रिश्वत केस में डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर को जमानत
एक लाख तीस हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पंचकूला से गिरफ्तार पांच आरोपितों में शामिल महेशचंद्र को सोमवार को जिला अदालत से जमानत मिल गई।
जासं, चंडीगढ़ : एक लाख तीस हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पंचकूला से गिरफ्तार पांच आरोपितों में शामिल महेशचंद्र को सोमवार को जिला अदालत से जमानत मिल गई। वहीं मामले के दो अन्य आरोपित एजेंट मुनीष और गुरमीत ने भी अब अदालत में जमानत के लिए अर्जी दी है। महेशचंद्र केंद्रीय सदन सेक्टर-9 के डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर के रूप में तैनात था। मामले के एक आरोपित अखंड राज को पहले ही जिला अदालत से जमानत मिल चुकी है।
महेशचंद्र ने अपनी अर्जी में दलील दी थी कि सीबीआइ टीम को रकम की जो रिकवरी करनी थी वह हो चुकी है। केस की जांच पूरी हो चुकी है और उसे जेल में बंद हुए एक महीने से ऊपर हो गया है। दलील देते हुए कहा कि मामले के एक अन्य आरोपित अखण्ड राज को जिला अदालत पहले ही जमानत दे चूकी है। ऐसे में अब उसे भी जमानत का लाभ मिलना चाहिए।
सीबीआइ को सूचना मिली थी कि केंद्रीय सदन सेक्टर-9 के डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर महेश और लेबर इनफोर्समेंट ऑफिसर विवेक नायक जिन कंपनियों में कर्मचारियों के ईपीएफ और अन्य लेबर लॉ से संबंधित गड़बडि़यां होती थीं, वहां कार्रवाई न करने की एवज में दो एजेंटों की मदद से प्राइवेट कंपनियों से पैसे वसूलते थे। दोनों एजेंटों की पहचान बठिडा की एडवांटेज एचआर सोल्यूशंस कंपनी के पार्टनर गुरमीत सिंह और मुनीष कुमार के रूप में हुई। ये दोनों प्रत्येक कंपनियों से तिमाही के 35-35 हजार रुपये वसूलते थे और आगे महेश और विवेक को देते थे।
लेबर इनफोर्समेंट ऑफिसर विवेक नायक ने बठिडा की नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी पर रेड की थी। उस कंपनी के कर्मचारी अखंडराज ने गुरमीत और मुनीष से कहा था कि रिश्वत देने के बावजूद उन पर रेड क्यों हो रही है। इस पर गुरमीत सिंह ने लेबर इनफोर्समेंट ऑफिसर विवेक नायक से बात की। विवेक नायक ने उन्हें डेढ़ लाख रुपये लेकर आने को कहा। यहां सीबीआइ को इसका पता चल गया। इसके बाद उन पर नजर रखी गई।