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सेक्टर-17 में ब्रिज के नीचे बनीं 40 और मौलीजागरां में 105 दुकानें रेंट पर देगा एमसी

बार बार नीलामी करवाने मे फेल होने के बाद अब नगर निगम ने सेक्टर-17 की 40 और मौलीजागरा के विकासनगर की 105 खाली पड़ी दुकानों को किराए पर चढ़ाने प्रस्ताव तैयार किया है।यह प्रस्ताव 17 सितंबर को होने वाली सदन की बैठक में पास होने के लिए आ रहा है।सदन ही इन दुकानों से हर माह चार्ज होने वाला रेंट तय करेगा। मालूम हो कि अगर किराए पर चढ़ाने का फैसला कई साल पहले ही ले लिया जाता तो अब तक नगर निगम इन दुकानों से ही करोड़ों रुपये की कमाई रेंट से ही कर लेते।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 06:42 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 06:27 AM (IST)
सेक्टर-17 में ब्रिज के नीचे बनीं 40 और मौलीजागरां में 105 दुकानें रेंट पर देगा एमसी
सेक्टर-17 में ब्रिज के नीचे बनीं 40 और मौलीजागरां में 105 दुकानें रेंट पर देगा एमसी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बार-बार नीलामी करवाने में फेल होने के बाद अब नगर निगम ने सेक्टर-17 की 40 और मौलीजागरां के विकासनगर की 105 खाली पड़ी दुकानों को किराये पर चढ़ाने प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव 17 सितंबर को होने वाली सदन की बैठक में पास होने के लिए आ रहा है। सदन ही इन दुकानों से हर माह चार्ज होने वाला रेंट तय करेगा। मालूम हो कि अगर किराये पर चढ़ाने का फैसला कई साल पहले ही ले लिया जाता तो अब तक नगर निगम इन दुकानों से ही करोड़ों रुपये की कमाई रेंट से ही कर लेता। निगम को हर महीने होगी 18 से 20 लाख की कमाई

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किराए पर दुकानें चढ़ाने के लिए नगर निगम ने डीसी कार्यालय से नियम एवं शर्ते मंगवाई है। डीसी ऑफिस ने शहर में कई दुकानें किराये पर चढ़ाई हुई हैं इसलिए उनसे नियम एवं शर्ते मंगवाई हैं। यह शर्तें भी सदन में लाई जा रही हैं। मालूम हो कि साल 2013 में नए बने ओवरब्रिज का उद्घाटन हुआ था लेकिन उसके बाद से यह दुकानें खाली पड़ी हैं जिस कारण अब तक नगर निगम को किराये का करोड़ों का नुकसान हो चुका है। क्योंकि उस समय ही शहर के व्यापारी इन्हें किराये पर चढ़ाने की मांग कर रहे थे, लेकिन एमसी इन्हें बेचकर कमाई करने पर अड़ा हुआ था। नगर निगम के अनुसार एक दुकान का किराया 40 से 50 हजार रुपये मिल सकता है। जिससे नगर निगम को हर माह 18 से 20 लाख रुपये की कमाई होगी। 14 करोड़ रुपये में तैयार हुआ था ब्रिज

सेक्टर-17 में पूर्व मेयर सुभाष चावला के सुझाव पर नाइट फूड स्ट्रीट बनाने का भी प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन प्रशासन ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी। प्रशासन के वास्तुकार विभाग के अनुसार जो इस समय दुकानें बनी हुई हैं उनका डिजाइन फूड स्ट्रीट के लिए ठीक नहीं है। नगर निगम का ओवरब्रिज सहित दुकानों को निर्माण करने का खर्चा 14 करोड़ रुपये आया था। इस ब्रिज की पहली मंजिल में ही स्मार्ट सिटी का कार्यालय है। मौलीजागरां में 110 बूथों की मार्केट है। जिनकी बार-बार नीलामी करवाकर निगम सिर्फ पांच दुकानें ही बेच पाया है। अब बाकी बची 105 दुकानों को वार्ड पार्षद अनिल दूबे के सुझाव पर किराये पर चढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

नीलामी सिरे न चढ़ने का कारण महंगा रेट

बार-बार नीलामी फेल होने का एक बड़ा कारण यह रहा है कि यहां पर बूथों की जो कीमत तय की गई है वह काफी ज्यादा है। जबकि उससे कम रेट पर शहर के बाजारों में पहले से दुकानें मिल रही है और दूसरा नगर निगम यह दुकानें 99 साल की लीज पर बेचना चाहता था। निगम ने सेक्टर-17 ओवरब्रिज के नीचे बनीं दुकानों का रेट 59 लाख से एक करोड़ दो लाख रुपये तक तय किया था।


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