शहर के दूसरे मेडिकल कॉलेज के प्रोजेक्ट पर लगी ब्रेक
शहर के दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रोजेक्ट पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। प्रोजेक्ट पर एक बार फिर ब्रेक लग गई है। जीएमएसएच-16 को मेडिकल कॉलेज के तौर पर डेवलप किया जाना था।
विशाल पाठक, चंडीगढ़
शहर के दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रोजेक्ट पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। प्रोजेक्ट पर एक बार फिर ब्रेक लग गई है। जीएमएसएच-16 को मेडिकल कॉलेज के तौर पर डेवलप किया जाना था। इसी के साथ दूसरे मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 50 सीटें भी मिलने का प्रस्ताव था, लेकिन अब इसके पूरा होने में समय लगेगा। स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के मापदंडों के अनुसार अभी जीएमएसएच-16 को मेडिकल कॉलेज के तौर पर डेवलप करने के लिए मानक पूरे नहीं हैं। ऐसे में उन मानकों को पूरा करने के बाद ही जीएमएसएच-16 को दूसरे मेडिकल कॉलेज के तौर पर डेवलप किया जा सकेगा। पीजीआइ और जीएमसीएच-32 में ही हैं पोस्टग्रेजुएट की सीटें
शहर में सिर्फ दो ही ऐसे चिकित्सा शैक्षणिक संस्थान हैं। जहां पोस्ट ग्रेजुएट सीटें हैं। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच-32) में 150 एमबीबीएस की सीटें और 125 पोस्ट ग्रेजुएट सीटे हैं। जबकि पीजीआइ चंडीगढ़ में 310 पोस्ट ग्रेजुएट सीटें हैं। ऐसे में उत्तर भारत के क्षेत्र में जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़, जम्मू व कश्मीर और अन्य राज्यों के मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत कम अवसर रह जाते हैं। जीएमएसएच-16 के लिए सारंगपुर में दी गई है 15 एकड़ जमीन
जीएमएसएच-16 को शहर के दूसरे मेडिकल कॉलेज के तौर पर डेवलप किए जाने को लेकर प्रशासन की ओर से सारंगपुर में 15 एकड़ जमीन भी चिह्नित कर दी गई है। इसके बावजूद कुछ मानक पूरे न होने के कारण मेडिकल कॉलेज का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा। एकेडेमिक ब्लॉक बनाने और हॉस्टल की व्यवस्था के लिए प्रशासन की ओर से जीएमएसएच-16 के 10 किलोमीटर के दायरे में आ रहे सारंगपुर में जमीन आवंटित की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री धवन की बदौलत शहर को मिला था पहला मेडिकल कॉलेज
चंडीगढ़ को पहला मेडिकल कॉलेज 1990 में मिला। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन की कोशिशों के चलते 50 एमबीबीएस सीटें मिल पाई थी। धवन ने कहा कि उस समय जनवरी महीने में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने मेडिकल कॉलेज की फाउंडेशन के लिए चंडीगढ़ आना था। लेकिन ठीक तीन दिन पहले मेडिकल काउंसिल की तरफ से एक लेटर मिला, जिसमें उन्होंने कॉलेज की परमिशन वापस लिए जाने के बारे में लिखा। इस पर धवन दिल्ली पहुंच गए और पीएम से मिलने के लिए चले गए। चिट्ठी पीएम के सामने रख दी। पीएम से कहा कि सरकार ये काम कर रही है। पीएम ने कहा कि सरकार क्या आपकी नहीं है? धवन ने कहा कि सरकार तो हमारी है? लेकिन आपके ब्यूरोक्रेट्स ये काम करते हैं। पीएम ने संबंधित मिनिस्ट्री में बात की और कहा कि वे तय टाइम पर इस कॉलेज का फाउंडेशन करने के लिए जाएंगे। जो जरूरी परमिशनें हों, वे जल्द दी जाएं। यह कहते पीएम ने ये चिट्ठी भी फाड़ दी। पांच साल हो गए जमीन मिले, अब तक नहीं स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर
चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2017 में जीएमसीएच-32 के एक्सपेंशन प्लान के तहत स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर बनाने के लिए जमीन आवंटित की थी। स्पोटर्स इंजरी सेंटर बनाने के लिए सेक्टर-32 हनुमान मंदिर के बगल में 1.4 एकड़ जमीन दी गई है। इस जमीन की चारदीवारी होने के बाद भी पांच साल से ये प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया। जबकि इस प्रोजेक्ट के लिए बजट से लेकर इंजीनयिरंग विभाग की सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर बनाने का ब्लूप्रिट वर्ष 2018 में तैयार किया गया था। प्लानिग के तहत इस सेंटर के लिए छह मंजिला इमारत बननी थी, जिसमें सीटी स्कैन, एमआरआई, एमरजेंसी समेत अन्य तमाम तरह सुविधाएं एक ही बिल्डिग में उपलब्ध होनी थी। इसी इमारत में फिजियोथेरेपी, स्पोर्ट्स साइकॉलोजी और स्विमिग जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होनी थी, ताकि खिलाड़ियों को इंजरी से उभरने के लिए शरीरिक व मानसिक तौर पर मदद मिल सके।