जन औषधि और अमृत फार्मा पर खुलेआम बिक रहीं ब्रांडेड दवाएं
सरकार ने देशभर में अमृत और जन औषधि नाम से दवा की दुकानें खोली हैं।
वीणा तिवारी, चंडीगढ़ : जरूरतमंद और गरीब मरीजों को सस्ते दर पर ब्रांडेड दवा मुहैया कराने के लिए सरकार ने देशभर में अमृत और जन औषधि नाम से दवा की दुकानें खोली हैं। लेकिन चंडीगढ़ में सरकार की आंख में धूल झोंककर इन दुकानों पर खुलेआम ब्रांडेड दवाएं बेची जा रही हैं। यह हो रहा है सेक्टर-32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएस) में संचालित हो रही जन औषधि और अमृत फार्मा की दुकान पर। वहां सस्ती और जेनरिक दवा बेचे जाने का बोर्ड लगाकर मरीजों के साथ खुलेआम ठगी की जा रही है। 60 प्रतिशत तक के छूट को दरकिनार कर उन्हें ब्रांडेड दवाएं एमआरपी रेट पर बेची जा रही हैं। इस काम में कॉलेज प्रशासन भी उनकी भरपूर मदद कर रहा है। मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ
जीएमसीएस में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि उन्हें जन औषधि और अमृत फार्मा का अंतर समझ नहीं आया। क्योंकि जिस कीमत पर उनकी दवा उन्हें कॉलेज की निजी दवा की दुकान से मिली, वहीं जन औषधि और अमृत पर भी उसी रेट पर बेची जा रही हैं। करनाल से आए संदीप और सहारनपुर के योगेश ने बताया कि जन औषधि के नाम पर जनता को लूटने का कारोबार किया जा रहा है। हेल्पलाइन से भी नहीं मिली मदद
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हो रही इस लूट के संबंध में जब जन औषधि के हेल्पलाइन नंबर 9214000191 पर कॉल की गई तो वहां से भी मदद नहीं मिली। कॉल अटैंड करने वाले ने उल्टे यह समझा दिया कि जेनरिक दवाओं की कमी के कारण वहां ज्यादा से ज्यादा ब्रांडेड दवा का स्टॉक रखना पड़ रहा है। यह बताया गया कि जेनरिक दवाओं की कमी के कारण जन औषधि और अमृत फार्मा की दोनों दुकानों को रेडक्रॉस को दे दिया गया है। वे अपने हिसाब से दवाओं के स्टॉक रख रहे हैं। यानी यह सबकी मिलीभगत से हो रहा है। मिलनी है 60 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं
अमृत और जन औषधि की दुकान पर जेनरिक दवाओं के साथ ही ब्रांडेड लाइफ सेविग दवाएं 60 प्रतिशत तक की छूट पर बेचने का आदेश है। लेकिन यहां 60 छोडि़ए 6 प्रतिशत की भी छूट नहीं दी जा रही। मेडिकल कॉलेज में चलाई जा रही इन दोनों दवा की दुकानों पर मनमाने तरीके से दवा की बिक्री की जा रही है। जबकि दुकान के बाहर लगाए गए बोर्ड पर छूट की बात साफ लिखी गई है। इस संबंध में यदि कोई मरीज या उसका परिजन सवाल कर दे तो उसे बिना दवा दिए लौटा दिया जा रहा है। दुकानवालों को सरकार दे रही यह लाभ
दवा की प्रिट कीमत पर 20 प्रतिशत तक का मुनाफा, दो लाख रुपये तक की एकमुश्त वित्तीय मदद, योजना के तहत खोले गए जन औषधि केंद्र को 12 महीने की बिक्री का 10 प्रतिशत अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जा रहा है। इसलिए सस्ती होती हैं जेनरिक दवाएं
जेनरिक दवाएं सीधे खरीदार तक पहुंचती हैं। इन दवाओं की पब्लिसिटी के लिए कुछ खर्चा नहीं किया जाता। इसलिए ये सस्ती होती हैं। सरकार इन दवाओं की कीमत खुद तय करती है। जेनरिक दवाओं का असर, डोज और इफैक्ट्स ब्रांडेड दवाओं की तरह ही होता है।