मनोहर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन पर लगा सात लाख का हर्जाना
मनोहर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन बिल्डर के खिलाफ आई शिकायतों की सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ स्टेट कमीशन ने उस पर सात लाख रुपये का हर्जाना लगाया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मनोहर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन बिल्डर के खिलाफ आई शिकायतों की सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ स्टेट कमीशन ने उस पर सात लाख रुपये का हर्जाना लगाया। वहीं, हर शिकायत में 12 फीसद प्रति वर्ष ब्याज के साथ बुकिग की पूरी राशि लौटाने का आदेश दिया। कंपनी पर साल 2018 में एक साथ पांच लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई थी जिसमें से तीन शिकायतें ही एक ही व्यक्ति की थी। इनमें यूएसए में रहने वाले 55 वर्षीय परमजीत सराव ने तीन शिकायत, बठिडा के रहने वाले दो भाई धर्मवीर और गुरविंदर सिंह सिद्धू और ऊना के रहने वाले दंपती राहुल संख्यान और उनकी पत्नी रितू सांख्य शामिल है। पहली शिकायत
परमजीत सराव ने बताया कि उन्होंने उक्त कंपनी के न्यू चंडीगढ़ में साल 2011 में दो प्लाट प्रोजेक्ट पाल्म गार्डन और एक फ्लैट उन्होंने विनीशियन फ्लोर्स में बुक किया था। दो प्लाट 250 स्क्वेयर यार्ड के लिए उन्होंने 30,06,000 रुपये और 31,68,750 रुपये दिए थे। वहीं, 1725 स्क्वेयर यार्ड के फ्लैट के लिए उन्होंने 12 लाख कंपनी के खाते में जमा करवाए थे। साल 2018 तक कंपनी ने न तो काम पूरा किया और न ही कोई एंग्रीमेंट लेटर और पजेशन उन्हें दी। सुनवाई करते हुए कमीशन ने कंपनी को सभी शिकायतों में 12 फीसद प्रति वर्ष ब्याज पूरी राशि देने 30 दिनों में वापस करने का आदेश दिया। वहीं, शिकायतकर्ता को मानसिक परेशान करने के लिए सभी शिकायतों में डेढ़ लाख रुपये हर्जाना और मुकद्दमेबाजी के खर्च के रूप में डेढ़ लाख रुपये देने का भी आदेश दिया। दूसरी शिकायत
धर्मवीर और गुरविंदर ने बताया कि न्यू चंडीगढ़ में कंपनी के प्रोजेक्ट पाल्म गार्डन में साल 2012 में 300 स्क्वेयर यार्ड का प्लाट बुक किया था। इसके लिए कंपनी को 31,20,000 रुपये दिए थे और 60 फीसद राशि कंपनी को पहले ही दे दी थी। कंपनी ने उन्हें न तो एग्रीमेंट लेटर दिया और न ही पजेशन। आयोग ने हर्जाने के रूप में एक लाख रुपये और मुकद्दमेबाजी खर्च के रूप में 50 हजार रुपये जमा कराने को कहा। तीसरी शिकायत
राहुल और उनकी पत्नी रितू ने बताया कि 2015 में कंपनी के प्रोजेक्ट पाल्म रेजिडेंसी में फ्लैट बुक किया था। उन्होंने कंपनी को 19,28,059 रुपये की राशि दी थी, लेकिन बिल्डर ने उन्हें साल 2018 तक पजेशन नहीं दी। शिकायतकर्ता को मानसिक परेशान करने के लिए डेढ़ लाख रुपये हर्जाना और मुकद्दमेबाजी खर्च के रूप में डेढ़ लाख रुपये देने का आदेश दिया।