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अब रिसर्च के परिणामों से पीयू में ही तैयार होंगे उपकरण, मार्केट तक भी पहुंचाएगा जाएगा

अब तक पीयू में जो भी रिसर्च होते थे वह कागजों तक ही सीमित रहे। कोई तकनीक विकसित हुई भी तो बाजार में बड़ा बदलाव नहीं ला पाई। उसका मुख्य कारण यह रहा कि रिसर्च में ही फंड का अभाव होता है। बमुश्किल रिसर्च पूरे हो पाते हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:56 AM (IST)
अब रिसर्च के परिणामों से पीयू में ही तैयार होंगे उपकरण, मार्केट तक भी पहुंचाएगा जाएगा
इसके लिए मैनेजमेंट एंड डवलपमेंट रिसर्च सेंटर खुलने जा रहा है। इस सेंटर का संचालन दस सदस्यीय टीम करेगी।

चंडीगढ़, वैभव शर्मा।  पंजाब यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने वाले शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। उनके द्वारा तैयार की जाने वाली तकनीक से अब पीयू में ही उपकरण तैयार होंगे। उन्हें मार्केट तक भी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए मैनेजमेंट एंड डवलपमेंट रिसर्च सेंटर खुलने जा रहा है। इस सेंटर का संचालन दस सदस्यीय टीम करेगी। नए शैक्षिक सत्र में यह सेंटर धरातल पर आ जाएगा।

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अब तक पीयू में जो भी रिसर्च होते थे, वह कागजों तक ही सीमित रहे। कोई तकनीक विकसित हुई भी तो बाजार में बड़ा बदलाव नहीं ला पाई। उसका मुख्य कारण यह रहा कि रिसर्च में ही फंड का अभाव होता है। बमुश्किल रिसर्च पूरे हो पाते हैं। ऐसे में तकनीक के जरिये उपकरण बनाने और बाजार में उसे उतारने में पसीने छूट जाते हैं। यह काम आसान नहीं है। अब पीयू इसी काम को आसान बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है। इसके संचालन के लिए कमेटी बनाई जा रही है।

ऐसे काम करेगी यह टीम

रिसर्च पर यदि किसी शिक्षक व विद्यार्थी की ओर से बेहतर काम किया गया है और इससे बाजार में बड़ा बदलाव या फायदा पहुंचा सकता है, उस पर पीयू के इंजीनियरिंग विभाग की एक टीम काम करेगी। रिसर्च के आधार पर उपकरण या अन्य चीज तैयार होगी। उससे पहले यूबीएस की एक टीम बाजार का रुख लेगी। देश दुनिया में चल रहे उस उपकरण के बारे में जानकारी खंगालेगी और उद्योगपतियों या अन्य लोगों से संपर्क कर उस उपकरण के लिए मार्केट बनाएगी। जब उस उपकरण की बाजार में डिमांड होगी तो वह बड़ी संख्या में बनाए जाएंगी। पीयू इसके लिए अपनी तकनीक भी विकसित करेगा। मशीनें आदि भी लगाने की योजना बना रहा है।

ये हैं आंकड़े

पीयू में 700 से अधिक शिक्षक काम कर रहे हैं। अधिकांश शिक्षक किसी न किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। बड़े प्रोजेक्ट साइंस डिपार्टमेंट के पास होते हैं। इनकी संख्या 60 से 70 होती है। एक रिसर्च को तीन से चार साल लगते हैं। इनके अलावा 300 विद्यार्थी विभिन्न विभागों में रिसर्च कर रहे होते हैं। इन सभी की ओर से किए जाने वाले बेहतर रिसर्च से उपकरण तैयार होंगे। सूत्रों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को पीयूूूू अगले वर्ष अप्रैल तक जमीन पर उतार सकता है।


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