शहर के सरकारी स्कूल स्वास्थ्य के मामले में फिसड्डी, पीजीआई के सर्वे में खुलासा Chandigarh News
शहर के सरकारी स्कूल स्वास्थ्य मानकों के पालन में बेहद पीछे हैं। यह खुलासा पीजीआई के सर्वे में हुआ है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। शहर के सरकारी स्कूल स्वास्थ्य मानकों के पालन में बेहद पीछे हैं। यह खुलासा पीजीआई के सर्वे में हुआ है। दरअसल चंडीगढ़ के सभी 206 निजी और सरकारी स्कूलों में पीजीआइ के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम चलाया गया था। सभी स्कूलों को स्वास्थ मानकों के हिसाब से चार कैटेगरी में बांटा गया। जिसमें उन्हें प्लैटिनम, गोल्ड, ब्राउंज और बिलो ब्राउंज में रखा गया। इन 206 स्कूलों में सिर्फ 3 स्कूल ही प्लैटिनम कैटेगरी में अपनी जगह बना पाए और इनमें चंडीगढ़ का कोई भी सरकारी स्कूल अपनी जगह नहीं बना पाया।
क्या थे मानकः स्कूलों में वाटर सैनिटेशन, फिजिकल एजुकेशन, मेंटल हेल्थ, कम्यूनिटी पार्टनरशिप, स्कूल हेल्थ सर्विस, हेल्थी स्कूल एनवायरमेंट, स्कूल काउंसलिंग के मौजूदा हालात को देखते हुए इन्हें रैंक के हिसाब से सर्टिफिकेट दिए गए हैं।
गोल्ड कैटेगिरी में 80 स्कूल
पीजीआइ के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम के प्रो. जेएस ठाकुर के मुताबिक जब प्रोग्राम शुरू किया गया था तो एक भी स्कूल गोल्ड कैटेगिरी में नहीं था। प्रोग्राम के बाद 80 स्कूल गोल्ड रैंक पर हैं, जिनमें 42 गवर्नमैंट और 38 प्राइवेट हैं। स्टूडेंट्स को स्कूल में अगर हेल्दी वातावरण मिलेगा तब वो अच्छी तरह पढ़ाई भी करेगा। इस कारण बाहर के देशों में हेल्थ को स्कूलों में विशेष दर्जा दिया जाता है। उम्मीद है कि नेशनल लेवल पर इस मॉड्यूल को शुरू करने से स्कूलों में हेल्थ अवेयरनेस ज्यादा से ज्यादा होगी। स्कूलों ने अपने लेवल पर काम किया है। पीजीआइ के 80 डाक्टर्स, काउंसलर्स और वॉलटीयर्स ने स्कूलों में आए इन बदलावों को चेक करने के बाद उन्हें रेटिंग दी है।
स्कूल में पीटी और हेल्थ एजुकेशन का पीरियड जरूरी
प्रो. जेएस ठाकुर ने यह भी कहा कि इस हेल्थ कार्यक्रम के बाद यह तय हुआ है कि सभी स्कूलों में पीटी और हेल्थ एजुकेशन का पीरियड रखा जाए। इस दौरान 45 मिनट बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी करनी जरूरी होगी। स्वस्थ राष्ट्र, स्वस्थ देश तभी बनेगा जब बच्चे स्वस्थ होंगे। इसके लिए स्कूलों के साथ-साथ पेरेंट्स को भी आगे आना होगा।