Lockdown में नशा छोडने के इच्छुक पेशेंट्स की संख्या में हुआ 40 फीसद का इजाफा
पहले कुराली सिविल अस्पताल से नियमित तौर पर दवाई लेने वाले पेशेंट्स की संख्या 97 थी जबकि कर्फ्यू के दौरान एक महीने में नशा छोडऩे के इच्छुक 37 नए पेशेंट्स को रजिस्टर किया गया है।
कुराली, [चेतन भगत]। कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के चलते लॉकडाउन के बीच लगाए गए कफ्र्यू से जहां जिंदगी की रफ्तार मानो थम सी गई है, वहीं इसका बड़ा असर नशे के आदी लोगों पर भी पडऩे लगा है। कफ्र्यू के दौरान नशा नहीं मिलने के कारण कुराली के सिविल अस्पताल में नशा छोडऩे वाले पेशेंट्स की तादाद में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. भूपिंदर सिंह के अनुसार अस्पताल में चलाए जा रहे नशा छुड़ाओ क्लीनिक में 427 पेशेंट्स रजिस्टर्ड हैं और इनमें से 333 पेशेंट्स ऐसे हैं जो नशा छोडऩे की दवाई नियमित तौर पर कुराली के सिविल अस्पताल की बजाय अन्य स्थानों के अस्पतालों से ले रहे हैं। लॉकडाउन से पहले कुराली सिविल अस्पताल से नियमित तौर पर दवाई लेने वाले पेशेंट्स की संख्या 97 थी जबकि कफ्र्यू के दौरान एक महीने में नशा छोडऩे के इच्छुक 37 नए पेशेंट्स को रजिस्टर किया गया है।
नशे की किस्म और मात्रा के अनुसार दी जाती है डोज
एसएमओ डॉ. भूपिंदर सिंह और नशा छुड़ाओ क्लीनिक की स्टाफ मेंबर अमनदीप कौर ने बताया कि दवाई शुरू करने से पहले पेशेंट््स से नशे की किस्म और मात्रा के साथ ही कितनी अवधि से नशा कर रहा है के बारे में जानकारी हासिल की जाती है और उसी के अनुसार उसकी दवाई की डोज का निर्धारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि पहले पेशेंट को अस्पताल में ही डॉक्टर्स की निगरानी में दवाई खिलाई जाती थी पर अब लॉकडाउन के चलते पेशेंट को एक हफ्ते से 10 दिन तक की दवाई एक साथ दी जा रही है ताकि उसे रोजाना अस्पताल नहीं आना पड़े।
नशे से पाया जा सकता है छुटकारा
डॉ. भूपिंदर सिंह का कहना था कि इच्छा शक्ति को दृढ़ कर नशे के मायाजाल से छुटकारा पाया जा सकता है। अब जब कर्फ्यू के कारण आसानी से नशा उपलब्ध नहीं हो रहा तो लोगों में नशे की लत छोडऩे की इच्छा प्रबल होने लगी है। ऐसे ही धीरे-धीरे पेशेंट अपने आत्मबल से नशे की लत से छुटकारा पा सकता है।