कवि के शब्दों में संगीत भरना मेरी खुशकिस्मती
कवि के शब्द उसके लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कवि के शब्द उसके लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये शब्द जब किसी संगीतकार को मिलते हैं तो हमें इन शब्दों में और जान भरनी होती है। ये मुश्किल तो होता ही है, साथ ही परीक्षा की घड़ी भी। मेरे लिए शिव कुमार बटालवी जैसे कवि के शब्दों में संगीत भरना खुशकिस्मती रही। मैंने उनके करीब 12 गीतों को कंपोज किया है। संगीतकार देवकी आनंद ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपने द्वारा कंपोज किए गए गीतों के बारे में कहा। पंजाब कला भवन-16 में शुक्रवार शाम कवि शिव कुमार बटालवी की याद में बिरहड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें देवकी प्रस्तुति देने पहुंचे, उन्होंने कहा कि अपने अब तक के सफर में ऐसा पहली बार है जब मैंने पंजाब के कवि शिव कुमार बटालवी की रचनाओं को न केवल धुन में पिरोया बल्कि उनको गाया भी। एक तरह से मैंने अपने म्यूजिक के जरिये इतनी महान शख्सियत को ट्रिब्यूट दिया है। बोले कि जब मुझे यह मौका मिला तो सबसे पहले मैंने शिव कुमार बटालवी की कई रचनाओं को पढ़ा। इसके बाद 31 के करीब गीतों को मैंने कंपोज करने के लिए चुना। फिर इसमें से 12 गानों को कंपोज किया। इन सब में डेढ़ महीने का समय लगा। इनकी रचनाओं में विरह है, दुख- दर्द है, गहराई है। इक कुड़ी जिदा नां मोहब्बत
देवकी आनंद ने शिव को याद करते हुए सबसे पहले जिथे इतरां दे वगदे ने चो नी गीत गाया। इसके बाद उन्होंने शिव का प्रख्यात गीत इक कुड़ी जिदा नां मोहब्बत गाया। इसके बाद देवकी ने शिव को याद करते हुए उनसे जुड़ी कई बातें दर्शकों से साझा की। उन्होंने माये नी माये मैं इक शिकरा यार, मैं बनवासी, तेरा वसदा रवे पंजाब गीत भी गाया। देवकी के साथ बासुंरी पर वेवल, तबले पर गौतम, कीबोर्ड पर लवली, गिटार पर मनीष और ढोलक पर सुरेश नायक ने इनका साथ दिया।