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तंत्र के गण.. लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही स्वच्छता ग्राही

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : काम कभी छोटा या बड़ा नहीं होता। छोटी सी कोशिश भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकत

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 09:41 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 09:41 PM (IST)
तंत्र के गण.. लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही स्वच्छता ग्राही
तंत्र के गण.. लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही स्वच्छता ग्राही

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : काम कभी छोटा या बड़ा नहीं होता। छोटी सी कोशिश भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकती है। ट्राईसिटी में भी कुछ ऐसी ही मिसाल हैं, जोकि अपने काम को पूरी शिद्दत से करते हुए दूसरों के लिए प्रेरणा बनती हैं। तंत्र के खास गण को जानने के लिए दैनिक जागरण ने शहर की कुछ ऐसे लोगों को खोजने की कोशिश की जो बेशक आम हैं, लेकिन उनका काम समाज के लिए खास है। इसी कड़ी में आज कुछ ऐसे ही खास लोगों का सफर सांझा किया जा रहा है। शहर को गंदगी और खुले में शौच मुक्त करने के मकसद के लिए स्वच्छता ग्राही चंडीगढ़ नगर निगम के साथ मिलकर काम कर रही हैं। वे स्वच्छ भारत मिशन और ओडीएफ के लिए निगम को को नि-स्वार्थ अपनी सेवाएं दे रही हैं।

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मिला परिवार का साथ : साबरा

एरिया लेवल फेडरेशन की अध्यक्षा और स्वच्छता ग्राही साबरा ने बताया कि मलोया में रहती हैं। वे खुले में शौच मुक्त करने के मकसद के लिए मलोया में तो काम कर ही रही हैं। इसके अलावा अन्य जगह पर भी निगम उनकी ड्यूटी लगाता है। उन्होंने कहा कि सेक्टर-51, कजहेड़ी समेत अन्य कॉलोनियों में निगम ने उनकी ड्यूटी लगाई थी। वे ऐसी जगह पर सुबह-सुबह ही जाकर खड़ी हो जाती हैं, जहां पर सबसे ज्यादा खुले में शौच होता है। इस दौरान वे खुले में शौच के लिए आने वाले लोगों को रोकती हैं और इसके लिए शौचालय का ही इस्तेमाल करने के लिए जागरूक करती हैं। परिवार की तरफ से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई और पति तो खुद उन्हें वहां छोड़ कर आते हैं, जहां कहीं भी उनकी ड्यूटी लगाई जाती है। पहले महिला होने के नाते शर्म आती थी, वहीं लोग भी जागरूक करने पर कई बार बात नहीं मानते थे और गुस्से से बातचीत करते थे। धीरे-धीरे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला और सब कुछ ठीक हो गया।

पहले थोड़ी परेशानी जरुर हुई : चंदा

मलोया की ही स्वच्छता ग्राही चंदा ने बताया कि पहले उन्हें लोगों को जागरूक करने में थोड़ी परेशानी आई, क्योंकि लोग सुनते नहीं थे। लेकिन जैसे-जैसे वे इस काम में जुट गई, उनका अनुभव बढ़ता गया और वे लोगों को भी बेहतर ढंग से जागरूक कर पाई। वे भी मलोया में ही रहती हैं। लोगों को जागरूक करने के बाद उनके एरिया में काफी सुधार हुआ है। अब लोग खुले में कचरा नहीं फेंकते। चंदा ने कहा कि इससे उनका जीवन में भी काफी बदलाव आया। उनके परिजन भी अब पहले से ज्यादा स्वच्छता रखते हैं। ये काम करने के बाद उनके साथ एरिया और शहर में से इतनी ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं कि लोग अब उन्हें महत्व देते हैं।


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