Move to Jagran APP

50 प्रतिशत स्टाफ की कमी, ऐसे में किस तरह से मिलेंगी शहरवासियों को सुविधाएं

समय सीमा के भीतर नहीं हो पा रहे हैं काम प्रशासन ने सभी गांव भी नगर निगम को किए ट्रांसफर।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 06:07 AM (IST)
50 प्रतिशत स्टाफ की कमी, ऐसे में किस तरह से मिलेंगी शहरवासियों को सुविधाएं
50 प्रतिशत स्टाफ की कमी, ऐसे में किस तरह से मिलेंगी शहरवासियों को सुविधाएं

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : नगर निगम में इस समय करीब 50 प्रतिशत स्टाफ (कर्मचारियों) की कमी से जूझ रहा है। जिसका असर शहरवासियों के काम और उन्हें सेवाएं प्रदान करने में पड़ रहा है। नगर निगम की वित्त एवं अनुबंध कमेटी ने सोमवार को 1471 करोड़ रुपये का बजट पास किया है जिसमें इस बात का खुलासा खुद एमसी ने किया है कि नगर निगम में इस समय 2893 स्थायी कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं। बजट के अनुसार नगर निगम में इस समय कुल सेंक्शन रेगुलर पद 5888 हैं। यह 50 प्रतिशत कर्मचारी नगर निगम के अलग-अलग विग से हैं। नगर निगम में कुल 10726 पद हैं। रेगुलर के अलावा बाकी डेलीवेज और अस्थायी कर्मचारियों के पद हैं। वे सभी पद भरे हुए हैं। सिर्फ स्थायी कर्मचारियों की भर्ती नगर निगम नहीं कर रहा है। सिर्फ 27 अस्थायी कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं। इस समय प्रशासन की ओर से सभी गांव नगर निगम में शामिल कर दिए गए हैं। ऐसे में नगर निगम का काम बढ़ गया है। कर्मचारियों की कमी के कारण ही गांवों की हालत नहीं सुधर पा रही है।

loksabha election banner

एमओएच में 1084 पद खाली

अकेले एमओएच विग में ही 1084 पद खाली पड़े हैं। जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिग सुधारने और शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी एमओएच विग की है। इनमें अधिकतर पद सफाई कर्मचारियों के ही खाली पड़े हैं। सफाई कर्मचारी यूनियनें लंबे समय से कर्मचारियों की भर्ती की मांग कर रही हैं। नगर निगम सफाई कर्मचारियों को भर्ती करने का प्रस्ताव भी पास कर चुका है। पांच साल पहले यहां तक कि कर्मचारियों की भर्ती के लिए आवेदन भी मांगे गए थे लेकिन इसके बावजूद भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। असल में भर्ती के दौरान लगने वाले आरोपों से हर आलाधिकारी बचना चाहता है। सिटीजन चार्टर लेकिन समय सीमा में नहीं होता है काम

नगर निगम में सिटीजन चार्टर लागू है। हर काम की समय सीमा तय है लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण ही यह चार्टर सही से लागू नहीं हो पा रहा है। कर्मचारियों की कमी के कारण ही ऐसा हो रहा है। हर साल 100 कर्मचारी रिटायर्ड होते हैं, उनकी जगह पर नई भर्ती नहीं हो रही है। पिछले 13 साल से नगर निगम में कोई भी नई भर्ती नहीं हुई है जिस कारण वर्तमान में तैनात कर्मचारियों पर बोझ बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों की कमी के कारण ही शहर में कोई बड़े प्रोजेक्ट की प्लानिग नहीं बन रही है और पहले से चल रहे प्रोजेक्ट का देरी से निर्माण हो रहा है। कर्मचारियों की कमी के कारण ही करंट ड्यूटी चार्ज दिए जा रहे हैं। नियमों के अनुसार पांच साल तक जब कोई पद खाली होने पर नियुक्ति नहीं होती है। वह समाप्त कर दी जाती है। नगर निगम ने पिछले 15 साल में जितने भी कमिश्नर और आलाधिकारी रहे, उन्होंने इनकी नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तक शुरू नहीं की। किस-किस विग में कितने कर्मचारियों की कमी है। इसकी जानकारी बजट की प्रति में शामिल है। प्रशासन को फिर से कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक करने के लिए कहा गया है। बैठक शुरू होने के बाद वे खुद सलाहकार के समक्ष कर्मचारियों की कमी का मामला उठाएंगे ताकि कर्मचारियों की भर्ती हो सके। भर्ती होने पर जो इसका खर्चा बढ़ेगा, उसके लिए भी प्रशासन से अतिरिक्त ग्रांट की मांग की जाएगी।

-राजबाला मलिक, मेयर, नगर निगम पदों की भर्ती नहीं होने से वर्तमान में तैनात कर्मचारियों पर काम का बोझ के साथ-साथ मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है। प्रशासन में भी कर्मचारियों की कमी है। प्रशासन को तत्काल प्रभाव से कर्मचारियों की कमी पूरी करनी चाहिए। शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में कर्मचारियों की भर्ती भी उस हिसाब से ही होनी चाहिए।

-राजेंद्र कुमार, महासचिव, चंडीगढ़ यूटी सबओर्डिनेट सर्विसेज फेडरेशन किस विभाग में कितना स्टाफ कम है

विभाग तैनात खाली मंजूर पद

सीएमसी कार्यालय, मनीमाजरा 225 55 280

जनस्वास्थ्य 597 707 1304

बीएंडआर 434 556 990

बागवानी 425 184 609

एमओएच 1092 1084 2176

दमकल 222 307 529

कुल 2995 2893 5888


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.