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राफेल डील पर मनीष तिवारी का प्रधानमंत्री पर हमला

पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उनकी सरकार में जिस मंत्री के पास जो विभाग है। वह अपने विभाग से जुड़ी जानकारी नहीं देता है, बल्कि दूसरे के मंत्रालय से जुड़ा बयान रोज जारी करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 04:28 PM (IST)
राफेल डील पर मनीष तिवारी का प्रधानमंत्री पर हमला
राफेल डील पर मनीष तिवारी का प्रधानमंत्री पर हमला

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उनकी सरकार में जिस मंत्री के पास जो विभाग है। वह अपने विभाग से जुड़ी जानकारी नहीं देता है, बल्कि दूसरे के मंत्रालय से जुड़ा बयान रोज जारी करते हैं। राफेल डील पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि 2012 में यह डील 590 करोड़ रुपये के हिसाब से हुई थी, अब 1690 करोड़ रुपये में लड़ाकू विमान खरीदे हैं। ऐसे में इस करोड़ों रुपये के घोटाले के ऊपर प्रधानमंत्री को खुद जवाब देना चाहिए, उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि आखिर यह डील किसको फायदा पहुंचाने के लिए की गई है। इस मामले में अब तो फ्रास के पूर्व राष्ट्रपति ओलाद यह स्पष्ट कर चुके हैं कि ऑफसेट पार्टनर के लिए भारत सरकार ने ही निजी कंपनी का नाम सुझाया था। जिस कारण एचएएल को इससे बाहर किया गया। उन्होंने अपनी मर्जी से कोई ऑफसेट पार्टनर नहीं चुना।

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अब फ्रांस के राष्ट्रपति किसी अंडर सेक्रेटरी या दूसरे अधिकारी के कहने पर तो ऐसा करते नहीं। आप खुद समझ सकते हैं कि भारत के शीर्ष नेतृत्व ने ही इस मामले में एचएएल की जगह निजी कंपनी का नाम फ्रांस को दिया। वह कंपनी जो इस काम में एकदम नई थी। जबकि एचएएल बोइंग तक बनाती रही है। आखिर अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए देश की रक्षा से खिलावाड़ क्यों हो रहा है।

तिवारी ने इस मामले की जाच के लिए संसदीय समिति का गठन करने की माग की। साथ ही खुद प्रधानमंत्री से जवाब मागा है। तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और मौजूदा रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से भी जवाब देने को कहा है। तिवारी सेक्टर-19 स्थित अपने घर पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। अब तो बीजेपी के मंत्री यह बात कहने लगे हैं कि भारत और फ्रास का विपक्ष मिला हुआ है।

वित्तमंत्री की यह हास्यस्पद स्टेटमेंट है। सरकार में यह चल क्या रहा है। वित्तमंत्री की जगह कानून मंत्री जवाब देने आते हैं। रक्षा मंत्री की जगह विदेश मंत्री। जबकि जिस मंत्रालय से जुड़ा मामला है जवाब उसी को देना बनता है। हर बार दूसरे को आगे कर दिया जाता है।


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