कथक में 75 वर्ष की गौरवमयी यात्रा
शोभा कौसर की जीवन यात्रा की खूबसूरत प्रस्तुति शनिवार को टैगोर थिएटर-1
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कथक की साधना में पिछले 75 वर्षो से लीन गुरु शोभा कौसर की जीवन यात्रा की खूबसूरत प्रस्तुति शनिवार को टैगोर थिएटर-18 में देखने को मिली। जहां एक ओर केंद्र की शिष्या ने अपने गुरु को उनके जन्मदिन की बधाइयां दी, वहीं, दूसरी और खुद शोभा ने नृत्य करके उन्हें कथक की बारीकियां सिखाई। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. शोभा कौसर की पोती और शिष्या शुभ्रा कौसर ने की। उन्होंने कथक में शिव स्तुति प्रस्तुत की। जिसके बोल हैं पूजन चली महादेव। इसके बाद जयपुर घराने की कुछ खास बंदिशें भी पेश की गई। इसके बाद चारु हांडा ने वात्सल्य रस से परिपूर्ण प्रस्तुति राम भजन ठुमक चलत रामचंद्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अगले हिस्से में शोभा की पुत्री और शिष्या पूर्वा ने अपने समूह के साथ कथक की प्रस्तुति दी। इसके तहत सबसे पहले पारंपरिक कथक फिर इसका तकनीक पक्ष पेश किया। जिसमें उठान, तोड़े, चक्रदार, तिहाई और पैरों की चाल को प्रदर्शित किया। इसके पश्चात बंदिश घिर आई, इसके उपरांत मांड प्रस्तुत की गई। फिर अलबेला सजन आयो रे में सुंदर प्रस्तुति देकर पूर्वा और उनके समूह ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूर्वा के साथ 10 नृ्त्यांगनाओं ने प्रस्तुतियां दी। इनके साथ संगतकारों में जयंत पटनायक तबले पर, मोहन साहिल गायन पर,ऋषभ पखावज पर, पंकज डफ एवं शिवम ने कीबोर्ड पर बखूबी संगत की । गजल और कथक की दिखी जुगलबंदी
कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में जसविदर ने मंच संभाला। उन्होंने गजल आज जाने की जिन नो करे में कथक की प्रस्तुति दी। इसके बाद डॉ. समीरा कौसर ने अपने ग्रुप के साथ करत धा-धा-धा में कथक की प्रस्तुति दी। इसके बाद सावन पर आधारित भाव पक्ष पर नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें सावन के महीने में कृष्ण की याद में व्याकुल राधा के मन की व्यथा को पेश किया। इसके बाद ग्रुप ने शुद्ध कथक के तहत तोड़े, टुकड़े, परन, गत को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. शोभा कौसर ने जानकी नाथ सहाए भजन पर कथक की प्रस्तुति दी। उनके साथ मंच पर फतह सिंह ने तबले पर, रमेश परिहार ने गायन पर और शुभ्रा ने तबले संगत की। उनके अलावा तबले पर महमूद खां और सितार पर प्रमोद गंगानी ने संगत की।