पंजाब में स्वाइन फ्लू से 34 मौतें, बचाव के लिए इन बातों का रखें खास ख्याल...
पंजाब में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 30 मौतें हो चुकी हैं, जबकि चार और हुई मौतों की वेरिफिकेशन की जा रही है।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 30 मौतें हो चुकी हैं, जबकि चार और हुई मौतों की वेरिफिकेशन की जा रही है। माना जा रहा है कि ये मौतें भी स्वाइन फ्लू से ही हुई हैं।
देशभर में बढ़ रहे स्वाइन फ्लू केसों को देखते हुए केंद्र सरकार भी हरकत में आ गई है और उन्होंने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत देश के स्वाइन फ्लू से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। टीम राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ आरके गुप्ता की अगुवाई में पंजाब आई हुई थी। उन्होंने विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सतीश चंद्रा से मुलाकात की। इससे पहले सतीश चंद्रा ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से भी बात कर उन्हें पूरी स्थिति की जानकारी दी।
सतीश चंद्रा ने टीम को बताया कि पंजाब में 327 केस कन्फर्म हो चुके हैं। इसमें 30 की मौत हो गई है। हालांकि चार केस और रिपोर्ट हुए हैं, लेकिन इनकी मौत स्वाइन फ्लू से ही हुई है या किसी इसकी वजह कुछ और है इसकी जांच की जा रही है।
पंजाब के अस्पतालों में वेंटिलेटर की की कमी
पंजाब के जालंधर स्थित अस्पताल को छोड़कर किसी भी अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं है। पंजाब में तीनों मेडिकल कॉलेजों में 34 वेंटिलेटर हैं, जबकि पूरे प्रदेश में सौ के लगभग वेंटिलेटर की आवश्यकता है। सतीश चंद्रा ने माना कि सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी है, लेकिन अगले साल तक हम इनकी गिनती सौ तक करने पर काम कर रहे हैं।
टीम ने विभाग से इसे बढ़ाने का सुझाव दिया और कहा कि मेडिकल कॉलेजों में इसे बढ़ा लिया जाए। इसके अलावा लैब की गिनती भी बढ़ाने पर जोर दिया गया। सतीश चंद्रा ने बताया कि विभाग के पास पटियाला और अमृतसर में दो लैब हैं। विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने दावा किया कि केंद्रीय टीम पंजाब में स्वाइन फ्लू को लेकर हमारी तैयारियों से संतुष्ट थी।
2016 में हुई थी 80 मौतें
काबिलेगौर है कि पिछले कुछ सालों से हर साल स्वाइन फ्लू से मौतें हो रही हैं। 2016 में सबसे ज्यादा 80 मौतें हुई थीं। 2017 में 17 मौतें स्वाइन फ्लू से रिकार्ड गईं जो इस साल दोगुणा हो गई हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- नाक का लगातार बहना, छींकें आना।
- कफ, लगातार खांसी व ठंड लगना।
- मांसपेशियों में दर्द या अकड़न।
- सिर में तेज दर्द।
- नींद न आना, ज्यादा थकान।
- दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना।
- गले में खराश का लगातार बढ़ना।
कैसे करें बचाव
- भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में न जाएं।
- दवा खाने के बाद भी बुखार न जाए तो तुरंत अस्पताल जाएं।
- मरीज से कम से कम तीन फीट की दूरी बनाएं।
- स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीज जिस चीज को इस्तेमाल करे, उसे न छुएं।
- घर स्वच्छ रखें।
- खान-पान और रहन-सहन का खासतौर पर ध्यान रखें, गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
- साफ-सुथरे रूमाल का उपयोग करें, टिश्यू को इस्तेमाल करने के बाद तुरंत कूड़ेदान में फेंकें।
- अपने हाथों को लगतार साबुन या सेनीटाइजर से हमेशा साफ रखें।
- घर के दरवाजों के हेंडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे।
- बुखार हो तो लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाइड्रेशन ना हो।
- कोशिश करें की स्वाइन फ्लू प्रभावित जगह में जाने से पहले फेसमास्क पहन लें।
- भरपूर नींद लें और डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहें।
- चेहरे पर बार-बार बिना वजह हाथ न लगाए।
- धूप में बैठे।
ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है। पहला, रोगी को छूने, हाथ-मिलाने या सीधे संपर्क में आने से। दूसरा, रोगी की सांस के जरिए जिसे ड्रॉपलेट इंफेक्शन भी कहा जाता है। यह वाइरस पीड़ित व्यक्ति के छींकने, खांसने, हाथ मिलाने और गले मिलने से फैलते हैं। वहीं स्वाइन फ्लू का वाइरस स्टील प्लास्टिक में 24 से 48 घंटों तक, कपड़ों में 8 से 12 घंटों तक, टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक और हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है।
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।