स्ट्रीट वेंडरों से फूड खाने वाले हो जाएं सावधान, 80 प्रतिशत के खाद्य पदार्थ हाइजेनिक नहीं
पीजीआई की टीम ने 400 स्ट्रीट फूड वेंडरों का इंटरव्यू किया। इसमें पाया गया है कि 80 प्रतिशत वेंडरों के लंबे नाखुन और बाल हैं। वेंडर बिना हाथ धोए और बिना दस्ताने पहने खाना बनाते हैं।
चंडीगढ़ [राजेश ढल्ल]। स्ट्रीट वेंडरों से चीजें खाने वाले सावधान हो जाए क्योंकि उनके यहां पर बिकने वाला खाना स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं है। यह निष्कर्ष पीजीआई की एक स्टडी में सामने आया है। स्टडी के अनुसार 90 प्रतिशत वेंडर अपने हाथ साबुन से नहीं धाेते हैं और 80 प्रतिशत के फूड हाइजेनिक नहीं है। इसलिए इनका खाना खाना आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो साबित हो सकता है।
इस रिसर्च के लिए पीजीआई की टीम ने 400 स्ट्रीट फूड वेंडरों का इंटरव्यू किया। इसमें पाया गया है कि 80 प्रतिशत वेंडरों के लंबे नाखुन और बाल हैं। वेंडर बिना हाथ धोए और बिना दस्ताने पहने खाना बनाते हैं। सफाई की व्यवस्था भी उनके काम करने वाले स्थान पर अच्छी नहीं है। रिसर्च में सर्फ 10 से 12 वेंडर ऐसे मिले जो भोजन तैयार करने से पहले अच्छी तरह हाथ धोते हैं। सर्वे में यह भी बात सामने आई है कि 90 प्रतिशत वेंडर डस्टबिन का भी प्रयोग नहीं कर रहे हैं। 40 से 50 प्रतिशत वेंडर सब्जियां अच्छी तरह से नहीं धोते हैं।
हाईजेनिक फूड के लिए इन चीजों का इस्तेमाल जरूरी
पीजीआई के डॉक्टरों के अनुसार वेंडरों को दस्ताने, कैप और एप्रन का प्रयोग जरूर करना चाहिए। यह फूड को हाइजेनिक बनाने में काफी मददगार होता है। डॉ. पुष्कर ने इस संबंध में नगर निगम को पत्र भी लिखा है। मालूम हो कि शहर में स्ट्रीट वेंडर एक्ट लागू करवने की जिम्मेवारी नगर निगम की है। नगर निगम का पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसन और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के साथ एक समझौता भी हुआ हे जिसके तहत स्ट्रीट फूड वेंडरों को अगले दिनों में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
एमओएच विभाग करेगा सख्ती
शहर में जो भी स्ट्रीट फूड वेंडर अनहाइजेनिक स्थिति में खाना बना रहा है उसके खिलाफ नगर निगम का एमओएच विभाग जल्द अभियान छेड़ने जा रहा है। इसके साथ ही इन वेंडरों का जल्द प्रशिक्षण शुरू हो सके, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। इस समय शहर में 4 हजार वेंडर हैं जो की नगर निगम को हर माह शुल्क अदा कर रहे हैं।