पीजीआइ संगरूर सेटेलाइट सेंटर के लिए एक हजार पदो को हरी झंडी
सरकार ने एक हजार पदो पर नियुक्तियों को मंजूरी दे दी है।
वीणा तिवारी, चंडीगढ़ : पीजीआइ चंडीगढ़ के संगरूर में बनाए जा रहे 300 बेडेड सेटेलाइट सेंटर के लिए सरकार ने एक हजार पदो पर नियुक्तियों को मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसके लिए नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। जिससे जल्द से जल्द संगरूर के आसपास के शहरों से आने वाले मरीजों को नजदीक ही बेहतर इलाज मिले। पीजीआइ इंस्टीट्यूशनल और गवर्निग बॉडी की वीरवार को दिल्ली के निर्माण भवन में हुई मीटिग में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक हजार पोस्टो पर नियुक्तियों को स्वीकृति दी। इसके साथ ही कई अहम फैसले लिए गए हैं। पीजीआइ डायरेक्टर प्रो. जगतराम ने बताया कि मरीजों की संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पीजीआइ और उसके सेटेलाइट सेंटर की बेहतरी के लिए कई अहम निर्णय लिए हैं। जिसमें पूर्व में पीजीआइ चंडीगढ़ समेत रायबरेली और बठिंडा एम्स में की गई भर्तियों को अप्रूवल देने के साथ पीजीआइ के इंस्टीट्यूशनल परचेज कमेटी की पावर को बढ़ाए जाने जैसे अहम निर्णय शामिल हैं। प्रो. जगतराम ने बताया कि पीजीआइ की 88, रायबरेली एम्स की 22 और बठिंडा के 20 पदों पर पूर्व में की गई फैकल्टी मेंबरों की तैनाती को भी बॉडी की मीटिग में अप्रूवल दे दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मीटिंग में कहा कि अगली मीटिंग में जो भी आएगा, वह विभाग की बेहतरी के लिए दो आइडिया साथ लेकर आएगा। अब नियम-कानून नहीं बनेंगे रोड़ा
इसके साथ ही मरीजों की बेहतरी के लिए किए जाने वाले काम में रूल रेगुलेशन के कारण आने वाली बाधा को दूर करने के लिए रिक्रूटमेंट रूल्स में भी परिवर्तन किए गए हैं। इसमें पीजीआइ में विभिन्न पदों पर तैनाती के दौरान प्रशासन अपने स्तर पर निर्णय ले सकेगा। कई बार कुछ नियमों के पालन के कारण मरीजों के हित की अनदेखी करनी पड़ती थी। अब 25 लाख की जगह एक करोड़ मिलेगा
पीजीआइ में तत्काल जरूरत को ध्यान में रखते हुए उपकरणों की खरीद के लिए दिए जाने वाले बजट को भी बढ़ाया गया है। अब तक पीजीआइ इस मद में सिर्फ 25 लाख तक ही खर्च कर सकता था लेकिन अब इसके लिए उससे एक करोड़ तक खर्च करने का अधिकार दे दिया गया है। वहीं, ड्रग डीएडिक्शन डिपार्टमेंट में भी नई 36 पोस्ट पर तैनाती के लिए स्वीकृति मिली है। हर दिन 10 हजार मरीज आते हैं यहां
पीजीआइ में हर दिन लगभग 8 से 10 हजार मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। इनमें हरियाणा, हिमाचल, पंजाब और जम्मू से पेशेंट आते हैं। यहां से सबसे बड़ी मुश्किल कार्ड बनवाने की है। कई घंटे तो लाइनों में ही खड़े रहना पड़ता है। न्यू ओपीडी में हर डिपार्टमेंट के मरीजों का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन किया जाता है, इसके बावजूद रश थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इन मरीजों में से 60 फीसद बाहरी राज्यों से आते हैं, 40 फीसद मरीज ट्राईसिटी के होते हैं। पीजीआइ 2019 में भी नंबर दो पर
पीजीआइ के काम को देखते हुए ही मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क की इस वर्ष की रैंकिग में भी पीजीआइ को दूसरा स्थान मिला है। सरकार इसे और बेहतर करने का प्रयास कर रही है। जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिलने के साथ ही रिसर्च वर्क पर भी सफलता मिले। पिछले 5 साल में बढ़ी 33 प्रतिशत ओपीडी
साल मरीजों की संख्या
2012 1854163
2013 1936918
2014 2112129
2015 2260301
2016 2418876
2017 2684508
2018 2869150 बीते पांच साल में ट्रामा सेंटर में बढ़े 50 फीसद मरीज
साल मरीजों की संख्या
2011 33336
2012 35381
2013 37103
2014 39126
2015 40580
2016 44579
2017 48754
2018 48303 इन राज्यों से आए इतने मरीज
पंजाब- 9.9 लाख
चंडीगढ़- 5.44 लाख
हरियाणा- 5.13 लाख
हिमाचल- 3.22 लाख
उत्तरप्रदेश- 1.12 लाख
जम्मू-कश्मीर- 48 हजार
उत्तराखंड- 30 हजार
अन्य राज्य- 67 हजार