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निगम कर्मचारियों को तो पशु ही नहीं आते पकड़ने

मोहाली में लावारिस पशुओं की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 11:32 PM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 11:32 PM (IST)
निगम कर्मचारियों को तो पशु ही नहीं आते पकड़ने
निगम कर्मचारियों को तो पशु ही नहीं आते पकड़ने

जागरण संवादददाता, मोहाली : मोहाली में लावारिस पशुओं की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस समस्या से निजात के लिए दूसरी बार तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। लेकिन अब नगर निगम के पार्षद ही खुद आरोप लगा रहे हैं कि नगर निगम के मुलाजिमों को पशु तक पकड़ने नहीं आते हैं। इसके चलते लावारिस पशु सड़कों पर घूम रहे हैं व लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं। मोहाली शहर के अंदर छह के करीब गांव आते हैं। इनमें मोहाली गांव, शाहीमाजरा, सोहाना, कुंभड़ा, मटौर और मदनपुर शामिल हैं। इन गांवों में ही लोगों ने पशु रखे हुए हैं। लोग दूध लेने के बाद पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं। इसके बाद पशु सड़कों पर मुंह मारते हैं। अब यह समस्या काफी गंभीर हो गई है। अधिकतर पार्षदों ने लावारिस पशुओं पर नकेल कसने की मांग की है ताकि लोगों को लावारिस पशुओं से राहत मिल पाए। वहीं, मोहाली कैटल फ्री बन पाए। पार्षद हरपाल सिंह चन्ना ने कहा कि सड़कों पर पशुओं का झुंड देखा तो इस बारे में निगम की टीम को फोन किया। मौके पर टीम आई। इस दौरान एक गुरुद्वारा साहिब के बाहर लावारिस पशुओं को पाठी खाना खिला रहा था लेकिन इस दौरान टीम ने उन्हें नहीं पकड़ा। वहीं, तब ऐसे रस्सा घुमाकर फेंका कि पशु वहां से भाग गए। इससे साफ है कि नगर निगम के मुलाजिमों को पशु पकड़ने नहीं आते हैं। सबसे ज्यादा समस्या अब गुरुद्वारा सिंह शहीदां के सामने होने लगी है। पशु बन सकते हैं हादसों का कारण

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लोगों का कहना है कि चौक पर पशु लड़ते-लड़ते वाहनों से टकराने लगे हैं जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। उधर, मदनपुरा निवासी राजेश ने कहा कि नगर निगम का स्टाफ पशु पकड़ने को लेकर गंभीर नहीं है। बलौंगी से कुंभड़ा जाने वाली सड़क पर हर समय पशुओं के झुंड बैठे रहते हैं। जबकि यह एरिया गोशाला के बिल्कुल पास है। इसके बाद भी नगर निगम के स्टाफ द्वारा पशु नहीं पकड़े जाते हैं। इनको ट्रेनिंग की जरूरत

कुंभड़ा निवासी संजीव का कहना है स्टाफ को पशुओं को पकड़ने के लिए बाकायदा ट्रेनिग दिलानी चाहिए। उधर, मामले में मेयर कुलवंत सिंह ने कहा कि पशुओं को पकड़ने का काम निजी एजेंसी को भी देने का फायदा नहीं। इसको लेकर एक कमेटी बना दी गई है जो अगली बैठक में अपना सुझाव देगी, उसके बाद कुछ किया जा सकेगा।


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