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ट्राईसिटी के 80 प्रतिशत लोग थर्ड जेंडर से अंजान

जारी रिपोर्ट के अनुसार 10 में से दो केस यौन उत्पीड़न के कारण हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 08:50 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 06:06 AM (IST)
ट्राईसिटी के 80 प्रतिशत लोग थर्ड जेंडर से अंजान
ट्राईसिटी के 80 प्रतिशत लोग थर्ड जेंडर से अंजान

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : व‌र्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की वर्ष 2016 में जारी रिपोर्ट के अनुसार 10 में से दो केस यौन उत्पीड़न के कारण हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण क्या है, इसे जानने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में आर्किटेक्चर की छात्रा पारूल ने आर्किटेक्ट रियाजुल समद बिन मोहम्मद की गाइडेंस में सर्वे किया, जिसमें सामने आया कि ट्राईसिटी के 80 प्रतिशत लोगों को थर्ड जेंडर का सही ज्ञान नहीं है। इसके साथ लोग थर्ड जेंडर के बारे में बात भी नहीं करना चाहते। पारूल ने यह सर्वे एक साल में पूरा किया है, जिसमें यूनिवर्सिटी, कॉलेज और स्कूल के टीचिग स्टाफ और स्टूडेंट्स से फीडबैक लिया गया है। सर्वे में 30 प्रश्न पूछे गए थे जोकि थर्ड जेंडर से जुड़े थे। 20 प्रतिशत लोगों ने सर्वे के पेज को खोलने के बाद भरने की कोई इच्छा नहीं जताई। बिना किसी प्रश्न का जवाब दिए पेज बंद कर दिया। वहीं, 15 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने सर्वे को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया। इन लोगों के अनुसार यह प्रकृति की स्थिति है, जोकि किसी के साथ भी हो सकती है। इसी प्रकार से 40 से 45 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होंने माना कि बधाई मांगने वाले किन्नरों को थर्ड जेंडर बोला जाता है। धर्म के आधार पर अलग-अलग सोच

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सर्वे में हिदू-मुस्लिम धर्म के अलग-अलग लोगों से बात की गई। जिसमें मुस्लिम समुदाय ने माना कि यह एक मानसिक फसाद है, जोकि जबरदस्ती ठीक किया जा सकता है। यदि कोई लिग के विपरीत काम कर रहा है तो उसे डरा-धमकाकर ठीक किया जा सकता है। वहीं, हिदू समुदाय ने माना कि थर्ड जेंडर भगवान शिव का रूप है। इनकी पूजा करनी चाहिए। इन्हें देवी-देवताओं के समान मानना चाहिए और इनकी जरूरतों को पूरा करना चाहिए। क्या है थर्ड जेंडर

पारूल के गाइड आर्किटेक्ट रियाजुल समद बिन मोहम्मद ने बताया कि थर्ड जेंडर तीन प्रकार के होते हैं। पहला टाइप शारीरिक है, जोकि जन्म से लेकर 15 से 17 साल की उम्र में सामने आता है। दूसरा मानसिक और तीसरा हार्मोनल बदलाव। यह बदलाव 17 से 24 साल की उम्र में होता है। इसमें व्यक्ति की चलने और रहने के तौर-तरीके में बदलाव आता है। इस प्रक्रिया को बेहतर काउंसलिग करके सुधारा जा सकता है। आर्किटेक्ट रियाजुल ने कहा कि यदि लोगों को सही और पूरी जानकारी हो तो उसे समय पर कंट्रोल कर एक साधारण जीवन दिया जा सकता है।


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