सालों से कॉलेजों में नियुक्त प्रोफेसर का होगा तबादला, लागू होगी नई पॉलिसी
उच्च शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के सामने भी सरकारी कॉलेज में लंबे समय से पढ़ा रहे प्रोफेसर की नियुक्ति पर सवाल उठ चुके हैं।
डॉ.सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़
चंडीगढ़ के पांच सरकारी कॉलेजों में सालों से एक ही जगह जमे प्रोफेसर को अब सभी कॉलेजों में जाकर पढ़ाना होगा। कॉलेजों में कई प्रोफेसर तो 20 से 25 सालों से पढ़ा रहे हैं। यूटी के सरकारी स्कूलों के बाद यूटी प्रशासन अब सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर के लिए भी नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू करने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार मामले में यूटी हायर एजुकेशन के अधिकारी हरियाणा और पंजाब के कॉलेजों में लागू ट्रांसफर पॉलिसी को स्टडी कर रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के सामने भी सरकारी कॉलेज में लंबे समय से पढ़ा रहे प्रोफेसर की नियुक्ति पर सवाल उठ चुके हैं। बता दें कि इस समय शहर के सरकारी कॉलेजों में करीब 200 रेगुलर और इतने ही कांट्रेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हैं। शहर के सेक्टर-11 स्थित टॉप रैंकिंग में शामिल जीसीजी और जीसी-11 में नियुक्त को लेकर अन्य कॉलेज प्रोफेसर की प्राथमिकता रही है, लेकिन तबादला नीति नहीं होने के कारण बहुत से असिस्टेंट प्रोफेसर को इन कॉलेजों में पढ़ाने का मौका नहीं मिलता। पहले चरण में रेगुलर प्रोफेसर के तबादले
पहले चरण में ट्रांसफर पॉलिसी में सिर्फ रेगुलर प्रोफेसर का ही ट्रांसफर किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर कांट्रेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर को भी बदला जा सकता है। निर्धारित समय के बाद सभी को तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ऐसा नहीं करने से ऑनलाइन सिस्टम के तहत खुद ही प्रोफेसर का दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर हो जाएगा। रिटायरमेंट से एक साल पहले प्रोफेसर को ट्रांसफर पॉलिसी में छूट रहेगी। ट्रांसफर पॉलिसी दब गई फाइलों में
सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर के ट्रांसफर को लेकर 2016 में हायर एजुकेशन विभाग द्वारा ट्रांसफर पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार किया गया था। पॉलिसी को लागू करने के लिए उच्च स्तर तक फाइल भी चली गई। पर उच्च अधिकारियों के दवाब के चलते ट्रांसफर पॉलिसी की फाइल को दबा दिया गया। उसके बाद से ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब कॉलेज प्रोफेसर की ट्रांसफर पॉलिसी को फिर से अंतिम रूप देने की तैयारी है। तय होगा कॉलेज प्रोफेसर की नियुक्ति का समय
नई पॉलिसी के तहत शहर के सरकारी कॉलेजों में नियुक्त सभी प्रोफेसर का 8 साल के बाद तबादला तय है। प्रस्तावित पॉलिसी के तहत शहर के पांचों कॉलेजों को अलग-अलग जोन में बांटा जाएगा। ट्रांसफर पॉलिसी के तहत जोन एक में जीसीजी-11 और जीसी-11 होंगे। जोन बी में जीसीजी-42,जीसी-46 और गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज-50 को रखा जाएगा। दो साल पहले तैयार की गई ट्रांसफर पॉलिसी के प्रस्ताव को भी स्टडी किया जाएगा। 2006 के बाद अब 39 रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती
शहर के सरकारी कॉलेजों में रेगुलर टीचिंग फैकल्टी की काफी कमी है। कॉलेजों में मंजूरी असिस्टेंट प्रोफेसर के 500 पदों में से इस समय करीब 200 पर ही स्थायी शिक्षक हैं। 190 के करीब कांट्रेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर और कॉलेजों में 300 रिसोर्सपर्सन (पार्ट टाइम) पढ़ा रहे हैं। 2006 में सरकारी कॉलेजों में अंतिम बार यूपीएससी से रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हुई थी। 12 साल बाद अब जुलाई अंत तक पांचों सरकारी कॉलेजों में 39 असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन करेंगे। अधिकारियों के अनुसार 10 शिक्षकों ने संबंधित विभाग में ज्वाइनिंग रिपोर्ट भी दे दी है। कांट्रेक्ट वालों की नौकरी पर लटकी तलवार
यूपीएसई के तहत नए शिक्षकों की भर्ती के बाद शहर के सरकारी कॉलेजों में कांट्रेक्ट पर नियुक्त शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। हायर एजुकेशन विभाग ने 2009 में करीब 250 कांट्रेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की थी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के बाद इन शिक्षकों को सत्र खत्म होने पर रिलीव नहीं किया जाता, लेकिन स्थायी नियुक्ति होने पर कई कांट्रेक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। विभाग की ओर से इस संबंध में कॉलेजों में कांट्रेक्ट पर नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर की पूरी जानकारी मांगी गई है।
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यूटी के स्कूल और कॉलेज स्तर पर शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए कुछ नए कदम उठाएं जाएंगे। दोनों लेवल पर शिक्षकों को बेहतर रिजल्ट देना होगा। शिक्षकों के तबादले को लेकर नियम बनाए जा रहे हैं। स्कूल और कॉलेज स्तर पर ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर गंभीरता से प्लानिंग की जा रही है।
बीएल शर्मा, शिक्षा सचिव चंडीगढ़।