कैसे खेलेगा इंडिया कैसे बढ़ेगा इंडिया... चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों के खेल मैदान बने जंगल, कहां खेलेंगे बच्चे
कोरोना महामारी के चलते शहर के स्कूल करीब एक साल बाद खुले हैं। ऐसे में स्कूलों के खेल मैदानों की हालत तो बद से बदतर हो है। रखरखाव के अभाव के कारण मैदान जंगल में बदल चुके हैं। ऐसे में स्कूल पहुंच रहे विद्यार्थी कहां खेलें यह बड़ा सवाल है।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। खेलेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया स्लोगन को देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। लेकिन चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों के खस्ताहाल खेल मैदानों को देख यह स्लोगन हवाहवाई साबित हो रहा है। कोरोना महामारी के चलते मार्च 2020 से बंद स्कूल करीब एक साल बाद खुलने लगे हैं। छठी से बारहवीं कक्षा के लिए खुले स्कूलों में 35 से 40 प्रतिशत स्टूडेंट्स भी पहुंच रहे हैं। स्कूल गेट खुलने से जहां स्टूडेंट्स खुश हैं, तो वहीं प्ले ग्राउंड की खस्ता हालत से पेरेंट्स ज्यादा परेशान हैं।
स्कूल बंद रहने के चलते शहर के ज्यादातर स्कूलों के प्ले ग्राउंड में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी चुकी हैं। वहीं स्कूल प्रबंधन, शिक्षा विभाग और प्रशासन कुंभकर्णी नींद सो रहा है। स्टूडेंट्स के स्कूल पहुंचने के बावजूद भी मैदानों की स्थिति को सुधारने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-42बी में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक मैदान की सफाई की फरियाद लेकर कई बार स्कूल आ चुके हैं, लेकिन स्कूल हेडमास्टर किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है।
गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-42बी में स्कूल पहुंचे बच्चे।
स्टूडेंट्स के अलावा स्थानीय बच्चों के लिए खुले प्ले ग्राउंड
नगर निगम चंडीगढ़ की तरफ से वर्ष 2017 में व्यवस्था की थी कि स्थानीय बच्चों के खेलने के लिए सरकारी स्कूलों के प्ले ग्राउंड को खोला जाए। यह ग्राउंड दोपहर स्कूल बंद होने के बाद स्थानीय बच्चों के लिए खुले रहेंगे। स्थानीय बच्चे वहां पर आते थे और खेलते थे जबकि प्ले ग्राउंड का रख-रखाव स्कूल प्रबंधक, प्रिसिंपल की जिम्मेदारी होती थी। इस तरह की व्यवस्था शहर के 90 से ज्यादा स्कूलों में चल रही है। इस समय 20 से 25 स्कूलों के प्ले ग्राउंड जंगल में तब्दील है।
स्कूल बंद, फोर्थ क्लास कर्मचारी कांट्रेक्टर की भेंट चढ़े और मैदान खस्ताहाल
कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद हो गए और स्कूलों का रख-रखाव करने वाले फोर्थ क्लास कर्मचारियों की नौकरी कांट्रेक्टर ने छीन ली। इसका नतीजा यह निकला की स्कूलों प्ले ग्राउंड की हालत खराब हो गई। उल्लेखनीय है कि शहर के ज्यादातर पुराने फोर्थ क्लास कर्मचारियों की नौकरी कांट्रेक्टर को अतिरिक्त भुगतान नहीं करने के चक्कर में चली गई। जो नए कर्मचारी स्कूलों में काम कर रहे हैं वह साफ सफाई का काम नहीं कर रहे। क्योंकि उनकी नियुक्ति चौकीदार या फिर गेट कीपर के पद पर हुई है। वहीं स्कूल प्रिसिंपल ने भी खेल मैदान को दरुस्त करवाने के लिए किसी प्रशासनिक अधिकारी से बात तक नहीं की।