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वैट घोटाला : इंडो स्विफ्ट कंपनी पर 46 करोड़ की पेनल्टी

-20 करोड़ टैक्स जमा कराने के ऑर्डर जारी -चीफ विजिलेंस ऑफिसर और एक्साइज कमिश्नर को स

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 06:46 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 06:46 AM (IST)
वैट घोटाला : इंडो स्विफ्ट कंपनी पर 46 करोड़ की पेनल्टी
वैट घोटाला : इंडो स्विफ्ट कंपनी पर 46 करोड़ की पेनल्टी

विशाल पाठक, चंडीगढ़ : 100 करोड़ से ऊपर के वैट घोटाले के मामले में यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने बड़ी कार्रवाई की है। मंगलवार को असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर आरके चौधरी ने इंडो स्विफ्ट कंपनी पर 66 करोड़ रुपये टैक्स व पेनल्टी लगाई है। विभाग ने इंडो स्विफ्ट कंपनी को आदेश जारी कर 20 करोड़ रुपये बकाया टैक्स जमा कराने और करीब 46 करोड़ रुपये पेनल्टी भरने के आदेश जारी किए हैं। चौधरी ने बताया कि 2011-12 के दौरान इंडो स्विफ्ट कंपनी ने करोड़ों रुपये का वैट घोटाला किया। जिसकी जांच पूरी हो चुकी है। विभाग ने कार्रवाई करते हुए कंपनी के खिलाफ लिखित आदेश मंगलवार को जारी कर दिए हैं। अगले बुधवार को एक्साइज कमिश्नर जितेंद्र यादव और यूटी चीफ विजिलेंस ऑफिसर परिमल राय को इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी। आरोपित अकाउंटेंट की जमानत याचिका हो चुकी है खारिज

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100 करोड़ रुपये से ज्यादा के वैट और सी फार्म घोटाले में कंपनी इंडो स्विफ्ट के पूर्व अकाउंटेंट विपिन मिश्रा को गिरफ्तार किया जा चुका है। मामले में बीते सोमवार को आरोपित विपिन मिश्रा ने जमानत याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस जांच में अब तक ये सामने आ रहा है कि कंपनी के डायरेक्टर एनआर मुंजाल ने विपिन मिश्रा को ही सेल्स डिपार्टमेंट से फर्जी ऑर्डर निकलवाने के लिए साढ़े 3 लाख रुपये दिए थे। मिश्रा ने ही फेक ऑर्डर्स के लिए डिपार्टमेंट के ऑफिशियल्स को 3 लाख रुपये दिए थे। इन्हीं फेक ऑर्डर्स की वजह से कंपनी पर जो 5.94 करोड़ रुपये की देनदारी थी, वह 11 हजार रुपये कर दी गई। विपिन मिश्रा ने फर्जी ऑर्डर्स बनवाकर कंपनी के डायरेक्टर मुंजाल को ई-मेल भी किए थे। अब तक 50 से ऊपर कंपनियों ने जुर्माना भरकर सेटल किया अकाउंट

आरके चौधरी ने बताया कि अब तक 50 से ऊपर कंपनियों ने अपना बकाया टैक्स और पेनल्टी जमा करा दी है। जिससे करीब 7 से 8 करोड़ रुपये टैक्स एवं पेनल्टी जमा हो चुकी है। वैट जमा करवाने और सी फार्म को लेकर हुई गड़बड़ी की जब डिपार्टमेंट ने खुद जाच की, तो पता चला कि ऐसे 50-60 नहीं, बल्कि 926 केस हैं। इनमें से कुछ केस ऐसे थे, जिनमें गड़बड़ नहीं हुई। 443 फाइलें ऐसी हैं, जिनमें वैट जमा करवाने या फिर एंट्री में खेल हुआ है। अब करीब 153 और फाइलों की असेस्मेंट होनी है। डिपार्टमेंट उन फाइलों को अब क्राइम ब्रांच के पास भेज दिया है। जिनमें गड़बड़ की गई है। यह है मामला

17 जुलाई को वैट ट्रिब्यूनल की कोर्ट यूटी प्रशासन में लगी थी। इस ट्रिब्यूनल कोर्ट की अध्यक्षता एडवाइजर परिमल राय कर रहे थे। उनकी कोर्ट में इंडो स्विफ्ट कंपनी का केस भी लगा हुआ था। उस केस में एक्साइज डिपार्टमेंट ने कंपनी पर 5 करोड़ 90 लाख 54 हजार 342 रुपये बकाया वैट निकाला। एडवाइजर ने जब केस का स्टेटस पूछा, तो कंपनी के वकील ने कहा कि उनका मामला तो 31 मार्च 2015 को खत्म भी हो चुका है। एक्साइज डिपार्टमेंट ने उनसे 5 हजार रुपये का टैक्स लेकर चालान कर दिया था। इस पर एडवाइजर को शक हुआ कि कैसे 5.90 करोड़ रुपये का टैक्स मात्र 5 हजार रुपये के चालान में पूरा हो गया। इसके बाद इनक्वायरी की, तो यह घोटाला सामने आया, जिसके बाद विजिलेंस ने केस दर्ज किया था। इस केस की जांच अब यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट और यूटी पुलिस क्राइम ब्रांच मिलकर कर रहे हैं।


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