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Exclusive Interview: अमरिंदर बोले- राष्ट्रीय सुरक्षा अहम मुद्दा लेकिन मोदी के राष्ट्रवाद से अलग

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने विशेष साक्षत्‍कार में कहा कि पंजाब के लिए राष्‍ट्रीय सुरक्षा अहम मुद्दा है लेकिन यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्‍ट्रवाद से अलग है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 09:37 AM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 10:50 AM (IST)
Exclusive Interview: अमरिंदर बोले- राष्ट्रीय सुरक्षा अहम मुद्दा लेकिन मोदी के राष्ट्रवाद से अलग
Exclusive Interview: अमरिंदर बोले- राष्ट्रीय सुरक्षा अहम मुद्दा लेकिन मोदी के राष्ट्रवाद से अलग

चंडीगढ़। राष्ट्रीय हो या स्थानीय, हर मुद्दे पर अपनी बेबाक टिप्पणी के लिए विख्यात वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का मानना है कि भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े पंजाब जैसे राज्य के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एक बहुत ही अहम विषय है, लेकिन उससे भी अहम है इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर वाले राष्ट्रवाद से अलग होकर देखना।

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चुनावी महासमर में पंजाब कांग्रेस के मिशन-13 पर लक्ष्य साधे कैप्टन स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यह चुनाव देश का प्रधानमंत्री चुनने के लिए है। इसलिए इसे राष्ट्रीय संदर्भ में ही लड़ा जाना चाहिए। वह कहते हैं चूंकि पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने जुमलेबाजी के इतर पंजाब को दिया ही कुछ नहीं, इसलिए प्रदेश भाजपा या बादल परिवार किसी राष्ट्रीय विषय पर बोलता ही नहीं। दैनिक जागरण पंजाब के स्थानीय संपादक अमित शर्मा और राज्य ब्यूरो प्रमुख इन्द्रप्रीत सिंह के साथ एक मुलाकात में कैप्टन अमरिंदर ने खुलकर बात की। खासकर उन तमाम बातों पर जो सीधी जुड़ी हैं पंजाब में बदलती चुनावी रंगत से। प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ अंश..

- पंजाब में चुनावी रंगत को देखें तो लगता ही नहीं कि आम चुनाव हैं? कहीं चेहरों की लड़ाई है तो कहीं गली-मोहल्ले के मुद्दों के आगे राष्ट्रीय मुद्दे एक तरह से गायब ही हो गए हैं। ऐसा क्यों ?

-ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी सरकार ने पांच साल में ऐसा कोई काम ही नहीं किया जिसे लेकर भाजपा या गठबंधन नेता पूरे देश में जा सकें और लोगों से सीधा संवाद कर सकें। मोदी से लेकर ब्लॉक लेवल का हर भाजपा नेता वोटर को इधर-उधर भटकाने की जद्दोजहद में है, सो मुद्दों को तो गायब होना ही था। आप ही बताओ जिन राज्यों में चुनाव हो चुके हैं क्या उनमें एक भी ऐसा राज्य या सीट है जहां भाजपा उम्मीदवार ने मोदी सरकार की परफामेर्ंस को मुद्दा बनाकर पेश किया हो? नहीं, बिल्कुल नहीं। कहीं भारतीय सेना के परफॉमेर्ंस पर वोट मांगा गया है तो कहीं बॉलीवुड स्टार्स को दफ्तर या घर बुलाकर मोदी-मोदी बुलवाया जा रहा है। अब पंजाब को ही ले लें- क्या प्रकाश सिंह बादल या सुखबीर सिंह बादल मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी या फिर जीएसटी को उपलब्धि बता कर वोट मांग रहे हैं ? अकालियों को छोड़ो, यहां पंजाब में तो भाजपा के लोग ही इन मुद्दों को दफन कर ढाई किलो के हाथ और तारीख पर तारीख के फेर में फंसते और फंसाते दिख रहे हैं।

- लेकिन कांग्रेसी उम्मीदवार या आप भी तो इन मुद्दों पर बात नहीं कर रहे? आप भी वही कर रहे हैं जिसके बारे में भाजपा या अकाली दल को कोस रहे हैं ?

-बिल्कुल नहीं। मैं हर स्टेज से अकाली-भाजपा के प्रांतीय नेतृत्व को चैलेंज करता हूं कि यह चुनाव प्रधानमंत्री के लिए है सो आप लोग बताओ आपकी पार्टी के जुमलेबाज प्रधानमंत्री को दोबारा क्यों वोट डालें लोग। जुमलों या नाटकीय भाषणों के अलावा मोदी ने पंजाब की जनता को क्या दिया जो दोबारा उनके नाम पर वोट दें पंजाबी ..। लेकिन आज तक कभी जवाब नहीं आया। जब वह लोग ही इस पर बोलना नहीं चाहते तो हम क्यों न अपनी बात करें। मेरी सरकार ने तो दो साल में बहुत कुछ कर दिखाया है तथा मैं और पंजाब कांग्रेस के नेता हर स्टेज से सीना तान कर इस पर बात कर रहे हैं जिसे मीडिया नेशनल और लोकल मुद्दों में बांट कर देखता है।

-फिर भी राहुल गांधी व अन्य द्वारा स्टेज से बोले जाने वाले मेनिफेस्टो में दर्ज अन्य बातें, जैसे 72000 रुपये का वादा .. इन सबका जिक्र भी तो आप समेत कोई भी कांग्रेसी पंजाब में नहीं कर रहा, कोई ठोस वजह ?

-देखिये पंजाब आर्थिक, भौगोलिक और सामाजिक दृष्टि से अलग तो है ही, यहां के लोग भी अपने स्तर पर अलग सोच रखते हैं और वह सोच हर चुनाव में आगे आकर बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषकों को हैरत में डालती रही है। चुनावी जंग में इन तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जहां तक कांग्रेस के राष्ट्रीय मैनिफेस्टो की बात है, वह पूरे देश के नागरिकों की जरूरतों को समग्रता से देखते बनाया गया डॉक्यूमेंट है। क्योंकि अधिकतर राज्यों में इसकी जरूरत है, सो न्याय योजना के तहत 72 हजार देने की बात कही गई है, लेकिन पंजाब में लोगों की आमदनी पहले ही प्रति व्यक्ति छह हजार से ज्यादा है, इसलिए यहां इस पर बात करना ज्यादा प्रभावी नहीं हो सकता। यह ओडिशा, बिहार आदि के लिए तो ठीक है, लेकिन पंजाब में आर्थिक स्थिति से लेकर रोड नेटवर्क या अन्य बुनियादी सुविधाओं में बहुत फर्क है। हमारी जरूरतें और हैं..कृषि कर्ज माफी और रोजगार की बात वह भी करते हैं और हम भी।

-कर्ज माफी तो आपकी प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा घोषणा से पहले ही कर दी थी, लेकिन फिर भी पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है जहां इस योजना से नाखुश आत्महत्या करने वाले किसानों की दो विधवाएं चुनाव में खड़ी हो गईं? ऐसा क्यों ?

-कर्ज माफी और किसानों की आत्महत्या दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं। जिन किसानों ने आत्महत्या की है, हमने उनके लिए न केवल मुआवजा राशि बढ़ाई है, बल्कि हम उनका पूरा कर्ज माफ करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। दूसरी ओर, सीमांत और छोटे किसानों का कर्ज माफ करने पर भी सरकार काम कर रही है और अब तक सात लाख से ज्यादा किसानों का दो लाख रुपये तक कर्ज माफ किया गया है। इतना तो पूरे देश में किसी भी सरकार ने माफ नहीं किया। वहां ज्यादा से ज्यादा ५० हजार तक सहायता दी गई है। लेकिन एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री के नाते यह मेरा फर्ज बनता है कि ऐसा न हो कि ऐसी नीतियां आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने लग जाएं ।

- पंजाब एक सीमावर्ती प्रदेश है। यहां आप राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना बड़ा मुद्दा मानते हैं?

-पंजाब देश का बॉर्डर स्टेट है। 511 किलोमीटर की सीमा हमारी पाकिस्तान के साथ लगती है जहां से सिर्फ लड़ाई के लिए गोले ही नहीं दागे जाते, बल्कि ड्रग्स की सप्लाई भी यहीं से होती है। पाकिस्तान की सीमा से जुड़े होने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते ही मैंने राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमेशा बेबाकी से बोला है। बेशक वह मेरी ही पार्टी के स्टैंड या कैबिनेट के साथी की विचारधारा से मेल न खाता हो। आज भी मेरा मानना है कि पंजाब के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एक बड़ा गहन विषय है और हमेशा रहेगा भी। लेकिन इसे मोदी की नजर वाले राष्ट्रवाद से अलग होकर देखना जरूरी है।

- और राष्ट्रवाद ?

-मैंने पहले भी कहा है कि इसे अगर मोदी या भाजपा की नजर से देखो तो सरासर गलत है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जो भी हुआ, वह मोदी सेना ने नहीं, हमारे देश की सेना ने किया। एक नागरिक, एक मिलिट्री मैन के नाते सर्जिकल स्ट्राइक की मैं बिल्कुल सराहना करता हूं। और यह सराहना सेना के जवानों की बहादुरी की है मोदी या उनकी सरकार की नहीं। क्योंकि इसमें बॉर्डर पार जाकर जवानों ने अपनी जान खतरे में डाल देश का मान बढ़ाया, मोदी या भाजपाइयों ने नहीं। मेरा यह स्टैंड आर्मी के ऑपरेशन को लेकर नहीं है। आप (मोदी) देश के लोगों से यह नहीं कह सकते कि मोदी की सेना ने यह कर दिखाया। आप अपना वोट पुलवामा के शहीदों के नाम पर मांगने का कतई अधिकार नहीं रखते। आपसे (मोदी) पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक हुई, जंगें लड़ी गईं और जीती भी गईं। लेकिन कभी भी भारतीय सेना को एक प्रधानमंत्री विशेष की सेना बताकर न तो पेश किया गया और न ही वोट मांगे गए।

- तो क्या आपका कहना है कि भारतीय सेना राजनीतिक द्वंद्व में फंसती जा रही है या राष्ट्रवाद के नाम पर सेना का राजनीतिकरण हो रहा है?

-बिल्कुल नहीं। देश की सेना आज भी राजनीतिकरण से कोसों दूर है। भारतीय सेना ने न तो कभी किसी राजनीतिक खेल में हिस्सा लिया है और न कभी लेगी। सेना को लेकर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। जरूरत है इस सेना के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों को सत्ता से दूर करने की, ताकि ऐसे लोग कभी सेना के नाम पर वोट मांगना तो दूर बल्कि एक राजनीतिक स्टेटमेंट जारी करने की सोच न सकें।

 - पर आपने पहले अपनी पार्टी लाइन से हट कर सर्जिकल स्ट्राइक को सही ठहराया था और आज आप भी सुबूत मांग रहे हैं?

-देखिए, मैंने जंग देखी भी है और लड़ी भी है। कोई भी साइड खड़े होकर यूं ही नहीं कह सकता कि हम सीमा पार गए और 50 लोगों को मार गिराया। सुबूत देने पड़ते हैं। और जब कोई मांगे तो सुबूत देकर आसानी से उसका मुंह बंद करवाया भी जाता रहा है। हमने 1965 की लड़ाई देखी है। तब भी सेटेलाइट से पता चल जाता था कि कहां पर कौन सी कमांड लगी है और उसके पास किस किस्म के हथियार हैं। अब तो टेक्नोलॉजी काफी बढ़ गई है। मिसाइल में जीपीएस लग गए हैं जो इतने पावरफुल हैं कि निश्चित टारगेट पर ही निशाना साधते हैं। ऐसे में अगर हमारी फौज ने बालाकोट में जाकर उनके आर्मी कैंप तबाह किए हैं तो इसके सुबूत तो हमें छाती चौड़ी कर पूरे विश्व को दिखाकर देश की सेना का लोहा मनवाना चाहिए । इसे छिपाना क्यों है?

 - चलिए अब पंजाब की बात करते हैं। यहां के चुनावी नतीजों (अच्छे या बुरे) को क्या आप अपनी सरकार की दो साल की कारगुजारी पर भी जनता का फतवा कहेंगे?

- देशभर की कांग्रेस ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का जिम्मा उठाया है। पंजाब के संदर्भ में हम इसे मिशन 13 मानकर चल रहे हैं। एक-दो सीटों पर कड़ी टक्कर बनती दिख रही है। मेरे ख्याल से हमारा मिशन सफल होगा और ज्यादातर सीटों पर सकारात्मक परिणाम ही आएंगे। हमारी यानी राज्य सरकार की कारगुजारी नि:संदेह वोटर पर प्रभाव तो डालेगी ही। हम दो साल की अच्छी परफॉरमेंस पर ही तो मिशन 13 की सफलता की हुंकार भरते हैं। हालांकि यह चुनाव केंद्र की सरकार बनाने को लेकर है। उनकी कारगुजारी पर ज्यादा बड़े सवाल खड़े होने चाहिएं।

- अगर आप मिशन 13 को लेकर इतने आश्वस्त हैं तो फिर अपने मंत्रियों और विधायकों को जीत-हार को लेकर सार्वजनिक चेतावनी क्यों देनी पड़ी, जिसके विरोध में नवजोत सिद्धू और प्रताप बाजवा आदि भी खुल कर बोले?

- देखिए, हर सीट पर हर नेता, हर कार्यकर्ता को जिम्मेदारी आधिकारिक तौर पर सौंपी जाती है। वह वहां मोर्चे पर डटकर काम भी करता है। मोर्चे बांटने के बाद हमने मंत्रियों से कहा है कि अगर उनके हलके में वोट कम पड़े तो उनकी कुर्सी जा सकती है और विधायकों से भी कहा है कि अगर उनके हलके में वोट कम हुए तो अगली बार वह विधानसभा का टिकट लेने का हकदार नहीं रहेगा। इसमें गलत क्या है? इन्हीं मोर्चो पर प्रभावी या ढीली कारगुजारी ही चुनावी जंग में जीत-हार तय कर देती है। यह चेतावनी केवल इसलिए दी है कि कहीं कोई ढीला न पड़ जाए।

- पंजाब में कांग्रेस ने बेअदबी को राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े मुद्दों से बढ़ाकर पेश किया है। क्या यह धर्म के नाम पर राजनीति का हिस्सा नहीं ?

-पंजाब के लिए बेअदबी से बड़ा मुद्दा हो ही नहीं सकता। इसे मुद्दा कांग्रेस ने नहीं, पंजाब की जनता ने बनाया है। ठीक उसी तरह जैसे पिछले चुनाव में ड्रग्स को आम जनता ने ही मुद्दा बना दिया था। भला कोई कैसे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग फाड़कर गलियों में फेंक सकता है। उनकी सरकार (अकाली-भाजपा) ने ऐसा करने वालों के खिलाफ पांच साल में किया क्या? कुछ भी नहीं। यही बात लोगों को समझ आ गई, जब उन्हें पता चल गया कि असल में अकाली दल इस मुद्दे पर राजनीतिक ध्रुवीकरण करना चाहता था। बेअदबी अपने आप मुद्दा बनकर उभर आया। आज पंजाब के लोग जान गए हैं कि कैसे अकाली दल ने बेअदबी के नाम पर यह प्रचार करने की असफल कोशिश कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग किसी दूसरे समुदाय के लोगों ने फाड़े हैं, ताकि सिखों के वोट इन्हें मिल जाएं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अंत में हर चुनाव में पंथ खतरे में है का नारा देने वाले अकालियों का खुद का अस्तित्व खतरे में पड़ गया।

- लेकिन आपने भी तो गुटका साहिब हाथ में लेकर ड्रग्स तस्करी की कमर तोड़ने की शपथ ली थी। ड्रग्स का मुद्दा तो आज भी है और विरोधी पक्ष इसे बेअदबी बता रहा है?

- हां, मैंने शपथ ली थी और इस शपथ को पूरा करने के लिए बहुत कदम भी उठाए। नतीजे भी हासिल किए। इसी कसम की बदौलत हमने ऐसी नीतियां बनाईं कि आज १२०० रुपये में आसानी से मिलने वाली ड्रग्स की डोज पंजाब में छह हजार में भी नहीं मिल पाती। यह तभी हुआ क्योंकि इसकी बेधड़क सप्लाई चेन हमारी सरकार ने तोड़ दी। क्या यह इस बात का सुबूत नहीं है कि पंजाब में अब ड्रग्स नहीं मिलती। हालांकि मैं यह मानता हूं कि आज भी उड़ी, दिल्ली और पाकिस्तान की सीमा से ड्रग्स की तस्करी हो रही है। ये लोग पंजाब को हब बनाने में लगे हुए हैं। यही ड्रग तस्करों और आइएसआइ का सीधा लिंक भी स्थापित करता है। इसलिए बॉर्डर को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा को मैं एक बड़ा मुद्दा मानता हूं।

- आपकी कैबिनेट के सदस्य और कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिद्धू अक्सर अपने भाषणों में सीमाएं लांघ जाते हैं। चुनाव आयोग ने उन्हें दो बार नोटिस दिया है? इसी बड़बोलेपन के कारण ही आप उन्हें कहीं पंजाब से दूर तो नहीं रखना चाहते ?

- जब उन्होंने (सिद्धू) मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस के पक्ष में वोट करने को कहा था तो मैंने उसी दिन उन्हें गलत ठहराया। मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। भारत एक सेकुलर देश है। यही इसकी शक्ति है। कोई कैसे किसी एक समुदाय को एक पार्टी के लिए वोट करने को कह सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तो हर जगह यही कर रहे हैं। मेरा मानना है कि जब वह (सिद्धू) हर रोज छह-सात रैलियां कर रहे हैं सो कभी कभार गलती हो भी जाती है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। उन्हें यह गलती मान लेनी चाहिए। पंजाब में उनके द्वारा प्रचार की बात है तो ऐसा कुछ नहीं है कि उन्हें यहां से दूर रखा जा रहा है। यहां भी जल्द ही वह प्रचार करेंगे।

साक्षात्‍कार के खास बिंदु

- पंजाब के लिए बेअदबी से बड़ा कोई दूसरा मुद्दा हो ही नहीं सकता

- देश में किसानों का सबसे ज्यादा कर्ज पंजाब सरकार ने ही माफ किया है

-मैंने जंग देखी है, लड़ी है.. सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं तो सुबूत देने पड़ते हैं

-सेना को लेकर सियासत करने वालों को सत्ता से दूर करना होगा

-कम वोट पड़ने पर मंत्रियों को कुर्सी जाने की धमकी दी है तो इसमें गलत क्या

- सिद्धू अवश्य स्टार प्रचारक लेकिन गलतियां हो जाती हैं, मान लेनी चाहिए..   

- पंजाब के लिए उतनी प्रभावी नहीं कांग्रेस की न्याय योजना जितनी बिहार, उड़ीसा के लिए

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कैप्‍टन का सेना पर स्टैंड

-सेना को लेकर सियासत करने वालों को सत्ता से दूर करना होगा

-मैने जंग देखी है, लड़ी है... सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं तो सुबूत देने पड़ते हैं

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पार्टी पर पकड़

-कम वोट पडऩे पर विधायकों-मंत्रियोंको टिकट या कुर्सी जाने की धमकी दी है तो इसमें गलत क्या

-सिद्धू अवश्य स्टार प्रचारक लेकिन गलतियां हो जाती हैं, मान लेनी चाहिए...

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