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हिमालय का रूप देख घर में ही बना रहे गणपति

गणेश महोत्सव की हर तरफ धूम है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 09:05 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 09:05 PM (IST)
हिमालय का रूप देख घर में ही बना रहे गणपति
हिमालय का रूप देख घर में ही बना रहे गणपति

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : गणेश महोत्सव की हर तरफ धूम है। दो सितंबर से शुरू हुए गणेश महोत्सव को हर कोई अलग-अलग तरीके से मना रहा है। घर में स्थापित गणपति की पूजा-अर्चना करने के अलावा उनका श्रंगार भी अलग-अलग ढंग से किया जा रहा है। शहर के 15 वर्षीय भव्य पठानिया ने पुराणों के अनुसार प्रचलित मिथों के आधार पर घर में गणपति बप्पा की स्थापना की है। सात फीट ऊंची और नौ फीट चौडे़ पंडाल में गणपति बप्पा को पहाड़ों के बीच बैठाया गया है। एक तरफ भगवान शिव को भी स्थापित किया गया है जोकि पहाड़ों के नीचे हैं और उन पर एक गुफा से होकर पानी आ रहा है। वहीं, उनके साथ गणपति बप्पा विराजमान हैं। भव्य गणपति बप्पा की स्थापना तीन साल से घर कर रहे हैं और यह स्थापना ठीक वैसी है, जैसे वैदिक ग्रंथों में वर्णन किया गया है।

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साधारण से गणपति से की शुरुआत

भव्य पठानिया ने बताया कि गणपति महोत्सव की शुरुआत एक साधारण से गणपति से की थी। धीरे-धीरे इसका स्वरूप बड़ा होता गया और इस बार इसे पहाड़ों के बीच स्थापित किया गया है। जहां पर पूजा करने के लिए रोजाना श्रद्धालु आ रहे हैं, वहीं, इसे देखने के लिए भी लोग खास तौर पर आ रहे हैं। भव्य ने बताया कि पुरातन ग्रंथों में भगवान शिव और उसके परिवार की परिकल्पना इसी प्रकार की गई है। उसके अनुसार इसे बनाया गया है। 12 सितंबर को इसका पूरी विधिविधान के साथ विसर्जित किया जाएगा। स्कूल के दोस्तों से देखकर की थी शुरुआत

भव्य के पिता रविंद्र पठानिया ने बताया कि बेटा भवन विद्यालय स्कूल सेक्टर-27 में पढ़ाई कर रहा था। स्कूल के अन्य दोस्तों के घरों में गणपति बप्पा की स्थापना होती थी। उसको देखकर इसने गणपति स्थापना की जिद्द की। उसके बाद लगातार इसकी स्थापना हो रही है। ईको फ्रेंडली बनाया है पंडाल

भव्य ने बताया कि गणपति मिट्टी के बने हुए हैं। इसके अलावा इसका जितना भी पंडाल बनाया है, वह सारा मिट्टी में मिलकर नष्ट हो सकता है। इसमें बांस के अलावा रस्सीवाली बोरियों का इस्तेमाल किया गया है। ताकि गणपति विसर्जन के बाद इसका प्रकृति को कोई नुकसान नहीं हो।


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