कोरोना काल में घरेलू कलह और आर्थिक तंगी में 87 ने दी जान
25 अगस्त तक 64 ने दी जान जॉब की टेंशन और डिप्रेशन वजह।
कुलदीप शुक्ला, चंडीगढ़ : कोरोना काल से अकेलेपन, आर्थिक तंगी, जॉब जाने की टेंशन, घरेलू कलह और कारोबार में नुकसान की वजह से लोगों में डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है। शहर में अब तक इस वर्ष रिकॉर्ड 87 लोगों ने खुदकुशी की है। जिसमें लॉकडाउन के दौरान 22 मार्च से 25 अगस्त तक 64 लोगों ने आत्महत्या की है। वहीं, खुदकुशी करने की कोशिश करने वाले सात लोगों को बचाया भी गया है। वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वालों की कुल संख्या 63 थी। जून माह में ही 17 ने दी जान
24 मार्च से 31 मई तक कर्फ्यू के दौरान शहर में कुल 13 लोगों ने खुदकुशी की थी। जिसमें जॉब जाने की टेंशन, घरेलू कलह, अकेलापन और आर्थिक तंगी जैसे वजह शामिल थे। इसके बाद अकेले जून महीने में 17 लोगों ने आत्महत्या कर ली। 95 प्रतिशत की उम्र 25 से 50 वर्ष
नौकरी जाने की टेंशन, घरेलू कलह, कारोबार में नुकसान और आर्थिक तंगी से आत्महत्या करने वालों की उम्र 25 से 50 वर्ष के बीच हैं। पुलिस की जांच में ज्यादातर केस में सुसाइड नोट नहीं बरामद हुए है। जबकि कई केसों में लॉकडाउन में आने वाली इसी तरह की परेशानियों की जिक्र है। केस स्टडी
-22 मार्च को इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एलांते मॉल के शोरूम में काम करने वाले रामदरबार निवासी सेल्समैन 38 वर्षीय अजय कुमार ने घर में फंदा लगाकर जान दी थी। एलांते मॉल बंद होने के डर से उसने जान दी।
-नौ मई को हल्लोमाजरा में 39 वर्षीय मुंशीलाल ने परिवार की पालना में आर्थिक तंगी से दिक्कत आने पर फंदा लगाकर खुदकुशी की कोशिश की थी। स्वजनों की नजर पड़ने पर जल्द अस्पताल पहुंचाने पर उसकी जान बच गई थी।
-16 मई की शाम धनास की ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में 23 वर्षीय युवती ने चुन्नी के सहारे पंखे से फंदा लगाकर खुदकुशी की थी। थाना प्रभारी रामरतन के अनुसार वह काफी समय से घर में परिवार के बीच रहकर घरेलू कलह से परेशान थी।
-15 मई की रात कोरोना हॉटस्पॉट बन चुके बापूधाम में रहने वाले विजय ने लॉकडाउन की वजह से पत्नी और बच्चे के ससुराल में फंसने की वजह से खुद को चाकू मारकर खुदकुशी की कोशिश की थी। विजय ने अकेलापन की वजह से कदम उठा लिया था। ऐसे बचाएं अनमोल जिदगी
पंजाब यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी के डॉ. रोशन लाल दे रहे हैं टिप्स
-ऐसे समय में खुद को आशावादी और मजबूत बनाएं।
-किसी काम को छोटा नहीं समझकर परिस्थितियों के अनुसार ढल जाएं।
-परेशान दिखने वाले की सामाजिक सपोर्ट जरूरी है।