दो बिल्डिंग प्रॉपर्टी को एक साथ जोड़ने की मंजूरी
चंडीगढ़ एस्टेट अमेंडमेंट रूल्स-2020 में संशोधन कर नोटिफिकेशन जारी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहरवासी अब चाहें तो अब दो प्रॉपर्टी को मर्जर के बाद एक कर सकते हैं। दो साथ लगते प्लॉट-बिल्डिंग को आपस में जोड़ने की मंजूरी प्रशासन ने दे दी है। चंडीगढ़ एस्टेट (अमेंडमेंट) रूल्स-2020 में संशोधन कर प्रशासन ने इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी है। इसके तहत रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल तीनों कैटेगरी में मर्जर कराया जा सकता है। शर्त यह होगी कि दोनों प्रॉपर्टी का ऑनर एक ही होना चाहिए। अलग-अलग ऑनरशिप होने पर मर्जर नहीं हो सकता है। ऑनरशिप अगर एक ही व्यक्ति के नाम से है, तो उनको बिना बाहर से कोई चेंज किए अंदर से इन प्लॉट को जोड़ने को लेकर मंजूरी दे दी गई। हालांकि मांग परिवार के अलग-अलग सदस्यों की ऑनरशिप वाली प्रॉपर्टी को भी मर्जर करने की हो रही थी। सबसे बड़ी बात यह है कि अब मर्जर से प्लॉट कवर्ड एरिया का नुकसान भी नहीं होगा। अभी तक मर्जर की सुविधा तो थी, लेकिन दो प्लॉट के जोड़ने पर कवर्ड एरिया भी 30 प्रतिशत तक कम हो जाता था। जिसको देखते हुए आर्किटेक्ट्स प्रशासन से कवर्ड एरिया नुकसान के बिना मर्जर की मंजूरी मांग रहे थे। पहले ऐसे कम हो जाता था 30 फीसद कवर्ड एरिया
अभी तक अगर दो एक-एक कनाल के प्लॉट रेजिडेंशियल कैटेगरी में होते थे, तो इनको जोड़ने पर प्रॉपर्टी दो कनाल की हो जाती थी। लेकिन इससे उसका 30 फीसद कवर्ड एरिया खत्म हो जाता था। कारण यह था कि एक कनाल की प्रॉपर्टी में 50 फीसद ग्राउंड फ्लोर, 50 फीसद फर्स्ट फ्लोर और 50 फीसद ही सेकेंड फ्लोर में कवर्ड एरिया होता है। जबकि दो कनाल की प्रॉपर्टी में 45 फीसद ग्राउंड फ्लोर, फर्स्ट फ्लोर में भी 45 फीसद और सेकेंड फ्लोर में 30 फीसद कवर्ड एरिया मिलता है। इस तरह से तीनों फ्लोर का मिलाकर 30 फीसद कवर्ड एरिया कम हो जाता था। इसको लेकर आर्किटेक्ट्स ने प्रशासन को अपना रिप्रजेंटेशन दे रखी थी। एडवाइजरी काउंसिल की स्टैंडिग कमेटी में भी मामला उठा था। अब संशोधन के बाद कवर्ड एरिया कम नहीं होगा। बल्कि जो कवर्ड एरिया पहले एक कनाल के प्लॉट के हिसाब से मिला था, वह ही दो कनाल होने पर भी रहेगा। अगली पिछली बिल्डिंग लाइन नहीं बदलेगी
जिन प्लॉट को मर्जर होना है, उनके लिए शर्त यह होगी कि अगली और पिछली बिल्डिंग लाइन ओरिजिनल कैटेगरी की ही रहेगी। जिससे स्ट्रीट पिक्चर एक ही रहे। कॉर्नर का कोई प्लॉट है, तो इसके लिए पहले रिवाइज्ड ज्वाइनिग प्लान चीफ आर्किटेक्ट से मांगना होगा। उसी आधार पर मर्जर हो सकेगा। मरला हाउस को आपस में मर्जर होना है, तो इनको ऐसे जोड़ना होगा कि दो यूनिट बाहर से अलग-अलग दिखने के बजाय एक ही दिखे। मरला हाउसेज में एलिवेशन, प्रोजेक्शन और बिल्डिंग सेट बैकलाइन में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। इसके लिए एस्टेट ऑफिसर से मंजूरी लेनी होगी। मंजूरी के बाद ऑनर को रिवाइज्ड बिल्डिंग प्लान के लिए आवेदन करना होगा। दोबारा अलग करने पर कलेक्टर रेट के हिसाब से फीस
दो प्लॉट की मर्जर पर रिवाइज्ड बिल्डिंग प्लान की प्रोसेसिग फीस 10 हजार रुपये लगेगी। वहीं, अगर कभी बाद में मर्जर प्रॉपर्टी को पहले की तरह ही अलग कराना है, तो इसके लिए उस समय जो भी कलेक्टर रेट होगा, उसकी पांच फीसद के हिसाब से फीस लगेगी। यह फीस प्रति गज के हिसाब से होगी।