पार्क में अवारा कुत्तों ने डेढ़ साल के बच्चे को नोंच-नोंच कर मार डाला
सेक्टर 18 में डिवाइडिंग रोड के साथ लगते पार्क में दो भाई-बहनों के साथ खेल रहे डेढ़ साल के बच्चे को 4-5 कुत्तों ने नोंच-नोंच कर मार डाला।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सेक्टर 18 में डिवाइडिंग रोड के साथ लगते पार्क में दो भाई-बहनों के साथ खेल रहे डेढ़ साल के बच्चे को 4-5 कुत्तों ने नोंच-नोंच कर मार डाला। मृतक की पहचान मलोया निवासी आयुष के रूप में हुई। सुबह करीब 11 बजे उसकी मां व दादी सबको खेलते हुए छोड़कर नजदीक वाली कोठियों में काम करने चली गई। तीनों भाई-बहन खेलने में मशगूल हो गए। अचानक आसपास के आवारा कुत्तों ने उस पर हमला बोल दिया। बच्चा जब किसी तरह उठकर खड़ा होने लगा तो कुत्तों ने उसे नोंचना शुरू कर दिया। कुत्तों ने बच्चे के सिर और कमर का बड़ा हिस्सा काट खाया। कुत्तों द्वारा हमला बोलने से आयुष के तीन भाई-बहन भी सहम गए और वो डर के मारे झूले पर चढ़ गए। सामने काम कर रहे एक माली ने जब शोर सुना तो भागकर कि सी तरह कुत्तों को भगाया। इसके बाद आवाज देकर आसपास के लोगों को बुलाया। बच्चे की हालत देखकर मां ममता बदहवास हो गई। बच्चे के रिश्तेदार विकास ने बताया कि कुत्तों ने हमला अचानक किया था। सिर और कमर में ज्यादा घाव होने के चलते मौत हुई। उनके अनुसार अकेले इस एरिया में ही 40 से 50 कुत्ते हैं। नगर निगम के कर्मचारी भी कुछ नहीं करते। काफी खून बह जाने के बाद बच्चे की हालत गंभीर हो गई थी। गवर्नमेंट मेडिकल हॉस्पिटल सेक्टर 16 ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। रविवार को छुंट्टी होने के चलते पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका, जिसके चलते शव परिजनों को सौंपा नहीं जा सका।
मां ने चुन्नी से ढककर अस्पताल पहुंचाया
कुत्तों ने बच्चे के सिर का पिछला हिस्सा पूरी तरह नोंच लिया था जिसके चलते बच्चे बेहोश हो गया। मां ने चुन्नी से उसका सिर ढककर उसे अस्पताल पहुंचाया। घाव के कारण उसके सिर के अंदर का हिस्सा भी दिखने लगा था।
डॉग बाइट के हर महीने सामने आ रहे 800 मामले
हर महीने में में औसतन 800 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। एंटी रैबीज सेंटर पर भी रोज करीब तीस लोग तो आते ही हैं। मई में कुत्ते के काटने के लिए 844 केस सामने आए। अप्रैल में 801 मामले डिस्पेंसरी तक पहुंचे। अप्रैल में यह आंकड़ा 795 था। ऐसे में हर महीने केस बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि यह सिर्फ चंडीगढ़ के मामले नहीं है। हर महीने 200 के लगभग मामले पंचकूला मोहाली एरिया के भी चंडीगढ़ आते हैं। साल में करीब 11 हजार डॉग बाइट के केस आ रहे हैं। दैनिक जागरण ने किया था सचेत, फिर भी नहीं टूटी नींद
दैनिक जागरण ने 15 जून को कुत्तों के आतंक पर मुद्दा प्रकाशित किया था और प्रशासन को इस गंभीर समस्या के बारे में बताया था। अगर प्रशासन की नींद टूट गई होती तो शायद मासूस की जान बच जाती। पार्को में खेलना और बच्चों को छोड़ना भी अब सुरक्षित नहीं रह गया है। हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
पिछले साल डॉग बाइट के मामले इतने बढ़ गए थे कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक ने संज्ञान लेकर प्रशासन को तलब कर लिया था। साथ ही जमकर फटकार भी लगाई थी। उसके बाद चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के मेयर ने ज्वाइंट मीटिंग बुलाई थी, लेकिन इस एक ज्वाइंट मीटिंग तक ही बात सिमट कर रह गई। 12 महीने बीत चुके हैं। अभी तक दोबारा ऐसी मीटिंग नहीं हो सकी। यह मामला काफी दुर्भाग्यपूर्ण है, मामले की सूचना मिलते ही हमने कुत्तों को पकड़ने वाली टीम को मौके पर भेज दिया था और मौके से दो कुत्तों को पकड़ा है। इस हादसे के बाद मैंने अपनी कुत्तों को पकड़ने वाली टीम को निर्देश दे दिए हैं कि पार्को में रहने वाले कुत्तों को पकड़ कर तुरंत वहां निकाला जाए।
एमएस कांबोज, नोडल अधिकारी, आवारा पशु शिकायत विंग।