Move to Jagran APP

पंजाब की सियासत में सिद्धू पर फिर सस्‍पेंस, बड़ा सवाल- क्‍या आप में जाने की तैयार हो रही जमीन

पंजाब की सियासत में नवजोत सिंह सिद्धू पर सस्‍पेंस पैदा हाे गया है। चर्चाएं हैं कि उनके आम आदमी पार्टी में शामिल होने की जमीन तैयार की जा रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 06:53 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 08:47 AM (IST)
पंजाब की सियासत में सिद्धू पर फिर सस्‍पेंस, बड़ा सवाल- क्‍या आप में जाने की तैयार हो रही जमीन
पंजाब की सियासत में सिद्धू पर फिर सस्‍पेंस, बड़ा सवाल- क्‍या आप में जाने की तैयार हो रही जमीन

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी पंजाब में एक बार फिर चर्चा में है। राज्‍य में आप को शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठजोड़ और कांग्रेस के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन दिक्कत है लीडरशिप की। सबसे बड़ा सवाल है कि पार्टी को सत्ता तक ले कौन जाएगा? इसके लिए जो सबसे बड़ा नाम चल रहा है नवजोत सिंह सिद्धू का। दरअसल पंजाब की सियासत में सिद्धू को लेकर सस्‍पेंस की हालत पैदा हो गई है।  

loksabha election banner

पंजाब में आप के सामने है लीडरशिप का संकट, कांग्रेस में हाशिये पर चल रहे सिद्धू पर सबकी नजर

सिद्धू इन दिनों कांगेस में हाशिये पर हैं। उनके करीबी कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने जिस तरह से चार पेज का पत्र लिखकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं उससे कई संकेत मिल रहे हैं। पंजाब की रा‍जनीति के कई जानकार इसे सिद्धू के लिए कांग्रेस से बाहर खासकर आम आदमी पार्टी में संभावना तलाशने से जोड़ रहे हैं। यह भी चर्चाएं गर्म हैं कि सिद्धू के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की जमीन तैयार की जा रही है। 

इन सबके बीच पूरे परिदृश्‍य में सबसे बड़ा सवाल यह है कि सिद्धू को आप में शामिल कौन करवाएगा? क्या आप उनकी ओर हाथ बढ़ाएगी या फिर सिद्धू या उनके करीबी खुद ऐसा करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उन्हें इस बात की संभावनाएं काफी कम लगती हैं कि सिद्धू आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे। विश्लेषकों को ऐसा भी नहीं लगता कि आप पंजाब में दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और अकाली दल के विकल्प के रूप में रूप में उभर सकती है।

ये चर्चाएं दो दिन पहले सिद्धू के आम आदमी पार्टी में शामिल हाेने की संभावना के बारे में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर भगवंत मान ने जो कुछ कहा उससे गर्माई हैं। भगवंत मान ने कहा‍ था कि सिद्धू की छवि साफ है। उनके आप के शामिल होने के बारे में आलाकमान ही फैसला करेगा। आप में अच्‍छे लोगों का स्‍वागत है। सीएम फेस कोई मुद्दा नहीं है। बता दें कि सिद्धू के कांग्रेस में शामिल हाेने से पहले आम आदमी पार्टी में शामिल होने की चर्चाएं थीं और समझा जाता है कि सीएम चेहरा को लेकर बात नहीं बन सकी थी।

इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट कम्युनिकेशंस के डायरेक्टर डॉ. प्रमोद कुमार का मानना है कि अगर नवजोत सिद्धू आप में शामिल हो भी जाते हैं तो इससे पंजाब का क्या भला होने वाला है? सिद्धू के आप में जाने से छह महीने मीडिया में खबरें जरूर लग सकती हैं, लेकिन आप ने पिछले समय में न तो पंजाब में अच्छे विपक्ष की भूमिका निभाई है और न ही पार्टी को संगठित करने का काम किया है। जितने अच्छे लोग आए थे वे भी टूटकर चले गए। प्रमोद कुमार का मानना है कि अब आप पारंपरिक पार्टियों की तरह ही देखी जाएगी।

भगवंत मान व चीमा नहीं चाहेंगे कि सिद्धू पार्टी में शामिल हों : मालविंदर

राजनीतिक विश्लेषक मालविंदर सिंह माली का मानना है कि सिद्धू के आप में जाने की अफवाहों को जानबूझकर फैलाया जा रहा है। कांग्रेस में आने वाले दिनों में लीडरशिप में बड़े स्तर पर फेरबदल होगा। सिद्धू इसका इंतजार कर रहे हैं। दूसरा, उन्हें आम आदमी पार्टी में आने कौन देगा? सांसद भगवंत मान और आप विधायक दल के नेता व विधानसभा में नेता विपक्ष हरपाल चीमा ऐसा होने नहीं देंगे। मान पहले ही सभी अच्छे नेताओं को एक-एक करके बाहर कर चुके हैं। दूसरी बात, दिल्ली और पंजाब की राजनीति में बहुत अंतर है। आप ने अपनी राजनीति की शुरूआत व्यवस्था बदलने की बात से की थी, लेकिन अब वह मुफ्त शिक्षा, बिजली, पानी जैसे मुद्दे उभारकर सत्ता में लौटी है। यही नीतियां पारंपरिक पार्टियों की भी हैं।

'सीएम पद की दावेदारी से कम पर सिद्धू नहीं मानेंगे'

पंजाब की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले अमरिंदर सिंह का मानना है कि नवजोत सिंह सिद्धू किसी कीमत पर आम आदमी पार्टी में नहीं जाएंगे। सिद्धू के आप में शामिल हाने के सवाल पर भगवंत मान के जवाब को सुनकर तो कोई नहीं कह सकता कि वह उन्हें पार्टी में आने देंगे। सीएम की कुर्सी के भरोसे से कम पर सिद्धू नहीं मानेंगे। सिद्धू को यह भरोसा देगा कौन? भगवंत मान या अरविंद केजरीवाल? अगर केजरीवाल देंगे तो मान का क्या होगा? इससे पहले सुच्चा सिंह छोटेपुर, सुखपाल सिंह खैहरा, गुरप्रीत घुग्गी सरीखे नेताओं का भगवंत मान ने क्या हाल किया है, सभी को पता है। मुझे नहीं लगता कि ऐसी गलती सिद्धू करेंगे। उल्लेखनीय है कि छोटेपुर, खैहरा, घुग्गी आदि पहले आप में थे, लेकिन अब नहीं हैैं।

बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा छोड़ने के बाद भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्‍तान परगट सिंह और बैंस बदर्स सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंदर सिंह बैंस के साथ मिलकर आवाज-ए-पंजाब मोर्चा बनाया था। उस समय इस मोर्चे के आम आदमी पार्टी में शामिल होने या गठजोड़ की बात उठी थी। लेकिन, सिद्धू और परगट सिंह के कांग्रेस में शामिल होने से बैंस ब्रदर्स और उनके रास्‍ते अलग हो गए। बैंस ब्रदर्स की पार्टी का आप से तालमेल हुआ, हालांकि यह रिश्‍ता भी टूट गया।

पिछले दिनों शिरोमणि अकाली दल से निकले नेताओं की पार्टी अकाली दल टकसाली के कुछ नेताओं द्वारा सिद्धू को तीसरे मोर्चे का नेतृत्‍व करने का न्‍यौता दिया गया था। हालांकि इस पर सिद्धू या उनके समर्थकों की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।

40 मिनट की मुलाकात में परगट ने कैप्टन को खरी-खरी सुनाई थी

बता दें कि तीन दिन पहले कांग्रेस के विधायक परगट सिंह ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की। बताया जाता है कि इस मुलाकात में परगट ने मुख्‍यमंत्री को खरी-खरी सुनाई। सूत्रों के मुताबिक, परगट सिंह ने सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को साफ-साफ कहा कि सरकार के प्रति जनता की धारणा अच्छी नहीं है। लोग 1984 के बाद लोकसभा सदस्य के तौर पर इस्तीफा देने वाला और 2002 में भ्रष्टाचारी राजनेताओं व अफसरों को सलाखों के पीछे भेजने वाला कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते है।

इससे पहले परगट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को चार पन्ने का पत्र लिखा था। हालांकि पत्र तो दिसंबर में लिखा था लेकिन पिछले दिनों उन्होंने मुख्यमंत्री को पुन: रिमाइंडर दिया था। पत्र में परगट सिंह ने 1200 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले की जांच एक ठेकेदार से आगे न बढ़ पाने का मुद्दा उठाया था। इसी प्रकार उन्होंने लिखा था कि पूर्व कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट मंत्रियों और अधिकारियों पर विजिलेंस के जरिए जिस तरह का शिकंजा कसा था उसके चलते उनमें डर पैदा हो गया था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है।

परगट ने ड्रग्स को लेकर भी मुख्यमंत्री द्वारा कोई ठोस कदम न उठाने की बात कही थी। उन्होंने रेत खनन और शराब के कारोबार को लेकर और बेअदबी जैसे मुद्दे उठाए थे। इस पत्र के मीडिया में आने के बाद मुख्यमंत्री ने बुधवार को परगट सिंह के साथ तकरीबन 40 मिनट तक बैठक की।

सुखबीर को हिटलर की जीवनी भेजने का अर्थ नहीं समझे लोग

मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व हाकी खिलाड़ी ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने सुखबीर बादल को हिटलर की जीवनी भेजी थी। बड़ी संख्या में राजनीतिक लोगों को अभी तक यह समझ में नहीं आई कि आखिर यह जीवनी भेजी क्यों गई थी। इसके पीछे मंशा क्या थी।'

यह भी पढ़ें: नवजोत सिद्धू पर फिर कयासबाजी तेज, AAP नेता भगवंत मान बाेले- सीएम फेस कोई मुद्दा न‍हीं

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.