा के खैहरा ने कहा कि पंजाब को तबाही की कगार पर पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बराबर के जिम्मेदार हैं। ड्रग्स मामले में वे बड़ी मछलियों को बचा रहे हैं। कैप्टन के दामाद ईडी के चंगुल में फंसे हैं। कैप्टन और भाजपा में सांझ है। दिल्ली दरबार ने हमेशा पंजाब के साथ धोखा किया है। पंजाब विधानसभा की तरफ से राजस्थान से 16 लाख करोड़ रुपये वसूलने के लिए सदन में प्रस्ताव पास किया हुआ है, लेकिन अकाली दल और कैप्टन सरकार ने अभी तक राजस्थान से पानी की वसूली के लिए बिल तक नहीं भेजा। बादल परिवार ने अपने राजनीतिक हितों के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाएं करवाई हैं।
सिद्धू की तारीफ, केजरीवाल खिलाफ नहीं बोले
खैहरा ने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की जमकर तारीफ की। उन कहा कि सिद्धू तेलंगाना की तर्ज पर रेत खनन माफिया को खत्म करने के लिए पॉलिसी लेकर आए थे, लेकिन कैप्टन ने उनकी पॉलिसी को नहीं माना। बल्कि बड़े लोगों को रेत खनन का कारोबार दिलाने के मकसद पर कई खड्डों का समूह बना दिया, इससे आम लोग रेत खड्डें लेने के बारे में सोच भी नहीं सकते।