चंडीगढ़ प्राचीन कला केंद्र की 35वीं वेब बैठक में डाॅ. आभा डाॅ. विभा चैरसिया ने दी मधुर प्रस्तुति
प्राचीन कला केंद्र सेक्टर-35 की 35वीं वेब बैठक में दो सगी बहनों डाॅ. आभा और डाॅ. विभा चैरसिया ने मधुर गायन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत राग कलावती से की जिसमें पारम्परिक आलाप के बाद बड़े ख्याल में निबद्ध रचना महारे मन लगी थारी सूरतीया पेश किया गया।
चंडीगढ़, जेएनएन। प्राचीन कला केंद्र सेक्टर-35 की 35वीं वेब बैठक में डाॅ. आभा और डाॅ. विभा चैरसिया का मधुर गायन पेश किया। कोरोना काल के दौरान पिछले आठ महीनों से केंद्र लगातार संगीत प्रेमियों तक लगातार संगीत पहुंचाता आ रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार शाम को इंदौर की दो बहनों आभा और विभा चैरसिया के गायन से सजी केंद्र की 35वीं वेब बैठक आयोजित की।
कार्यक्रम की शुरुआत राग कलावती से की, जिसमें पारम्परिक आलाप के बाद बड़े ख्याल में निबद्ध रचना ‘‘महारे मन लगी थारी सूरतीया’’ पेश किया गया। इसके बाद छोटे ख्याल की रचना जो कि तीन ताल मध्य लय से निबद्ध से भरपूर थी को पेश किया गया, जिसके बोल थे ‘‘ बोलन लागी कोयलिया’’। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए द्रुत एकताल की रचना ‘‘ तारो न तारो थारी मर्जी’’ पेश की।
आभा और विभा चैरसिया ग्वालियर घराने से संबंध रखती हैं। दोनों बहनों ने गुरु डॉ. शशिकांत तांबे, डॉ. लीलावती अडसुले, डॉ. सुवर्णा वाड, स्वर्गीय पंडिम बाला साहेब पुछवाले, कल्पना जोकरकर, पंडित कमल कमले, डॉ. प्रभाकर गोहदकर से संगीत की शिक्षा ग्रहण की है।
प्राचीन कला केंद्र की रजिस्टार डॉ. शोभा कौसर ने कहा कि भारतीय संस्कृति को कायम रखने के लिए जो जरूरी प्रयास हैं उसी दिशा में प्राचीन कला केंद्र सेक्टर-35 काम कर रहा है। कोरोना महामारी में जब ऑफलाइन कार्यक्रम बंद थे तो केंद्र ने ऑनलाइन कार्यक्रम करके सफर को आगे बढ़ाया है। इसमें देश भर के कलाकार जुड़े है और उन्होंने बेहतर संगीत को पेश किया है। ऑनलाइन माध्यम से ही हजारों लोग संगीत की दुनिया से जुड़े है।