World Heart Day 2021: पीजीआइ चंडीगढ़ के डॉ. सौरभ ने बताया कैसे होती हैं दिल की बीमारियां, बचाव के टिप्स दिए
World Heart Day 2021 दिल इंसान के शरीर का अहम हिस्सा है। इसलिए हमारे दिल का स्वस्थ रहना बहुत ही जरूरी है। ऐसे में पीजीआइ डॉक्टर ने दिल की बीमारियों को लेकर बहुत ही अहम बातें बताईं हैं।
विशाल पाठक, चंडीगढ़। World Heart Day 2021: किसी प्रकार की दिल की बीमारी अचानक नहीं होती। हृदय रोग से घबरासने की जरूरत नहीं, क्योंकि इस मर्ज को कंट्रोल किया जा सकता है। समय पर जांच और इलाज जरूरी है। यह कहना है पीजीआइ चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. सौरभ मेहरोत्रा का। देशभर में हृदय विफलता आम हैं और इसे अकसर लोगों द्वारा गलत समझा जाता है। यह कोई आकस्मिक घटना नहीं हैं। हृदय की विफलता वाला हृदय अचानक काम करना बंद नहीं करता। इसकी जगह हृदय की विफलता धीरे-धीरे विकसित होती है क्योंकि हृदय की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होती हैं। शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए जितने खून की जरूरत होती हैं, हृदय उतना खून शरीर में पंहुचा नहीं पाता उसे विफलता कहते हैं।डॉ. मेहरोत्रा ने कहा हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए कुछ बातें जाननी जरूरी है, जोकि इस रिपोर्ट में शामिल है।
सौरभ मेहरोत्रा ने हृदय रोगियों को सलाह देते हुआ कहा कि हृदय की विफलता के जोखिम को रोकने के लिए सभी को कम उम्र से ही स्वस्थ जीवन शैली की आदतों को अपनाना चाहिए। मोटापे, उच्च रक्तचाप, मधुमेह पर अंकुश लगाने के लिए मरीजों को ध्यान देना चाहिए और नियमित रूप से अपने लिपिड प्रोफाइल की निगरानी करनी चाहिए। उन्हें जीवन शैली से संबंधित ऐसी बीमारियों के लिए समय पर इलाज करवाना चाहिए।
35 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए हृदय की पंपिंग
रोगियों को यह भी पता होना चाहिए कि हृदय की विफलता का निदान होने का मतलब यह नहीं है कि सब खत्म हो गया और उन्हें घबराना नहीं चाहिए। यदि निदान में पता चलता हैं कि हृदय की पंपिंग 35 प्रतिशत से कम है और हृदय तेज धड़क रहा है, तो व्यक्ति को हृदय की विफलता होने का खतरा होता है। रोगियों के लिए लाजमी हैं की वह तुरंत चिकित्सा प्रबंधन के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
फ्री वायर्ड पेसमेकर का हृदय रोगी करें इस्तेमाल
डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि अगर हृदय रोगी को दिल की विफलता का खतरा बना रहता है, तो डिफिब्रिलेटर नामक विशेष उपकरण और विशेष फ्री-वायर्ड पेसमेकर जिन्हें बाय-वेंट्रिकुलर पेसमेकर या यहां तक कि कार्डिएक री-सिंक्रॉनाइजेशन डिफिब्रिलेटर (सीआरटी-डी) कहा जाता है, भी उपलब्ध हैं जो विशेष उप-समूह के रोगियों में रोगसूचक हृदय विफलता के बोझ को कम करने में मदद करते हैं। चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति ने हमें ऐBसे कई उपकरण प्रदान किए हैं जैसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर सहायक उपकरण जो हृदय रोगियों को अत्यधिक लाभान्वित करते हैं।