Lockdown के दस दिनों में बचा 23 करोड़ का 40 लाख लीटर पेट्रोल-डीजल Chandigarh News
औसतन चंडीगढ़ के एक पंप पर रोजाना तीन से पांच हजार लीटर पेट्रोल और इतने ही डीजल की सेल होती है। लेकिन कफ्र्यू के बाद अब यह खपत 300 से 700 लीटर ही रह गई है।
चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। संसाधनों का दोहन आम दिनों में किस तेजी से होता है, यह लॉकडाउन और कर्फ्यू ने उजागर कर दिया है। जिस चंडीगढ़ में एक दिन में चार लाख पेट्रोल और डीजल की खपत होती थी। अब वह कम होकर 11 हजार लीटर तक रह गई है। 22 मार्च को जनता कफ्र्यू से लेकर 31 मार्च तक दस दिनों की ईंधन खपत का आंकलन दैनिक जागरण ने किया है। इस दौरान चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
दस दिनों में शहर का 40 लाख लीटर ईंधन बचा। जिसमें करीब 20 लाख लीटर पेट्रोल और 20 लाख लीटर डीजल शामिल है। इसकी गणना करें तो दस दिनों में ईंधन पर खर्च होने वाले 23 करोड़ रुपये बच गए। अंदाजा लगा सकते हैं शहरवासी महीने में कितने करोड़ों रुपये का ईंधन जला देते हैं। औसतन चंडीगढ़ के एक पंप पर रोजाना तीन से पांच हजार लीटर पेट्रोल और इतने ही डीजल की सेल होती है। लेकिन कफ्र्यू के बाद अब यह खपत 300 से 700 लीटर ही रह गई है।
चंडीगढ़ में कुल 38 पेट्रोल पंप हैं। सेक्टर-26 मंडी के साथ लगते पेट्रोल पंप पर ही ट्रांसपोर्ट व्हीकल की वजह से थोड़ी बहुत सेल हो रही है। सेक्टरों में बने पेट्रोल पंप पर तो कई जगह 100 लीटर भी खपत नहीं रही। इसी तरह से सीएनजी की खपत तो दस दिनों से जीरो है। ऑटो और टैक्सी में सीएनजी की सबसे ज्यादा खपत होती थी, लेकिन अब यह बंद होने से सीएनजी खपत नहीं हो रही।
यूटी प्रशासन को तीन करोड़ रुपये के वैट का नुकसान
पेट्रोल और डीजल टैक्स का मुख्य स्त्रोत भी हैं। पेट्रोल पर प्रति लीटर 17.45 प्रतिशत वैट लगता है जो एक लीटर पर 11.48 रुपये बनता है। वहीं डीजल पर 9.02 प्रतिशत वैट लगता है जो प्रति लीटर 5.35 रुपये बनता है। यह वैट स्टेट गवर्नमेंट को मिलता है। एक दिन में चार लाख पेट्रोल डीजल की सेल पर ही प्रशासन को 30 लाख रुपये का वैट मिल जाता था। दस दिनों में प्रशासन को पेट्रोल पर दो और डीजल पर एक करोड़ रुपये वैट का नुकसान हुआ है। रेवेन्यू में सीधे तौर पर तीन करोड़ रुपये की कटौती हो गई है।
700 मेगावॉट बिजली भी बची
ईंधन की खपत के साथ ही कफ्र्यू में बिजली की भी बड़ी बचत हुई है। इंडस्ट्री, मार्केट, शोरूम, मॉल और आवश्यक सेवाओं को छोड़ सभी ऑफिस बंद है। इससे एक दिन में 75 मेगावॉट तक बिजली बच रही है। दस दिनों के अंदर करीब 700 मेगावॉट तक बिजली की डिमांड कम रही है।
आंकड़ों से ऐसे समझें
दस दिन की पेट्रोल खपत और बची राशि
खपत - 20 लाख लीटर
राशि बची - 12 करोड़
वैट नुकसान - दो करोड़
डीजल
खपत - 20 लाख लीटर
राशि बची - 11 करोड़
वैट नुकसान - एक करोड़
फ्यूल की सेल महज पांच प्रतिशत रह गई है। सिर्फ असेंसशियल सर्विस के वाहन ही चल रहे हैं। एक पेट्रोल पंप की रोजाना सेल में 95 प्रतिशत तक की गिरावट है। अमूमन चंडीगढ़ में रोजाना लगभग तीन से चार लाख लीटर पेट्रोल और दो से तीन लाख लीटर डीजल की सेल होती थी। लेकिन अब यह दोनों मिलाकर 40 हजार लीटर भी नहीं रही।
- अमनप्रीत सिंह, सेक्रेटरी, चंडीगढ़ पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन।
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