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कारगिल युद्ध लड़ने वाला फौजी बन गया तस्कर, चंडीगढ़ समेत ट्राईसिटी के युवाओं के बेचता था नशा, पुलिस ने दबोचा

देश की रक्षा करने वाला सेना का जवान नशा तस्कर बन गया और युवाओं को नशे के दलदल में धकलने लग पड़ा। सेना से रिटायर्ड होने के बाद वह इस कारोबार में उतरा और खुद भी नशे का आदी बन गया।

By Edited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 06:22 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 02:57 PM (IST)
कारगिल युद्ध लड़ने वाला फौजी बन गया तस्कर, चंडीगढ़ समेत ट्राईसिटी के युवाओं के बेचता था नशा, पुलिस ने दबोचा
कारगिल युद्ध लड़ने वाला फौजी बन गया तस्कर, चंडीगढ़ समेत ट्राईसिटी के युवाओं के बेचता था नशा, पुलिस ने दबोचा।

जीरकपुर\मोहाली, जेएनएन। कारगिल की लड़ाई में देश की रक्षा करने वाला पूर्व फौजी नशा तस्कर बन गया। ट्राईसिटी में पिछले तीन साल से नशा तस्करी में सक्रिय पूर्व फौजी को जीरकपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस मामले में उसके एक साथी को भी पकड़ा है। आरोपित के पास से नशे की 1920 गोलियां और 500 ग्राम अफीम बरामद हुई हैं।

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पुलिस का कहना है कि पूर्व फौजी अपने साथियों के साथ यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के अन्य शहरों में सक्रिय नशा तस्करों से नशीले पदार्थ लाकर उन्हें ट्राईसिटी में सप्लाई करता था। आरोपित की पहचान गांव बसौली थाना लालड़ू निवासी 50 वर्षीय जसवीर सिंह उर्फ फौजी के रूप में हुई है। वहीं उसके साथी की पहचान मॉडर्न एन्क्लेव बलटाना निवासी अरुण कुमार उर्फ अनु के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि पूर्व फौजी जसवीर सिंह इस समय सिल्वर सिटी हाइट्स जीरकपुर में किराये पर रहता है। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपितों के खिलाफ जीरकपुर थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। सीआइए पुलिस को सूचना मिली थी कि दोनों आरोपित जीरकपुर एरिया में अपने एक ग्राहक को नशे की सप्लाई देने आ रहे हैं। पुलिस ने उन्हें डील फाइनल होने से पहले ही दबोच लिया।

अरुण निकला किंग पिन, वाट्सएप कॉल के जरिये करने थे ग्राहकों से संपर्क

पुलिस का कहना है कि नशा सप्लाई करने के मामले में किंग पिन अरुण कुमार ही है। उस पर पहले भी हेरोइन तस्करी के दो मामले एसटीएफ थाना मोहाली में केस दर्ज है। अरुण कुमार व जसवीर सिंह उर्फ फौजी दोनों ही नशे के आदी हैं। दोनों मिलकर अपने ग्राहकों को नशा सप्लाई करते थे। आरोपित ग्राहकों से संपर्क करने के लिए वाट्सएप कॉल का इस्तेमाल करते थे, ताकि पकड़ में न आ सकें। हर डील कोड वर्ड के हिसाब से तय होती थी। डिमांड के हिसाब से कस्टमर तक नशा पहुंचाया जाता था।

आर्थिक तंगी के कारण फंसा नशे की जाल में

जसवीर सिंह उर्फ फौजी से पूछताछ में यह बात सामने आई कि वह सेना में नौकरी के दौरान कारगिल युद्ध का भी हिस्सा था। लड़ाई के दौरान गोली लगने पर घायल होने की स्थिति में उसे यूनिट में वापस भेज दिया गया था। वर्ष 2006 में वह सेना से रिटायर्ड हो गया था। उसने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण वह नशे के जाल में फंस गया।  जसवीर सिंह उर्फ फौजी पिछले तीन साल से चंडीगढ़ में बीएसएनएल में नौकरी करता है। मगर सेना से रिटायर होने के बाद से वह नशे का आदी हो गया। नशे की लत पूरी करने के लिए ही नशा तस्करी करने लगा।


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