पहले जिन्हें पॉलिसी बना ट्रांसफर किया, अब सभी भेजे मूल विभाग में
अधिक इंप्लाइज के ट्रांसफर किए थे अब वह पॉलिसी ही खारिज हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रशासन ने जिस इंटर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर पॉलिसी के तहत 600 से अधिक इंप्लाइज के ट्रांसफर किए थे, अब वह पॉलिसी ही खारिज हो चुकी है। साथ ही इन सभी इंप्लाइज को वापस अपने मूल विभाग में तुरंत ज्वाइन करना होगा। शुक्रवार को प्रशासन के पर्सोनल विभाग ने यह आदेश जारी कर दिए हैं। 2016-2017 में इंटर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर पॉलिसी के तहत प्रशासन ने सैकड़ों इंप्लाइज के ट्रांसफर कर दिए थे। हालांकि इनमें से काफी इंप्लाइज अब रिटायर हो चुके हैं। साथ ही कुछ रिटायरमेंट से पहले वापस विभाग आ चुके हैं। इस आदेश से करीब 130 कर्मचारी अपने मूल विभाग जाएंगे। पर्सोनल सेक्रेटरी बीएल शर्मा ने बताया कि हाई कोर्ट में दायर याचिका के खारिज होने के बाद यह फैसला लिया गया है। इसमें 2016-17 में ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों को अपने मूल विभाग में ट्रांसफर का आदेश दिया गया है। यह था मामला
प्रशासन ने ट्रांसपेरेंसी और काम में तेजी का हवाला देते हुए 2016 में इंटर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर पॉलिसी बनाकर ट्रांसफर की कई लिस्ट जारी की थी। लेकिन इंप्लाइज इसके खिलाफ कैट चले गए। कैट ने यह ऑर्डर रद कर दिए। कैट के फैसले के खिलाफ ही प्रशासन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2016 में चंडीगढ़ प्रशासन के विभिन्न विभागों में कार्यरत लगभग 550 कर्मचारियों का तबादला किया गया था। यह कर्मचारी कई सालों से इन विभागों में काम कर रहे थे। कैट पहुंचे कर्मचारियों ने कहा था कि कई कर्मचारियों का तबादला ऐसे विभागों या पदों पर कर दिया गया है। जिन पर सिर्फ प्रशिक्षित कर्मचारी ही काम कर सकते हैं। कैट ने सात अप्रैल 2017 को अपने आदेश में प्रशासन के इस कदम को गैरकानूनी व अन्यायपूर्ण बताते हुए स्थानांतरित कर्मचारियों को उन के विभागों में वापस भेजे जाने के आदेश दिए थे। वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि एक विभाग के कर्मचारी को दूसरे विभाग में भेजना ऐसा ही है। जैसे किसी वकील को चार्टर्ड अकाउंटेंट के काम पर लगा दिया जाए। हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में प्रशासन से कहा था कि अब तक कैट के आदेशों को लागू क्यों नहीं किया गया।