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दिव्यांगता काे मात देकर नरेंद्र ने बनाया कीर्तिमान, तीन गुना कराया दसवीं का परिणाम

दिव्यांग होने के बाद भी नरेंद्र शास्त्री का साहस कम नहीं हुआ और जिस स्कूल का परिणाम पिछले साल तक 22 प्रतिशत था वह इस बार 66 प्रतिशत हो गया।

By Edited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:45 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 10:57 AM (IST)
दिव्यांगता काे मात देकर नरेंद्र ने बनाया कीर्तिमान, तीन गुना कराया दसवीं का परिणाम
दिव्यांगता काे मात देकर नरेंद्र ने बनाया कीर्तिमान, तीन गुना कराया दसवीं का परिणाम

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर] । दिव्यांग होने के बाद भी नरेंद्र शास्त्री का साहस कम नहीं हुआ और जिस स्कूल का परिणाम पिछले साल तक 22 प्रतिशत था, वह इस बार 66 प्रतिशत हो गया। नरेंद्र शास्त्री 90 प्रतिशत तक दिव्यांग हैं। वैसाखी के सहारे एक से दूसरे स्थान तक मुश्किल से चल पाते हैं। वर्ष 2017-18 में विभाग का दसवीं क्लास परिणाम 48 प्रतिशत आया तो नरेंद्र शास्त्री ने खुद आगे होकर एक स्कूल का इंचार्ज बनने की इच्छा जताई। नरेंद्र शास्त्री उस समय गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-32 में ¨हदी के बतौर लेक्चरर कार्यरत थे। विभाग ने उन्हें गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-31 का ही चार्ज दे दिया, जोकि नरेंद्र शास्त्री ने अतिरिक्त तौर पर मांगा था। अगस्त में नरेंद्र शास्त्री ने गवर्नमेंट हाई स्कूल सेक्टर-31 को ज्वाइन किया और सात महीनों की मेहनत से स्कूल का दसवीं क्लास का परिणाम तीन गुना हो गया।

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दिन के नौ घंटे देते थे स्कूल में

टीचर्स की ड्यूटी छह से साढ़े छह घंटे की होती है, लेकिन नरेंद्र शास्त्री इंचार्ज बनने के बाद भी लेक्चरर का काम करते रहे। वह दिन में नौ घंटे तक स्कूलों में रही रहते। सुबह सवा सात से साढ़े दस बजे तक जीएमएसएसएस-32 में लेक्चरर के तौर पर एक स्कूल में काम करते और उसके बाद गवर्नमेंट मॉडल हाई स्कूल सेक्टर-31 में दोपहर 3 बजे तक ड्यूटी देते। इस दौरान नरेंद्र शास्त्री टीचर्स को मोटिवेट करने के अलावा स्टूडेंट्स से भी मिलते थे।

विभाग कर चुका है स्टेट अवॉर्ड से सम्मानित

अगस्त में नरेंद्र शास्त्री ने स्कूल का काम संभालने के बाद बेहतर परिणाम देना शुरू किया तो 26 जनवरी 2019 को गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से स्टेट अवॉर्ड देकर सम्मानित भी किया गया। नरेंद्र शास्त्री ने बताया कि विभाग के विश्वास से खुश हूं, लेकिन स्कूल में अभी बहुत से काम कराने बाकी हैं। जिस प्रकार लेक्चरर के तौर पर मैंने सौ प्रतिशत का परिणाम दिया है, वैसे ही मैं इंचार्ज के तौर पर काम करना चाहता हूं। जब मेरा परिणाम सौ प्रतिशत हो जाएगा तभी संतुष्टि होगी।

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