Curfew in Chandigarh : 6810 लोग और 3676 गाड़ियां राउंडअप, अब तक 101 गिरफ्तार
प्रशासन की तरफ से लोगों की सहूलियत में मिलने वाली छूट और ई-पास का फायदा उठाकर पब्लिक वाहन से सामान की खरीदारी करने निकल रही हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की वजह से लागू कर्फ्यू नियमों को तोडऩे वाले 6810 लोग और 3676 गाडियां पुलिस ने राउंडअप कर लिया। इसके साथ 1011 लोगों की गाडिय़ां जब्त भी जब्त की गई। वही, फर्जी कर्फ्यू-पास बनाने की शिकायत मिलने के बाद प्रशासक वीपी सिंह बदनौर के सख्त निर्देशानुसार पुलिस विभाग ने शिकंजा कस दिया है। नाकाबंदी बढ़ाकर चेकिंग शुरू कर दी। फर्जी पास के साथ मिलने वालों की तत्काल गिरफ्तारी के आदेश है। प्रशासन की तरफ से लोगों की सहूलियत में मिलने वाली छूट और ई-पास का फायदा उठाकर पब्लिक वाहन से सामान की खरीदारी करने निकल रही हैं। जबकि, एक परिवार के एक व्यक्ति पैदल ही सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक सामान खरीदने जा सकता है।
दो दिन से उड़ रही थी कर्फ्यू की धज्जियां
लॉकडाउन के बाद लागू कर्फ्यू पर चंडीगढ़ पुलिस ने काफी सख्ती बरत रखी थी। प्रशासन की तरफ से लोगों के हित में चार घंटे दुकान खोलने की छूट मिलने के बाद आठवें और नौवे दिन जमकर धज्जियां उड़ी थी। जिसके बाद सड़क पर गाडिय़ों की बढ़ती संख्या देखकर प्रशासक वीपी ङ्क्षसह बदनौर ने प्रशासन से जवाब मांगने के साथ डीजीपी संजय बेनीवाल को तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए थे।
40 से ज्यादा लोगों को सेक्टर-47 के जजंघर में किया क्वारंटाइन
प्रशासन ने सेक्टर-47 के सामुदायिक केंद्र में क्वारंटाइन सेंटर बनाया है। यहां पर गांव फैदां के 40 से ज्यादा कोरोना संक्रमित लोगों को रखा गया है। फैदां गांव में माइग्रेट लेबर को क्वारंटाइन करने के लिए छोटे-छोटे घर है। इसलिए प्रशासन ने सेक्टर-47 का जजघर में क्वारटाइन सेंटर बनाया है। यही से सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। मालूम हो कि दुबई से 11 मार्च को अपनी मां के साथ चंडीगढ़ लौटे 30 साल के मोटर मैकेनिक के संपर्क में आए उसके दो दोस्तों को कोरोना हुआ है। उनमें से एक की फैक्टरी में गांव फैदा के दो मजदूर काम करते थे। इन मजदूरों के संपर्क में उक्त यह फैदां के लोग संपर्क में आए हैं। जिस कारण इन्हें क्वारंटाइन किया गया है। सेक्टर-47 की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव अजय सिंगला का कहना है कि वह अष्टमी पर सुबह यहां पर आए लोगों के लिए खाना लेकर गए थे लेकिन पुलिस और प्रशासन ने खाना देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद वह इस जजंघर पर ही यह खाना लोगों के लिए छोड़ आए थे।
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