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पंजाब सरकार लाल किला हिंसा के आरोपित किसानों को देगी कानूनी सहायता, मुआवजा देने की भी तैयारी

Delhi Red Fort Violance पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार दिल्‍ली में लाल किला हिंसा के मामले में आरोपित पंजाब के किसानों को कानूनी सहायता देने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही इन किसानाें को मुआवजा भी देने की तैयारी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 07:33 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 08:28 AM (IST)
पंजाब सरकार लाल किला हिंसा के आरोपित किसानों को देगी कानूनी सहायता, मुआवजा देने की भी तैयारी
कैप्‍टन अमरिंदर सरकार लाल किला हिंसा के आरो‍पित किसानों को कानूनी सहायता देगी। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार के तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस ने पंजाब के जिन किसानों पर केस दर्ज किया था पंजाब सरकार उन्हें कानूनी सहायता के साथ-साथ मुआवजा देने पर भी विचार कर रही है। पंजाब विधानसभा की ओर से कांग्रेस विधायक कुलदीप वैद की अगुवाई में बनाई गई कमेटी ऐसे लगभग 100 किसानों के बयान दर्ज कर रही है। 60 ऐसे किसानों के बयान दर्ज भी किए जा चुके हैं। शुक्रवार को भी दस किसानों के बयान लिए गए।

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आंदोलन के दौरान मौत पर पहले ही कर रखा है परिवार को नौकरी व पांच लाख रुपये मुआवजे का एलान

गौरतलब है कि 26 जनवरी को तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान किया था, लेकिन इसी बीच फिल्म कलाकार दीप सिद्धू की अगुवाई में बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पुलिस के तय रूट को छोड़कर लाल किले की ओर बढ़ गए थे। यहां पर उन्होंने निशान साहिब फहरा दिया और काफी देर तक हुड़दंग मचाते रहे। पुलिस के साथ मारपीट भी की। दिल्ली पुलिस ने कई किसानों व युवा प्रदर्शनकारियों पर केस दर्ज किया था। दीप सिद्धू वहां से भाग गया था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।

विधानसभा कमेटी के चेयरमैन कुलदीप वैद ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने किसानों के साथ बहुत ज्यादती की है। उन्हें बुरी तरह से पीटा गया है। कई तो लाल किले की ओर गए भी नहीं थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में लेकर यातनाएं दीं। अभी तक हम 60 किसानों के बयान रिकार्ड कर चुके हैं और 40 के लगभग और के बयान लि ए जाने हैं। इनमें से कई किसान गरीब परिवारों से है। उन्हें कानूनी सहायता की जरूरत है। इसके अलावा कमेटी इन्हें मुआवजा देने की भी सिफारिश करेगी। इस बारे में मुख्यमंत्री से भी चर्चा की जाएगी। अभी रिपोर्ट तैयार करने में समय लग सकता है।

कमेटी में भाजपा को छोड़ सभी पार्टियों के विधायक

कमेटी में शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विधायक शामिल हैं। इससे पहले राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे जिन किसानों की जान गई है, उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी और पांच लाख रुपये मुआवजा देने का एलान किया था। ऐसे 220 किसानों के केस तैयार कर लिए गए हैं और उन्हें जल्द ही नियुक्ति पत्र सौंपे जाएंगे।

हिंसा करने वाले किसान नहीं, कांग्रेस कार्यकर्ता : भाजपा

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के महासचिव डा. सुभाष शर्मा ने कहा है कि 26 जनवरी को लाल किले पर जाने वाले लोगों की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी निंदा की थी, लेकिन आज उन्हें कानूनी सहायता और मुआवजा देने की बात से साफ हो गया है कि वे किसान नहीं बल्कि कांग्रेसी थे। भाजपा नेता ने कहा कि हम पहले दिन से ही कहते आ रहे हैं कि इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ है और जो लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं, वह किसान नहीं कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं।


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