ट्राईसिटी में सबसे मंहगे फ्लैट्स हाउसिंग बोर्ड के, ब्लैक मार्केटिंग में CHB ने प्रॉपर्टी डीलर्स को पीछे छोड़ा
ट्राईसिटी में सबसे मंहगे फ्लैट्स चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के होंगे। हाउसिंग बोर्ड ने प्रॉपर्टी की ब्लैक मार्केटिंग में प्रॉपर्टी डीलरों को भी पीछे छोड़ दिया है।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। ट्राईसिटी में सबसे मंहगे फ्लैट्स चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के होंगे। हाउसिंग बोर्ड ने प्रॉपर्टी की ब्लैक मार्केटिंग में प्रॉपर्टी डीलरों को भी पीछे छोड़ दिया है। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड प्रॉपर्टी डीलर बन गया है। शहर के लोगों के लिए हाउसिंग बोर्ड जो हाउसिंग स्कीम लेकर आ रहा है, उसमें फ्लैट्स के रेट ओपन मार्केट से भी अधिक हैं। यही नहीं, चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के नाम पर केंद्र सरकार को ठेंगा दिखा रहा है। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड शहर में वन बेडरूम से लेकर थ्री बेडरूम की हाउसिंग स्कीम लेकर आ रहा है। इस स्कीम में चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने फ्लैट्स के जो रेट रखे हैं वह शहर के आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं।
पिछले दस सालों में हाउसिंग बोर्ड एक भी अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम लेकर नहीं आया। शहर में फ्लैट बनाना आम आदमी एक सपना ही बन गया है। इस समय यह हाल है कि एक 60 से 80 हजार रुपये प्रति माह कमाई करने वाला शख्स भी हाउसिंग बोर्ड से फ्लैट नहीं खरीद पा रहा है। साल 2008 में जो इंप्लाइज स्कीम को लांच करके ड्रॉ निकाला गया था, उसमें भी कर्मचारियों के साथ धोखा करके 34.70 लाख में मिलने वाले फ्लैट का रेट दो करोड़ 8 लाख रुपये कर दिया गया है। ऐसे में इस रेट पर कर्मचारी फ्लैट लेने के लिए तैयार नहीं हैं।
साल 2016 में सीएचबी ने सेक्टर-51 में टू बीएचके के 114 फ्लैट्स का ड्रॉ निकाला था। एक फ्लैट 69 लाख रुपये में बेचा गया। सिर्फ पुनर्वास योजना के तहत झुग्गीवालों को फ्लैट बांटे गए हैं। कभी भी मध्यम वर्ग के लोगों के लिए स्कीम नहीं लांच की गई है। 2008 में हाउसिंग बोर्ड ने सेक्टर-63 की हाउसिंग स्कीम लांच की थी। उस समय भी उनके रेट काफी ज्यादा थे। सीएचबी की ओर से दस साल में जो-जो स्कीम लांच करके फ्लैट के रेट तय किए गए हैं, उसकी आधी कीमत पर चंडीगढ़ के आसपास पंचकूला और मोहाली जिले में फ्लैट मिल जाते हैं।
सेक्टर-53 की स्कीम में थ्री बेडरूम का रेट 1.79 करोड़ जबकि डेढ़ करोड़ में मिल जाएगा
ओपन मार्केट मे 16 जुलाई को हाउसिंग बोर्ड सेक्टर-53 के 492 फ्लैट्स की स्कीम को लांच करने का फैसला लेने जा रहा है। जिसमें जो फ्लैट के रेट तय किए गए हैं, वह काफी ज्यादा हैं। इसमें टू बेडरूम की कीमत 1.47 करोड़, थ्री बेडरूम का रेट 1.79 करोड़ रुपये तय किया गया है। ईडब्ल्यूएस कैटगरी के फ्लैट का रेट 50 लाख तय किया गया है। वन बीएचके फ्लैट की कीमत 94 लाख रुपये तय की गई है। जबकि इससे कम रेट पर पहले से चंडीगढ़ के ओपन मार्केट में फ्लैट मिल जाते हैं। ऐसे में सेक्टर-53 में फ्लैट के आवेदन करने के बाद इसके निर्माण में तीन साल का समय लग जाएगा। जबकि निजी सोसायटी में एचआइजी का फ्लैट डेढ़ करोड़ रुपये में मिल जाता है। बोर्ड की मीटिंग के बाद इस स्कीम के ब्रोशर मार्केट में आ जाएंगे। वन बेडरूम का फ्लैट 99 लाख में हाउसिंग बोर्ड ने इंप्लाइज स्कीम के तहत वन रूम फ्लैट का रेट 58.07 लाख, वन बेडरूम फ्लैट का रेट 99 लाख, टू बीएचके फ्लैट का रेट 1.35 करोड़ और थ्री बीएचके फ्लैट का रेट 1.76 करोड़ रुपये तय किया है।
कर्मचारियों का कहना है कि जिसका वेतन माह में एक लाख रुपये है, वह भी यह फ्लैट नहीं खरीद सकता है जबकि अधिकतर आवेदक कर्मचारी ऐसे हैं जिनका मासिक वेतन 40 से 60 हजार रुपये के बीच में है। ऐसे में फ्लैट की कीमत उनकी पहुंच से बाहर है। जबकि जब साल 2008 में स्कीम लांच हुई थी, उस समय वन रूम फ्लैट की कीमत 5.76 लाख, वन बीएचके फ्लैट की कीमत 13.53, टू बीएचके की कीमत 24.30 और थ्री बीएचके फ्लैट की कीमत 34.70 लाख रुपये तय की गई थी। जिसके तहत 3930 कर्मचारियों के फ्लैट ड्रॉ में निकले थे।
खुद ही प्रॉपर्टी डीलर बन गया क्राफ्ड: पुरी क्राफ्ड के चेयरमैन हितेश पुरी का कहना है कि सीएचबी का गठन इसलिए हुआ था कि लोगों को सस्ते रेट पर फ्लैट उपलब्ध हो सकें लेकिन हाउ¨सग बोर्ड खुद ही प्रॉपर्टी डीलर बनकर मार्केट से महंगे रेट पर हाउ¨सग स्कीम लांच कर रहा है। पिछले दस साल में एक भी अफोर्डेबल स्कीम प्रशासन लांच नहीं कर पाया। 60 से 80 हजार रुपये प्रति माह कमाई करने वाला भी सेक्टर-53 की हाउ¨सग स्कीम का फ्लैट नहीं खरीद सकता है।